सक्ती विधानसभा सीट पर चुनाव जीतना डॉ. चरणदास महंत के लिए आसान नहीं, जानिए इसके पीछे की बड़ी वजह

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Rahul Garhwal
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सक्ती विधानसभा सीट पर चुनाव जीतना डॉ. चरणदास महंत के लिए आसान नहीं, जानिए इसके पीछे की बड़ी वजह

गंगेश द्विवेदी, RAIPUR. सक्ती विधानसभा के विधायक और छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत के लिए 2023 का विधानसभा चुनाव बेहद चुनौतीपूर्ण होने वाला है। सक्ती राजमहल से संबंध टूट गया है। चरणदास महंत वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व मंत्री राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह को मनाने में असफल साबित हुए हैं, वहीं अपनों से अलग हुए मनहरण राठौर भी डॉक्टर चरणदास महंत से खफा चल रहे हैं। जानकारों की मानें तो इन दोनों नामों का वजन इस क्षेत्र में काफी प्रभावशाली है। वहीं बीजेपी ने इस बार पूर्व विधायक डॉ. खिलावन साहू को उनके खिलाफ मैदान में उतारकर महंत के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है।

WhatsApp Image 2023-10-27 at 4.29.47 PM (1).jpegडॉ. चरणदास महंत और उनका बेटा सूरज महंत

राजघराने का इस सीट पर रहा है 50 साल कब्जा

छत्तीसगढ़ की सबसे हॉट सीटों में से एक सक्ती विधानसभा आज से ही नहीं शुरुआत से ही ये विधानसभा क्षेत्र सक्ती रियासत की कर्मभूमि रही है। यहां के राज परिवार ने आजादी के बाद से लगातार 50 साल तक राज किया है। जिस दौरान 1952 के पहले चुनाव में कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर भी निर्दलीय के रूप में लीलाधर सिंह चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। इसके बाद से 1998 तक यहां राज परिवार के सदस्य विधायक बनते आए, जिनमें सर्वाधिक कार्यकाल सक्ती राजा सुरेन्द्र बहादुर का रहा। हालांकि इसके बाद 1998 के चुनाव में लवसरा गांव के सरपंच रहे बीजेपी उम्मीदवार मेघाराम साहू से कांग्रेस प्रत्याशी सक्ती राजा को पराजित होना पड़ा। इसके बाद मेघाराम लगातार 2 बार विधायक बने।

WhatsApp Image 2023-10-27 at 4.42.12 PM.jpegराजा सुरेंद्र बहादुर सिंह और दत्तक पुत्र और नया राजा धर्मेंद्र सिंह

महंत राजमहल की मदद से जीते थे पिछला चुनाव

सक्ती में 2018 का विधानसभा चुनाव काफी दिलचस्प रहा क्योंकि यहां से कांग्रेस के बड़े नेता चरणदास महंत को टिकट मिल गया था। उस समय सक्ती विधानसभा में विधायक बीजेपी के खिलावन साहू थे। उनकी टिकट रिपीट होने की पूरी संभावना थी। हालांकि चरण दास महंत के सक्ती से चुनाव लड़ने की जानकारी के बाद बीजेपी ने मेघाराम साहू को चुनावी मैदान में उतारा। मेघाराम साहू भी 1998 के बाद 2 बार विधायक रह चुके थे, लेकिन फिर भी बीजेपी हार गई। महंत की जीत में पिछली बार राजमहल की भूमिका बेहद महत्‍वपूर्ण थी। राजा सुरेंद्र प्रताप सिंह की पकड़ आदिवासी और पिछड़े वर्ग के बीच खासी मानी जाती है। अविभाजित मध्‍यप्रदेश में राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह कांग्रेस की टिकट पर पहले विधायक और कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं। महंत ने पिछली बार उनकी मदद लेकर चुनाव जीता था।

क्‍यों आई महंत और राजमहल के बीच दरार

राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह ने 2 साल पहले अपने दत्तक पुत्र धर्मेंद्र सिंह को अपने 79वें जन्‍मदिन पर सक्‍ती रियासत का राजा घोषित कर उसकी ताजपोशी कर दी। इसके बाद से राजा सुरेंद्र बहादुर अपने दत्तक पुत्र के राजनीतिक भविष्‍य को संवारने में लग गए हैं। उन्‍होंने कांग्रेस से सक्‍ती विधानसभा क्षेत्र से अपने बेटे धर्मेद्र सिंह के लिए टिकट दिलाने के साथ विधानसभा चुनाव लड़ाने की तैयारी शुरू कर दी थी। यहीं से दोनों के समर्थकों के बीच विवाद अलग-अलग मौकों पर सामने आने लगे। इधर, डॉ. चरणदास महंत अपने बेटे सूरज महंत को सक्‍ती विधानसभा सीट से उतारने के इच्‍छुक थे। आए दिन इस बात का जिक्र महंत मीडिया के सामने भी करते रहे। सुरेंद्र बहादुर की पकड़ आदिवासियों के बीच तगड़ी मानी जाती है। उन्‍होंने बेटे के लिए विशाल आदिवासी सम्‍मेलन का आयोजन कर क्षेत्र में अपनी ताकत दिखाई। इसके बाद धमेंद्र सिंह ने लगातार विधानसभा क्षेत्र में पदयात्रा कर लोगों से मुलाकात की। इसके जवाब में महंत और उनके समर्थकों ने भी आदिवासी सम्‍मेलन बुलाकर इसका जवाब दिया।

WhatsApp Image 2023-10-27 at 4.42.33 PM.jpegविशाल आदिवासी रैली में राजा धर्मेंद्र सिंह

मनहरण राठौर ने भी साथ छोड़ा

चुनाव से पहले महंत के समर्थक मनहरण राठौर ने सक्‍ती सीट से दावेदारी कर उनसे अलग होने का ऐलान कर दिया। मनहरण राठौर की पत्‍नी सरोजा राठौर 2008 में कांग्रेस की टिकट पर विधायक बनी थीं। वहीं 2013 में बीजेपी के डॉ. खिलावन साहू से हार गई थीं। इस बार मनहरण ने समाज के लोगों के समर्थन से सक्‍ती सीट से अपनी दावेदारी ठोंक दी थी, लेकिन टिकट अंतत: डॉ. चरणदास महंत को ही मिली।

WhatsApp Image 2023-10-27 at 4.45.21 PM.jpegमनहरण राठौर

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डॉ. खिलावन साहू हैं पूर्व विधायक

दूसरी ओर बीजेपी ने भी अपने पूर्व विधायक खिलावन साहू को टिकट देकर मैदान में उतार दिया है, जो साहू समाज के अलावा ओबीसी वर्ग में अच्छी पकड़ रखते है। 2013 में वे सरोजा मनहर को परास्‍त कर विधायक बने थे। तत्‍कालीन विधायक होने के नाते 2018 में उन्‍हें दोबारा टिकट मिलना चाहिए था, लेकिन उनकी जगह 2 बार के विधायक मेघाराम साहू को टिकट दिया गया और बीजेपी इस सीट से हार गई। अब उनकी जगह फिर से डॉ. खिलावन साहू को टिकट दिया गया है। महंत भी फूंक-फूंककर कदम रख रहे हैं।

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