मनीष गोधा, JAIPUR. चुनाव से पहले नेताओं की पार्टियों में आवाजाही के बीच राजस्थान में आज एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के तहत नागौर से कांग्रेस की सांसद रहीं ज्योति मिर्धा कि बीजेपी में एंट्री हो गई। पार्टी के प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह और प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के मुख्यालय में ज्योति मिर्धा को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण कराई। राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी में इसे एक महत्वपूर्ण राजनीतिक कदम के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि ज्योति मिर्धा राजस्थान के उसे परिवार से आती हैं जो नागौर में कांग्रेस का पर्याय रहा है। ज्योति मिर्धा उन नाथूराम मिर्धा की पोती है जो 1977 की जनता लहर में भी नागौर से कांग्रेस पार्टी के सांसद बनने में कामयाब रहे थे।
बड़ा जाट चेहरा मिला
राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी की जाटों में पैठ बहुत अच्छी नहीं मानी जाती। पार्टी में बड़े जाट नेता के रूप में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया हैं और उनके अलावा कोई बड़ा चेहरा नहीं है। ऐसे में पार्टी को जाटों के बीच अपनी पैठ बढ़ाने के लिए किसी बड़े जाट नेता की तलाश थी। ज्योति मिर्धा की पार्टी में एंट्री के बाद पार्टी को जाट वोट बैंक के बीच अपनी पकड़ बनाने में सहायता मिल सकती है। इसका कारण यह है कि राजस्थान के जाट वोट बैंक में मिर्धा परिवार अपनी खास पहचान और पकड़ रखता आया है। बीजेपी राजस्थान में मिर्धा परिवार की इसी साख और पकड़ का फायदा उठाने की कोशिश करेगी। हालांकि पिछले कुछ समय से नागौर से ही सांसद हनुमान बेनीवाल से मिर्धा परिवार को कड़ी टक्कर मिलती रही है और अब नागौर ही नही पूरे राजस्थान के जाट वोट बैंक में बेनीवाल एक बड़ा नाम माने जाते हैं।
बेनीवाल छोड़ चुके हैं एनडीए का साथ
हनुमान बेनीवाल एक समय बीजेपी में थे और फिर पार्टी से निकलकर उन्होंने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी बनाई। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने एनडीए के साथ गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा और नागौर से सांसद बने। राजस्थान विधानसभा में उनके तीन विधायक शुरुआत में भारतीय जनता पार्टी के साथ ही थे लेकिन केंद्र सरकार द्वारा ले गए कृषि बिलों के विरोध में हनुमान बेनीवाल ने एनडीए से नाता तोड़ लिया। ऐसे में अब भारतीय जनता पार्टी के पास नागौर में बेनीवाल का साथ भी नहीं था और राजस्थान के पिछले पांच उपचुनाव में हनुमान बेनीवाल ने ऐसे उम्मीदवार खड़े किए जिनके चलते भारतीय जनता पार्टी को नुकसान हुआ। यही कारण था कि इस बार बीजेपी का बेनीवाल के साथ कोई गठबंधन होने की संभावना नहीं दिख रही थी।
कानून व्यवस्था और सुशासन में गहलोत सरकार विफल
बीजेपी में शामिल होने के बाद पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा ने कहा कि राजस्थान में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है। यहां सुशासन देने की बात थी, लेकिन गहलोत सरकार इसमें पूरी तरह से विफल हो चुकी है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं को नजरअंदाज किया जा रहा है। लगातार पार्टी में घुटन महसूस हो रही थी, इसलिए उन्होंने कांग्रेस को छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया। ज्योति मिर्धा ने आगे कहा कि कांग्रेस में अब नेता और कार्यकर्ताओं की जिस तरह से अनदेखी हो रही है, उससे वहां काम करने की कोई गुंजाइश नहीं है।
कांग्रेस में घुटन महसूस होने लगी थी : ज्योति मिर्धा
ज्योति मिर्धा ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस के साथ अपना राजनीतिक करियर शुरू किया, लेकिन अब उन्हें कांग्रेस में घुटन महसूस होने लगी थी। ऐसे में राष्ट्र निर्माण में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए वो बीजेपी में शामिल हुई हूं। पार्टी के जो दिशा निर्देश होंगे, वो उसके अनुसार निस्वार्थ भाव से काम करेंगी। उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उन पर जो विश्वास जाता है, वो उस पर 100 फीसद खरा उतरने की कोशिश करूंगी।
PCC चीफ गोविंद सिंह डोटासरा का बयान
ज्योति मिर्धा के बीजेपी में शामिल होने पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि पिछले लंबे समय से ज्योति मिर्धा कांग्रेस के किसी कार्यक्रम में शामिल नहीं हो रही थी, उनका ससुराल एक बड़े औद्योगिक घराने से संबंध रखता है ऐसे में हो सकता है कि उन पर बीजेपी की ओर से किसी तरह का दबाव डाला गया हो। डोटासरा ने कहा कि पार्टी में सुनवाई नहीं होने की ज्योति मिर्धा की बात गलत है मैं पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष हूं और इस दौरान ऐसी कोई शिकायत किसी भी कार्यकर्ता की सामने नहीं आई है।
अब भारतीय जनता पार्टी में ज्योति मिर्धा की एंट्री के साथ यह लगभग स्पष्ट हो गया है कि पार्टी अब हनुमान बेनीवाल से कोई गठबंधन नहीं करने जा रही। ऐसे में अब आने वाले चुनाव में हनुमान बेनीवाल नागौर सहित पूरे पश्चिमी उत्तर पश्चिमी राजस्थान में कई सीटों पर त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति खड़ी कर सकते हैं। अब यह देखना रोचक होगा की शुरआत से कांग्रेस के साथ मजबूती से जुड़े रहे मिर्धा परिवार की बीजेपी में एंट्री से पार्टी को कितना फायदा मिलता है।