संजय गुप्ता@ INDORE.
इंदौर में प्रदेश की सबसे हाईप्रोफाइल सीट इंदौर विधानसभा एक के बीजेपी प्रत्याशी कैलाश विजयवर्गीय और कांग्रेस प्रत्याशी संजय शुक्ला दोपहर दो बजे आमने-सामने होंगे। इंदौर प्रेस क्लब में आमने-सामने कार्यक्रम में पहली बार सीधी बहस में एक मंच पर होंगे। दोनों के बीच 35 दिन में (25 सितंबर को विजयवर्गीय प्रत्याशी घोषित हुए थे) गले लगने, पैर छूने, सोशल मीडिया पर फोटो शेयर करते हुए दूसरे की फोटो काटने, तीखे आरोप लगाने से लेकर मुहंतोड़ जवाब देने की बातें हो चुकी है। ऐसे में सभी इस बहस पर नजरे गढ़ाएं हुए हैं।
दोनों के बीच इस तरह फेयर से हुई डर्टी पॉलिटिक्स
- कैलाश विजयवर्गीय और संजय शुक्ला दोनों के बीच पारवारिक संबंध रहे हैं। लेकिन जब 25 सितंबर को विजयवर्गीय के टिकट का ऐलान हुआ तभी हल्के आरोपों का दौर शुरू हो गया। शुरूआत शुक्ला ने की और कहा कि उन्होंने दो बेटों (एक उनके विधायक बेटे आकाश और मेरी) राजनीतिक बलि ले ली है।
- कुछ दिनों बाद दोनों गोम्मटिगरी पर पहली बार (विजयवर्गीय का टिकट घोषित होने के बाद) आमने-सामने हुए। तब यहां शुक्ला ने विजयवर्गीय के पैर छुए और विजयवर्गीय ने उन्हें गले लगाया, दोनों ने सद्भाव और स्नेह दिखाया।
- शुक्ला ने जयाकिशोरी की कथा का आयोजन किया, मंजूरी नहीं मिलने पर विजयवर्गीय पर सीधे आरोप लगाए कि उनके और बीजेपी के दबाव में अधिकारी ऐसा कर रहे हैं। फिर मंजूरी मिली तो उन्होंने यह कहकर आयोजन निरस्त कर दिया कि अधिकारियों ने मेरे पुत्र की जगह मेरे नाम से मंजूरी जारी कर षडयंत्र किया है ताकि खर्चे में इस आयोजन की राशि जोड़कर मेरा नामांकन खारिज करा सकें।
पिता की कमाई संबंधी विजयवर्गीय के आरोप से हमले हुए तेज
- प्रचार के दौरान विजवर्गीय ने तंज कसा कि कांग्रेस को वोट नहीं मिलने वाले बूथ अध्यक्ष को 51 हजार का ईनाम देंगे और यह भी आरोप लगाए कि उनके (शुक्ला) के पास तो पिता की कमाई है, वह खर्च कर रहे हैं।
- इस पर शुक्ला ने भी आरोप लगाए कि वह तो मिल मजदूर के बेटे हैं, उनके पास अरबों रुपए कहा सें आए, मेरी तो मेहनत, ईमानदारी की कमाई है और वैसे भी पिता की कमाई पुत्र को ही दी जाती है। यहीं से दोनों के बीच तल्खी बढने की शुरूआत हो गई।
फिर आई साडियां बंटने के वीडियो, नामाकंन पर आपत्ति
- फिर कांग्रेस से शुक्ला का टिकट घोषित हुआ और जब इसके बाद वह अग्रवाल समाज के कार्यक्रम में एक मंच पर हुए तो विजयवर्गीय और शुक्ला के बीच कोई सीधी बात नहीं हुई, दोनों ने लोगों को दिखाने के लिए एक-दूसरे का हाथ पकड़कर फोटो खिचांई लेकिन दोनों ने ही इस कार्यक्रम के जब फोटो अपने सोशल मीडिया पर डाले तो पास में खड़े होने के बाद भी एक-दूसरे की फोटो आधी काट दी और चेहरा भी नहीं दिखने दिया।
- इसके बाद कांग्रेस की ओर से लगातार वीडियो बनाकर जारी किए गए और आरोप लगाए गए कि चुनाव मे मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए साडियां, कुकर, मोबाइल के साथ नोट तक बंट रहे हैं और आयोग कुछ नहीं कर रहा है। शुक्ला यहां तक कह गए कि वह मुंहतोड़ जवाब देंगे और ईंट का जवाब पत्थर से देंगे, अब यदि इस तरह प्रलोभन की कोशिश हुई तो चुप नहीं बैठेंगे। इस पर कैलाश विजयवर्गीय ने डर्टी पॉलिटिक्स बताते हुए कहा कि मैं फेयर और डेवलपमेंट की ही पॉलिटिक्स करता हूं। इन आरोपों के जवाब भी नहीं देना चाहता हूं।
- इसके बाद कांग्रेस ने विजयवर्गीय के नामांकन फार्म पर आपत्ति ली और कहा कि उन्होंने दो गंभीर आरोपों की जानकारी ही नहीं दी, फार्म निरस्त होना चाहिए। लेकिन जब फार्म मंजूर हो गया तो फिर आरोप लगाए कि जिला निर्वाचन अधिकारियों और उनकी (विजयवर्गीय) की सांठगांठ है। हम केंद्रीय चुनाव आयोग से लेकर कोर्ट तक दरवाजा खटखटाएंगे।