संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में बीजेपी के राष्ट्रीय महसाचिव कैलाश विजयवर्गीय ने अपने खास साथी और विधानसभा दो के विधायक रमेश मेंदोला के साथ ही अपने विधायक पुत्र आकाश विजयवर्गीय की विधानसभा तीन के लिए मेगा स्वास्थ्य शिविर की घोषणा की है। इस घोषणा से बीजेपी के अंदरूनी स्तर पर ही हलचल मच गई है। बीजेपी के बाकी विधायक विधानसभा चार से मालिनी गौड़, विधानसभा पांच से महेंद्र हार्डिया, विधानसभा सांवेर से मंत्री तुलसी सिलावट और विधानसभा महू से मंत्री ऊषा ठाकुर, इन सभी के क्षेत्र में मतदाताओं के साथ ही कार्यकर्ताओं द्वारा यह बात उठ रही है कि हमारे विधायक ऐसे काम क्यों नहीं कराते हैं?
बीजेपी में अंदरखाने में भी बात यही, इससे बाकी विधानसभा पर बढ़ेगा दबाव
हर विधायक अपनी-अपनी विधानसभा में कथाएं व अन्य आयोजन करा रहे हैं, विकास कामों को भूमिपूजन भी कराकर काम दिखाने में जुटे हैं। लेकिन विजयवर्गीय के इस मास्टर स्ट्रोक के बाद बीजेपी के अंदरखाने में बात चल रही है कि उन्होंने अपने वालों की विधानसभा को तो मजबूत करने के लिए कदम उठा लिया लेकिन इससे अन्य विधानसभाओं पर दबाव बढ़ा दिया है। इससे यह संदेश क्षेत्र में जा रहा है कि उनके विधायक इतने काबिल नहीं है कि इस तरह के आयोजन वह करा सकें। ऐसे में मतदाताओं को यह समझाना कठिन हो जाएगा कि उन्होंने ऐसा क्यों नहीं किया? खासकर बस्ती व पिछ़ड़े क्षेत्रों में जहां लोग उपचार के लिए परेशान होते हैं, उनके बीच विधायकों को लेकर छवि गलत होगी।
विधानसभा दो और तीन के ही पांच-पांच वार्ड लिए हैं
विधानसभा दो और तीन के पांच-पांच वार्ड ही प्रोजेक्ट तौर पर लिए गए हैं। अन्य विधानसभा नहीं लेने की बात भी मीडिया ने विजयवर्गीय से पूछी थी, जिस पर उन्होंने यही कहा था कि यह प्रोजेक्ट स्तर पर है और बाकी समस्याएं सामने आने के बाद इसे बड़े स्तर पर सभी वार्डों में किया जाएगा। लेकिन यह प्रोजेक्ट स्तर ही अभी लंबा चलेगा, इसके बाद अक्टूबर के पहले सप्ताह में आचार संहिता लग जाएगी, यानि कि यह तय है कि जो भी होगा वह चुनाव के बाद ही होगा और फिलहाल फोकस विधानसभा दो और तीन के चुनाव ही है।
विजयवर्गीय क्या लोकसभा की संभावनाओं पर काम कर रहे हैं?
वहीं यह भी बात उठ रही है कि इन तैयारियों के जरिए कैलाश विजयवर्गीय अगले लोकसभा चुनाव साल 2024 में अपनी संभावनओं को नजर में रखते हुए भी तैयारियां कर रहे हैं। यदि इसके संकेत उन्हें मिल जाते हैं तो निश्चित ही वह इस स्वास्थ्य शिविर का असर विधानसभा चुनाव में देखने के बाद फिर पूरे लोकसभा क्षेत्र के लिए इसे लागू करने पर काम करेंगे। लेकिन यह तो राजनीतिक गलियारे में चल ही पड़ा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन (17 सितंबर) के अवसर पर इसे लाने से वह केंद्र स्तर पर नजरें में आएंगे और साथ ही अपनों की विधानसभा को तो चुनाव से पहले मजबूत करेंगे ही।