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मनीष गोधा, JAIPUR. राजस्थान के विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों के चयन को लेकर अब उन लोगों का कड़ा विरोध सामने आने लगा है जो मजबूत दावेदार होने के बावजूद टिकट नहीं पा सके। इन्हीं में से एक हैं अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष खिलाड़ी लाल बैरवा। वह अभी धौलपुर जिले की बसेड़ी विधानसभा सीट से विधायक हैं लेकिन पार्टी ने उनका टिकट काट दिया है। इसके विरोध में उन्होंने अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है और द सूत्र के साथ बातचीत में उन्होंने उन कारणों का खुलासा किया जिनकी वजह से उन्हें टिकट से वंचित किया गया। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि राजस्थान में पार्टी के आला कमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बन गए हैं और मेरी गलती यह है कि मैं जी हुजूरी करने वाले लोगों में से नहीं हूं। उन्होंने कहा कि अशोक गहलोत को आला कमान का वफादार माना जाता है, लेकिन आलाकमान के प्रति उनकी वफादारी देखकर हमें भी शर्म आ रही है। खिलाड़ी लाल का कहना है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी उनकी नहीं है बल्कि ये उस परिवार की है, जिसने शहादतें दी और त्याग और बलिदान किया।
खिलाड़ी लाल ने बताई अपने टिकट कटने की वजह
टिकट कटने के पीछे उन्होंने अपनी तीन गलतियां बताई। उन्होंने कहा कि पहली गलती यह थी कि हमने सरकार बचाने में सहयोग किया और हम मानेसर नहीं गए। दूसरी गलती यह रही की 25 सितंबर को जब आलाकमान विधायक दल की बैठक बुलाई तो हम मुख्यमंत्री निवास पर मौजूद थे और उस समानांतर बैठक में नहीं गए जो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थन में बुलाई गई थी और इस्तीफे तक ले लिए गए थे। उन्होंने कहा कि तीसरी गलती यह रही कि हमने खुलकर सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की पैरवी की। इसके अलावा एक गलती यह भी की कि मैंने अनुसूचित जाति के मामलों में न्याय पूर्ण कार्रवाई किए जाने की वकालत की।
पार्टी को भुगतना पडे़गा बड़ा खामियाजा
खिलाड़ी लाल बैरवा ने कहा अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा लेने के बाद मुझे टिकट नहीं दिया जाता तो कोई दिक्कत नहीं थी लेकिन अनुसूचित जाति की 20% आबादी को देखने वाले अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष पद पर रहते हुए मेरा टिकट काटा गया है यह गलत है और पार्टी को इसका कितना बड़ा खामियाजा उठाना पड़ेगा यह बात पार्टी अभी समझ नहीं रही है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सर्वे के नाम पर पार्टी के बड़े नेताओं ने खूब डराया और अब जिन लोगों को सर्वे के आधार पर टिकट दिए गए हैं उनकी जीत यदि नहीं होती है तो पार्टी को इन बड़े नेताओं की जवाबदेही तय करनी चाहिए। खिलाड़ी लाल बैरवा ने क्वेश्चन पेपर लीक और अन्य मामलों में ईडी की कार्रवाई के बारे में कहा कि विपक्षों को यदि कोई संदेह लग रहा है तो इस पर जांच होनी चाहिए और सच सामने आना चाहिए क्योंकि हम पार्टी के विधायक हैं और छींटे तो हम पर भी पड़ते हैं।
यह थी 25 सितंबर 2022 की घटना
25 सितंबर 2022 को पार्टी की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मल्लिकार्जुन खड़गे और पार्टी के तत्कालीन प्रदेश प्रभारी अजय माकन को पर्यवेक्षक बनाकर जयपुर भेजा था और उन्हें विधायक दल की बैठक बुलाने के निर्देश दिए थे। माना जा रहा था कि इस बैठक में प्रदेश में नेतृत्व के संबंध में निर्णय लेने का अधिकार आला कमान को सौंपने का प्रस्ताव पारित किया जा सकता है। मुख्यमंत्री निवास पर शाम को विधायक दल की बैठक होनी थी लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के वफादार माने जाने वाले लगभग 65 विधायकों की एक समानांतर बैठक संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल के निवास पर हुई और वहीं से यह विधायक स्पीकर सीपी जोशी को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थन में इस्तीफा देने चले गए। उधर मुख्यमंत्री निवास पर दोनों पर्यवेक्षक और मुख्यमंत्री तथा कुछ अन्य विधायक भी विधायक दल की बैठक होने का इंतजार करते रहे और अंततः यह बैठक निरस्त कर दी गई। इस पार्टी के अलग कमान को चुनौती देने वाली घटना माना गया और इस बैठक का नेतृत्व करने वाले संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल मुख्य सचेतक महेश जोशी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नजदीकी माने जाने वाले राजस्थान पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौर को पार्टी ने कारण बताओं नोटिस जारी किए। हालांकि पार्टी ने अभी तक इन नोटिसों पर कोई कार्रवाई नहीं की है, लेकिन शांति धारीवाल और महेश जोशी के टिकट जो पहली सूची में आ सकते थे वह आज तक अटके हुए हैं।