JAIPUR. राजस्थान में 29 सीटें ऐसी हैं जहां 2018 के विधानसभा चुनाव में हार-जीत का अंतर 4000 से भी कम वोटों की थी। ऐसे में इस बार भी अनुमान लगाया जा रहा है कि इन सीटों पर कांटे की टक्कर हो सकती है। निर्वाचन आयोग के अनुसार इस बार राजस्थान में कुल 75.45 प्रतिशत मतदान हपए हैं, जो कि पिछले चुनाव के मतदान प्रतिशत से 74.71 से 0.73 फीसदी अधिक है। बताया जा रहा कि राजस्थान में ये सीटें हार-जीत में काफि भूमिका निभाती है।
29 सीटों पर कांटे कड़ा मुकाबला
2018 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो 29 सीटों पर कड़ा मुकाबला था, जिनमें से कांग्रेस ने 12 सीटों और बीजेपी ने 14 सीटें अपने नाम किए थे। इसके अलावा 3 सीटें ऐसी थी, जिन पर अन्यों ने अपना कब्जा जमाया। ऐसे में चुनाव आयोग अब सभी सीटों पर हुए मतदान के एनालिसिस में लगा हुआ है। साथ ही ये जानने का प्रयास किया जा रहा है कि इस बार जीत किसकी झोली में जाएगी।
- 1. आसींद - इस सीट पर इस बार वोटिंग पर्सेंटेज पिछली बार से 1.4 फीसदी अधिक हुआ है, जो कड़ी टक्कर का एहसास करवा रहा है। बीजेपी इन आंकड़ों से खुश है। हालांकि मुकाबला त्रिकोणीय है। वर्ष 2018 के चुनाव में वोटिंग प्रतिशत 2013 के मुकाबले घटने के बावजूद बीजेपी रिपीट हुई थी।
मारवाड़ जंक्शन - इस सीट पर पिछली बार की तुलना में वोटिंग पर्सेंटेज खास नहीं बढ़ा है। पिछले चुनाव में ये सीट बीजेपी से छिन गई थी। ऐसे में वोटिंग को देखते हुए इस बार फिर से बीजेपी के वापसी की उम्मीद लग रही है।
2. पीलीबंगा - इस सीट पर वोटिंग दो प्रतिशत से अधिक घटी है, जिससे कांग्रेस को आस जगी है। हालांकि इस सीट पर लगातार जीतने के कारण बीजेपी वोटिंग को खुद के हक में मान रही है। टक्कर कांटे की है।
बूंदी - ये सीट बीजेपी की मानी जाती है, यहां वोटिंग पर्सेंटेज पिछली बार के बराबर ही रहा है। बीजेपी के बागी रूपेश शर्मा भी इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला बना रहे हैं। समीकरणों के कारण कांग्रेस और पुराने प्रदर्शन के कारण बीजेपी सीट को अपना मान रही है।
3. फतेहपुर - इस सीट पर वोटिंग प्रतिशत 3.4 फीसदी गिरा है। यहां पर मुकाबला भी 4 उम्मीदवारों के बीच है। यहां पर अधिक दावेदार और मतदान कम हैं। ऐसे में पार्टियां और उम्मीदवार सभी कन्फ्यूज हैं।
पोकरण - यहां हिन्दू-मुस्लिम माहौल के कारण हॉट सीट पर वोटिंग में मामूली सी गिरावट देखी जा रही है। यहां कांग्रेस और बीजेपी से दो अलग धर्मों के धर्मगुरु मैदान में हैं। बता दें कि पिछली बार भी यहां कांटे की टक्कर थी और कांग्रेस ने बीजेपी को हरा दिया था। इस बार भी सीट फंसी हुई है।
4. दांतारामगढ़ - दांतारामगढ़ सीट पर पिछली बार वोटिंग प्रतिशत घटी तो कांग्रेस ने लगातार इस सीट को जीता। जानकारी के मुताबिक इस बार यहां वोटिंग प्रतिशत बढ़ी है, तो बीजेपी इसे अपने पक्ष में मान रही है। यहां सीधे तौर पर अनुमान लगाना इसलिए मुश्किल है क्योंकि सीपीएम प्रत्याशी पूर्व विधायक अमराराम और जेजेपी की रीटा चौधरी भी इस सीट से खड़ी हैं।
सिवाना - इस सीट पर पिछली बार बीजेपी जीती थी। मानवेंद्र सिंह के कारण चर्चित इस सीट पर मतदान घटने से कांग्रेस को फायदा मिल सकता है। बताया जा रहा है कि आरएलपी ने भी यहां अपना कब्जा जमाया हुआ है।
5. खेतड़ी - इस सीट पर चाचा-भतीजी के बीच मुकाबला होने के कारण ये सीट काफी चर्चे में है। यहां वोटिंग प्रतिशत में मामूली बढ़त देखी गई है, जो कांटे के मुकाबले की ओर इशारा कर रहा है। ऐसे में इस बार भी कम वोटों से हार-जीत तय होगी।
फुलेरा - इस सीट पर वोटिंग दो फीसदी से अधिक बढ़ी है। ऐसे में माना जा रहा है कि तीन बार से विधायक निर्मल के खिलाफ माहौल के कारण ऐसा हुआ है। कांग्रेस इस सीट को अपनी मान रही है।
6. चौमूं - यहां लगातार बीजेपी की जीत रही है, जिसके कारण इस सीट को बीजेपी की सीट मानी जाती है। पिछले चुनाव के मुकाबले वोटिंग की मामूली गिरावट से कांग्रेस उत्साहित है। बताया जा रहा है कि इस सीट पर आरएलपी-एएसपी गठबंधन के प्रत्याशी छुट्टन यादव समीकरण बिगाड़ रहे हैं।
मकराना - इस सीट पर बीजेपी ने विधायक का टिकट काटा और नए चेहरे को मौका दिया। पिछले चुनाव के मुकाबले ढाई फीसदी से अधिक वोटिंग घटी है। कांग्रेस खुद के लिए इसे शुभ मान रही है। आरएलपी के अमराराम जाट की मौजूदगी से जाट वोट बैंक बंट गया है।
7. बेगूं - इस सीट पर पिछले चुनाव में वोटिंग घटी थी और कांग्रेस ने बीजेपी को हराया था। इस बार फिर वोटिंग मामूली सी कम हुई है और कांग्रेस के उम्मीदवार बिधूड़ी का कुछ विरोध भी रहा। ये समीकरण बीजेपी को फायदा दिलाते दिख रहे हैं।
मालवीय नगर - यहां पुराने चेहरों के बीच मुकाबला है। ऐसे में इस बार भी यहां मुकाबला कड़ा होता दिखाई दे रहा है। वोटिंग पैटर्न देखें तो इस बार भी कांटे का मुकाबला दिख रहा है।
8. चूरू - यहां पर नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने ये सीट छोड़ी। इस बदलाव को कांग्रेस अपने पक्ष में मान रही है। वोटिंग करीब 1 फीसदी घटी है और मुकाबला भी सीधा है। बीजेपी मान रही है कि हिंदुत्व फैक्टर हावी है, इससे उसे फायदा हो सकता है।
सांगोद - इस सीट पर पिछले चुनाव में एक फीसदी वोटिंग बढ़ी तो बीजेपी ने ये सीट कांग्रेस से छीन ली। अब फिर करीब 1 फीसदी वोटिंग बढ़ गई है, तो बीजेपी को फायदा होने की उम्मीद नजर आ रही है।
9. नावां - इस सीट पर पिछले चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को हराया था, तब वोटिंग में मामूली गिरावट थी। अब करीब 1.5 फीसदी बढ़त है, माना जा रहा है कि इस बार बीजेपी को फायदा हो सकता है। इस सीट पर पुराने चेहरे हैं।
खानपुर - इस सीट को बीजेपी का गढ़ माना जाता है और यहां वसुंधरा राजे का प्रभाव भी है। वोटिंग प्रतिशत बढ़ने से बीजेपी को कोई तनाव नहीं हो रहा है।
10. मंडावा - इस सीट पर बीजेपी उम्मीदवार सांसद नरेंद्र खीचड़ के कारण सीट को हॉट माना जा रहा है, उनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। वोटिंग भी मामूली बढ़ी है, जो बीजेपी का पलड़ा भारी होने की ओर इशारा कर रही है।
पचपदरा - पिछले चुनाव में इस सीट पर वोटिंग प्रतिशत गिरा था तो बीजेपी से कांग्रेस ने ये सीट जीत ली थी। अब वोटिंग प्रतिशत बढ़ा है, जो बीजेपी खेमे में उत्साह ला रहा है।
11. मसूदा - ये सीट इसलिए खास है क्योंकि यहां 5 चुनावों से कोई विधायक रिपीट नहीं हुआ। पिछले चुनाव में करीब 3 फीसदी वोटिंग बढ़ने से कांग्रेस ने ये सीट बीजेपी से अपने खाते में डाली, लेकिन इस बार वोटिंग में बढ़त है, तो इस बार बीजेपी इस सीट को अपना मान रही है।
रानीवाड़ा - इस सीट पर वोटिंग प्रतिशत में कुछ खास बढ़ोतरी नहीं हुई है। ये सीट बीजेपी की मानी जाती है। इस बार भी बीजेपी को वोटिंग से नुकसान नहीं होता दिख रहा।
12. सूरजगढ़ - इस सीट पर लगभग पिछली बार जितनी ही वोटिंग गिरी है। यहां पुराने चेहरों के बीच मुकाबला है। इस सीट पर बीजेपी को कोई टेंशन नहीं है।
चाकसू - यहां में पिछली बार दो फीसदी वोटिंग बढ़ी, तो कांग्रेस ने बीजेपी को हरा दिया। इस बार फिर करीब दो फीसदी वोटिंग बढ़ गई है। सीट फंसी हुई है। समीकरण देखें, तो यहां कांग्रेस को चुनौती अधिक है।
13. भीम - इस सीट पर पिछली बार करीब 3 फीसदी वोटिंग पर्सेंटेज में गिरावट थी, तो बीजेपी हार गई थी। अब इस चुनाव में फिर वोटिंग करीब 3 फीसदी बढ़ी है, इससे बाजेपी को एक उम्मीद जगी है।
वल्लभ नगर - इस सीट पर पिछली बार वोटिंग गिरने से कांग्रेस ने यहां निर्दलीय को हराया था। अब इस सीट पर फिर वोटिंग में गिरावट है, इससे भाजपा और कांग्रेस में कांटे की टक्कर मानी जा रही है।
14. छबड़ा सीट - ये सीट बीजेपी की मानी जाती है। यहां हाई वोटिंग होती है, जैसी इस बार भी हुई। यहां बीजेपी को इस सीट को लेकर कुछ खास तनाव नहीं है।
बहरोड़ - यहां पिछले मुकाबले में वोटिंग पर्सेंट गिरा था और निर्दलीय ने बीजेपी से ये सीट छीनी थी। इस बार पिछले बार के जैसी ही वोटिंग हुई है और माना जा रहा है कि जातिगत समीकरण से बीजेपी को फायदा पहुंचेगा।
15. शाहपुरा सीट - पिछली बार की तुलना में मामूली रूप से ज्यादा वोटिंग हुई है, निर्दलीय विधायक आलोक बेनीवाल ने कांग्रेस और बीजेपी दोनों को ही चुनौती दी हुई है। यहां त्रिकोणीय मुकाबला है, जिसे कांटे का माना जा रहा है।