संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में भूमाफिया चंपू अजमेरा, नीलेश अजमेरा, हैप्पी धवन, चिराग शाह और अन्य से जुड़ी कॉलोनियों में पीड़ितों के मामलों को लेकर लगी 125 याचिकाओं पर मंगलवार, 26 सितंबर को हाईकोर्ट इंदौर बेंच में सुनवाई हुई। इसमें एक बार फिर सामने आया कि भूमाफियाओं ने जिला प्रशानस की कमेटी के बाद हाईकोर्ट द्वारा गठित कमेटी को भी झांसा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सरकार वकील ने ही भूमाफिया की करतूतों की पोल खोलते हुए कहा कि इन्होंने कमेटी के सामने जो ऑफर देने की बात कही, वह पीड़ितों को दिया ही नहीं गया है। कई पीड़ित ऐसे हैं जो कमेटी के सामने पेश हुए, लेकिन उनका जिक्र ही कमेटी में नहीं है। नीलेश अजमेरा जैसे भूमाफिया तो कमेटी के सामने पेश ही नहीं हुए हैं। जबकि उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस भी है।
हाईकोर्ट ने कहा कमेटी रिपोर्ट पर जिसे जो कहना है वह आपत्ति लगा दे
सरकारी वकील के साथ ही कोर्ट में आए कुछ पीड़ितों की बात सुनने के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि जिन्हें भी कमेटी को लेकर जो आपत्तियां लगाना है, वह लगा दें, फिर अगली सुनवाई 17 अक्टूबर को होगी। सरकारी वकील ने यह भी प्रस्ताव रखा कि आरोपियों पर चार अलग-अलग थानों में कुल 27 एफआईआर हैं। थाने की एफआईआर के हिसाब से सप्ताह में कोई दिन चिन्हित कर सभी एफआईआर को सुन लिया जाए। हाईकोर्ट ने कहा कि कुछ प्रक्रिया तय की जाएगी, जिससे मामले को सुना जा सके।
एक-दूसरे पर जिम्मेदारी ढोल रहे भूमाफिया
सुनवाई के दौरान पीड़ितों के साथ ही अन्य याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने कहा कि सभी भूमाफिया एक-दूसरे पर ही जिम्मेदारी ढोल रहे हैं और कोई भी सही से निराकरण करने को तैयार नहीं है। याचिकाकर्ता ने कहा कि चंपू फोनिक्स में हमारे ऊपर 31 प्लॉट की जिम्मेदारी डाल रहा है, जबकि हमारा इससे कोई लेना-देना नहीं है। वहीं सेटेलाइट में गर्ग और चंपू के विवाद के चलते हमारा निराकरण नहीं हो रहा है।
कमेटी ने नहीं बताया भूमाफियाओं ने सहयोग किया या नहीं सुनवाई के दौरान यह बात भी उठी कि आरोपियों द्वारा सहयोग नहीं किया गया, कुछ तो कमेटी में आए ही नहीं। इस पर आरोपियों के अधिवक्ताओं ने आपत्ति ली और कहा कि सभी ने कमेटी में उपस्थिति दिखाई और निराकरण किए हैं। वहीं यह बात भी आई कि किसी भी आरोपी के लिए कमेटी ने यह नहीं लिखा कि किसने सहयोग किया और किसने नहीं किया। सरकारी वकील ने सुनवाई में यह जरूर कहा कि आरोपियों ने निराकरण नहीं किए हैं, लेकिन आरोपियों की जमानत रद्द करने संबंधी मांग सुनवाई में नहीं हो सकी।