BHOPAL. मध्यप्रदेश में रिश्वतखोरी के बढ़ते मामलों को देखकर लोकायुक्त एक्शन में दिख रहा है। लोकायुक्त की जांच के मुताबिक प्रदेश में लगभग 11 हजार 388 रुपए की रिश्वत रोज सरकारी कर्मचारी-अधिकारियों से जब्त की गई। लोकायुक्त ने इन रिश्वतखोरों को रंगेहाथ पकड़ा है।
सबसे ज्यादा पटवारी रिश्वतखोरी
बता दें कि पटवारी, डिप्टी कलेक्टर, एसडीएम, संयुक्त कलेक्टर, तहसीलदार, नायब तहसीलदार सहित अन्य लोगों पर 320 मामले दर्ज किए गए। इनमें से सबसे ज्यादा यानी कि 50 से ज्यादा पटवारी घूस लेते अलग-अलग जिलों में पकड़े गए हैं। इसके साथ ही 159 मामले पंचायत विभाग के अफसर-कर्मचारियों पर दर्ज किए गए। इसके अलावा स्वास्थ्य, नगर निगम, बिजली और अन्य विभाग के लोग भी रिश्वत लेते पकड़े गए हैं।
लोकायुक्त की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018 से सितंबर 2023 तक प्रदेश में दो करोड़ 39 लाख 41 हजार 10 रुपए की रिश्वत जब्त की गई। इस दौरान 1 हजार 167 घूसखोरों को रंगेहाथों दबोचा गया है। इसी साल जनवरी से सितंबर तक 140 लोगों को पकड़ा गया है। इनसे 35 लाख 14 हजार 630 रुपए जब्त हुए।
ये है डाटा-
2018- 32 लाख 57 हजार 600
2019- 45 लाख 54 हजार
2020- 19 लाख तीन हजार 680
2021- 44 लाख 56 हजार
2022- 62 लाख 18 हजार 200
2023- 35 लाख 14 हजार 630
जबलपुर में सबसे ज्यादा रिश्वत के मामले
मप्र के जबलपुर में सबसे ज्यादा रिश्वत के मामले सामने आए हैं। यहां छह सालों में 232 अधिकारी-कर्मचारियों को पकड़ा गया है। वहीं रीवा संभाग में सबसे ज्यादा घूसखोर पकड़े गए। यहां 192 लोगों धराए गए। सागर संभाग में190 मामले सामने आए हैं।
हाल के चर्चित मामले
उमरिया- 30 अगस्त को महिला अधिकारी रिनी गुप्ता को 1.20 लाख की रिश्वत लेते पकड़ा गया।
कटनी- पटवारी गजेंद्र सिंह को साढ़े चार हजार रंगे हाथों रिश्वत लेते पकड़ा गया।
ग्वालियर- सितंबर में तीन पुलिस अधिकारियों को 23 लाख रुपए रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया।
बड़वानी- सितंबर में सीईओ रविकांत उइके को पांच लाख की रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया।