19 नर्सिंग कॉलेजों पर चला MU का हंटर, फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति और अन्य गड़बड़ियों के चलते मेडिकल यूनिवर्सिटी ने नहीं दी मान्यता

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Chandresh Sharma
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19 नर्सिंग कॉलेजों पर चला MU का हंटर, फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति और अन्य गड़बड़ियों के चलते मेडिकल यूनिवर्सिटी ने नहीं दी मान्यता

JABALPUR. मध्य प्रदेश के एकमात्र मेडिकल यूनिवर्सिटी ने प्रदेश में चल रहे फर्जी नर्सिंग कॉलेजों को लेकर सख्त रुख अपनाया है, यही वजह है कि मध्य प्रदेश मेडिकल यूनिवर्सिटी की कार्य परिषद ने प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में चल रहे 19 नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने से साफ इनकार कर दिया है। विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद ने 19 कॉलेजों पर गहन चर्चा की और मौजूदा शैक्षणिक सत्र के लिए इन 19 कॉलेजों को सम्बद्धता देने से इनकार कर दिया। जिन 19 नर्सिंग कॉलेजों को संबद्धता नहीं दी गई है वे प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में संचालित हो रहे हैं और उनके द्वारा संबद्धता पाने के लिए पुरजोर कोशिश की गई लेकिन पूर्व की गड़बड़ियों और नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल के द्वारा मान्यता खत्म करने को आधार बनाकर मेडिकल यूनिवर्सिटी ने इन्हें सम्बद्धता नहीं दी।

सबसे ज्यादा ग्वालियर के 6 कॉलेजों को नहीं मिली संबद्धता

प्रदेश की एकमात्र मेडिकल यूनिवर्सिटी जबलपुर में संचालित है, हाल ही में हुई मेडिकल यूनिवर्सिटी की कार्य परिषद की बैठक में जिन 19 कॉलेज को मान्यता देने से इनकार किया गया है उनमें सबसे ज्यादा ग्वालियर के कॉलेज शामिल हैं इसके अलावा भोपाल के तीन धार और दतिया के दोनों कॉलेजों के अलावा जबलपुर और इंदौर के एक-एक कॉलेज शामिल हैं।

फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद हुई थी कार्यवाही 

नर्सिंग की पढ़ाई को कमाई का जरिया बनाने वाले धंधेबाजों के खिलाफ प्रदेश में बड़ी कार्यवाही की गई थी प्रदेश भर में हुई जांच के दौरान इस बात का खुलासा हुआ था कि दो-दो कमरों में नर्सिंग कॉलेजों का संचालन किया जा रहा था इसके अलावा डुप्लीकेट फैकल्टी का मामला भी कई दिनों तक सुर्खियों में रहा एक-एक शिक्षक की कई-कई कॉलेजों में नियुक्ति दिखाकर नर्सिंग कॉलेज का संचालन किया जा रहा था इसके बाद नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल यानि NRC के द्वारा 19 नर्सिंग कॉलेज की मान्यता ही खत्म कर दी गई थी अब उन पर मेडिकल यूनिवर्सिटी ने भी अपना हंटर चला दिया है।

न्यायसम्मत लेंगे फैसला - परीक्षा नियंत्रक 

प्रदेश के 19 नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता के खत्म होने के बाद अब विश्वविद्यालय प्रशासन को भी छात्रों की चिंता सता रही है हालांकि प्रशासन का साफतौर पर कहना है कि जिन कॉलेजों की मान्यता पहले से ही खत्म है वे आखिर नए विद्यार्थियों को प्रवेश क्यों देंगे? इस संबंध में मेडिकल यूनिवर्सिटी के परीक्षा नियंत्रक डॉक्टर सचिन कुचया का कहना है कि विश्वविद्यालय के द्वारा विस्तृत समीक्षा कर न्याय सम्मत फैसला लिया जाएगा।

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