BHOPAL. मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। वोटिंग के लिए उतने ही दिन बचे हैं जितने आप अंगुलियों पर गिन सकते हैं। जबलपुर पश्चिम विधानसभा हॉट सीट बन गई है। कांग्रेस सरकार में वित्त मंत्री रहे तरुण भनोट का यहां 10 साल से कब्जा है। इस सीट को जीतने के लिए बीजेपी ने सांसद राकेश सिंह पर दांव खेला है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कभी-कभी विधानसभा चुनाव जीतना लोकसभा चुनाव से ज्यादा मुश्किल हो जाता है। ऐसे में राकेश सिंह, तरुण भनोट को कैसे चुनौती दे पाएंगे, ये देखना दिलचस्प होगा। हम आपको बता रहे हैं कि जबलपुर पश्चिम सीट पर कैसे समीकरण बन रहे हैं...
कांटे की टक्कर
बीजेपी ने पिछले कुछ सालों में मध्यप्रदेश की कई लोकसभा सीटों पर जीत का परचम लहराया है। इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर और सतना लोकसभा सीट इसमें शामिल हैं। राजनीतिक पंडित मानते हैं कि सालों से लोकसभा सीट पर काबिज सांसदों को जब विधानसभा चुनाव लड़ाया जाता है तो उन्हें कांटे की टक्कर का सामना करना पड़ता है।
जबलपुर पश्चिम सीट की वर्तमान स्थिति
जबलपुर पश्चिम सीट पर कांग्रेस के तरुण भनोट विधायक हैं। बीजेपी ने इस सीट पर 1998 से कब्जा कर रखा था। 2013 में तरुण भनोट ने बीजेपी के हरेंद्र सिंह 'बब्बू' के खिलाफ 1 हजार से भी कम वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी। वहीं 2018 में भनोट ने अपनी जीत का अंतर 18 से ज्यादा वोटों तक बढ़ा लिया था। ऐसे में वे राकेश सिंह के लिए मजबूत चुनौती पेश कर सकते हैं।
मुख्य मुकाबला बीजेपी-कांग्रेस के बीच, तीसरा कोई नहीं
जबलपुर लोकसभा क्षेत्र में 8 विधानसभा सीटें हैं। 4 सीटों पर बीजेपी और 4 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। इसमें से 4 शहरी सीटों में से 3 पर कांग्रेस काबिज है। इसमें जबलपुर पूर्व, जबलपुर पश्चिम और जबलपुर (मध्य-उत्तर) शामिल हैं। सभी सीटों पर मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही है। तीसरा मोर्चा कोई दिखाई नहीं देता।
जबलपुर पश्चिम सीट पर जातिगत समीकरण
जबलपुर पश्चिम विधानसभा में 2 लाख 18 हजार 903 मतदाता हैं। इसमें से 1 लाख 11 हजार 672 पुरुष और 1 लाख 7 हजार 220 महिला वोटर्स हैं। यहां अनुसूचित जाति के 13 फीसदी वोटर्स हैं। अनुसूचित जनजाति वर्ग के सबसे कम 4 फीसदी और सबसे ज्यादा 45 फीसदी सामान्य वर्ग को वोटर्स हैं। 23 फीसदी ओबीसी मतदाता हैं। इसके अलावा 15 फीसदी वोटर्स अल्पसंख्यक वर्ग से आते हैं।
बीजेपी सांसद राकेश सिंह के सामने क्या चुनौती ?
बीजेपी सांसद राकेश सिंह का ये पहला विधानसभा चुनाव है। बीजेपी कार्यकर्ताओं का कहना है कि राकेश सिंह को नहीं पता कि विधायक या पार्षद को किस तरह का जनसंपर्क रखना होता है। जब हम उनके पास समस्याएं लेकर जाते थे तो वे कहते थे कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। वे बीजेपी के बड़े नेता हैं। घर-घर जाकर हाथ जोड़कर वोट मांगना उनके लिए आसान नहीं होगा।
सिख वोटर्स का विरोध
जबलपुर पश्चिम में करीब 20 से 22 हजार सिख वोटर्स हैं। ये हरेंद्र सिंह 'बब्बू' का समर्थन कर रहे हैं। उन्हें बीजेपी ने टिकट नहीं दिया है। अब सिख वोटर्स राकेश सिंह के विरोध में खड़े हो सकते हैं। ये विरोध बड़ा अंतर पैदा कर सकता है।
दोनों दिग्गजों की साख का सवाल
जबलपुर पश्चिम सीट पर 2 दिग्गजों की साख दांव पर लगी हुई है। राकेश सिंह बीजेपी के और तरुण भनोट कांग्रेस के दिग्गज हैं। अब सवाल सिर्फ हार या जीत का नहीं है। ये विधानसभा चुनाव जीतना दोनों की साख का सवाल है। दोनों ये सीट जीतने के लिए सबकुछ लगा देंगे, लेकिन बाजी किसके हाथ लगेगी, इसके लिए थोड़ा इंतजार तो करना ही होगा।