कुरता फाड़ सीरीज का पहला चरण पूरा हुआ। अब इज्जत तार-तार अभियान चल रहा है। वो भी जुबान से। मसालेदार जुबान। इसमें कार्यकर्ता और जनता तालियों का तड़का लगा रहे हैं। नेताजी भी मंच से गदगद। पर इससे जिसके बार में कहा जा रहा उससे ज्यादा खुद की इज्जत तार तार हो रही। चुनाव में हर गाली की ताली को नेताजी वोट कारखाना मानते हैं।
इस वक्त इस गाली, ताली कारखाने का उत्पादन शीर्ष पर है। कांग्रेस में कमलनाथ ने गाली खाने की पॉवर ऑफ अटॉर्नी दिग्विजय सिंह को दे दी है। अब बीजेपी के इंदौर विधानसभा एक के प्रत्याशी कैलाश विजयवर्गीय सामने आए हैं। 68 साल के कैलाश विजयवर्गीय ने दिग्विजय सिंह को कहा है कि अयोध्या में राम मंदिर बन गया है। वे सोनिया आंटी को लेकर दर्शन को चले जाएं।
कैलाश यहीं नहीं रुके, उन्होंने दिग्विजय को भी नसीहत दे डाली। बोले जवानी में जो भूलें हुई हैं, उसका प्रायश्चित कर लें। भगवान राम बड़े दयालु हैं, सबको माफ कर देते हैं। इस सनातनी प्रवचन से एक और बात निकली। क्या 60 से ज्यादा उम्र वाले सभी दादा, नाना वाले नेताओं को रामलला के दर्शन करके संन्यास नहीं अपना लेना चाहिए।
दिग्विजय, कमलनाथ, कैलाश विजयवर्गीय, शिवराज सिंह चौहान ऐसे ही 60 प्लस वाले करीब 100 नेता मध्यप्रदेश में दोनों दलों को मिलाकर सक्रिय हैं। सभी सनातनी परंपरा का हवाला भी देते हैं। इसी परंपरा में कर्म व्यस्था को चार आश्रम में विभाजित किया गया है। ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास। उम्र को औसत 100 साल मानकर 4 आश्रम बनाए गए थे। अब चूंकि उम्र का औसत खिसककर 80 हो गया है तो इन 4 वर्णों को भी ऐसे ही बांटना होगा। यानी 60 से ऊपर वाले सभी नेताओं को प्रभु श्री राम के दर्शन करके संन्यास ले लेना चाहिए। मंदिर बन ही गया है। राजनीति के मंदिर में भी थोड़ी सफाई हो जाएगी।
पंकज मुकाती
( द सूत्र के संपादक )