BHOPAL. मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने एकतरफा जीत हासिल की। बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह की एक रणनीति की चर्चा जोरों से हो रही है। ये रणनीति सपा-बसपा को मदद करने की थी। दरअसल, अमित शाह ने चुनाव प्रचार के दौरान एक बैठक में पूछा था कि बीएसपी वालों को खर्चा-पानी देते हो कि नहीं। उनका इशारा सपा-बसपा प्रत्याशियों की मदद करने का था।
कांग्रेस पर भारी पड़ी शाह की रणनीति
अमित शाह ने ग्वालियर में बीजेपी नेताओं को सपा-बसपा प्रत्याशियों की मदद करने की सलाह दी थी। नतीजों के बाद ये साफ हो गया कि शाह की नीति कांग्रेस पर कितनी भारी पड़ गई। 29 सीटें ऐसी हैं जिन पर कांग्रेस की हार का अंतर सपा-बसपा प्रत्याशी को मिले वोटों से कम है।
अन्य दलों ने उतारे थे इतने प्रत्याशी
मध्यप्रदेश चुनाव में बसपा ने 178, समाजवादी पार्टी ने 70, आम आदमी पार्टी ने 66, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने 52 और AIMIM ने 4 प्रत्याशी उतारे थे। 28 सीटों पर सपा, बसपा और गोंगपा के होने से कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। वहीं रतलाम की सैलाना सीट पर भारत आदिवासी पार्टी के प्रत्याशी ने जीत हासिल की। इस पार्टी ने राजस्थान में भी 3 सीटें जीती हैं।
ग्वालियर-चंबल
ग्वालियर-चंबल संभाग की 34 सीटों में से 7 सीटों पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। तीसरे मोर्चे की मौजूदगी एक बड़ी वजह बनी। बसपा प्रत्याशियों ने काफी वोट बटोरे।
बुंदेलखंड
बुंदेलखंड की 26 सीटों में से सपा-बसपा की वजह से कांग्रेस 7 सीटों पर हार गई। बीजेपी 21 सीटें और कांग्रेस 5 सीटें जीत पाई।
मालवा-निमाड़
66 सीटों वाले मालवा-निमाड़ में 5 सीटों पर निर्दलीय, भारत आदिवासी, आजाद समाज पार्टी और AIMIM का असर दिखा। 3 सीटों पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा।
महाकौशल और नर्मदापुरम
महाकौशल और नर्मदापुरम में दोनों अंचल की 8 सीटों पर गोंगपा, निर्दलीय और दूसरे दल के प्रत्याशियों ने कांग्रेस को हराने में निर्णायक भूमिका निभाई। 4 सीटों पर कांग्रेस हार गई।