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BHOPAL. हमारे समाज में जिन बच्चों को भगवान का रूप कहा जाता है, अफसोस उनमें से कुछ बच्चों को बोरवेल निगल रहा है। बोरवेल में गिरने की वजह से चंद दिनों में ही खत्म हो जाती है। मध्य प्रदेश में बच्चों के बोरवेल में गिरने की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही है। राजगढ़ में मंगलवार (5 दिसंबर) को बोरवेल में 5 साल की मासूम के गिरने से हड़कंप मच गया। करीब 8 घंटे चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद 5 साल की मासूम को बाहर निकाला गया। लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। प्रदेश में पहले भी कई ऐसी घटनाएं सामने आ चुकी है। प्रशासन ने खुले बोरवेल पर सख्त कार्रवाई भी की है, लेकिन इसका कोई असर देखने को नहीं मिल रहा है।
प्रदेश में काफी मामले मासूमों के बोरवेल में गिरने के सामने आ चुके हैं। ऐसी घटनाएं सामने आने के बाद बस एक ही सवाल सभी के दिमाग में उठता है कि आखिर मासूम की जिंदगी कब तक यूं ही खतरे में रहेंगी? कब इन घटनाओं पर पूरी तरह से लगाम लगेगा।
कब-कब बोरवेल में गिरे बच्चे?
मई 2023
बैतूल जिले के सोनतलाई गांव में 6 मई 2023 को ढाई साल का मासूम बोरवेल में गिर गया था। मासूम बोरवेल की केसिंग पाइप में 10 फीट नीचे फंसा हुआ था। हालांकि बच्चे को गांव वालों ने बड़ी मुश्किल से कपड़े में फंसने के बाद बाहर निकाला था।
अप्रैल 2023
3 अप्रैल 2023 को रायसेन जिले के भानपुर गांव में 10 साल का आशीष केवट गांव के बाहर बोरवेल में गिर गया था। ग्रामीण हल्केवीर केवट अपने गांव से करीब एक किमी दूर खेत में गेहूं की फसल में हार्वेस्टर चलवा रहे थे। इसी दौरान उनका 10 साल का बेटा आशीष केवट काम करते हुए ही खुले बोरवेल में जा गिरा। ये बोरवेल करीब 100 फीट गहरा था। वह करीब 25 फीट नीचे फंस गया था। हालांकि ग्रामीणों ने उसे सुरक्षित बाहर निकाल लिया था।
मार्च 2023
मार्च 2023 में विदिशा जिले के खेरखेड़ी गांव में सात साल का लोकेश अहिरवार 60 फीट गहरे बोरवेल में गिर गया था। 24 घंटे चले रेस्क्यू आपरेशन के बाद उसे बाहर निकाला गया, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। जानकारी के मुताबिक लोकेश के माता-पिता खेत में चना की फसल काट रहे थे। इस दौरान उनका बेटा लोकेश पड़ोस के खेत में खुले पड़े बोरवेल में गिर गया था।
फरवरी 2023
फरवरी 2023 में छतरपुर जिले के ललगुवां गांव में बच्ची नैंसी विश्वकर्मा 30 फीट गहरे बोरवेल में गिर गई थी। हालांकि चार घंटे चले रेस्क्यू आपरेशन में ही उसे सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया था।
.....और भी ऐसी कई घटनाएं आई थी सामने
बैतूल में 8 साल का तन्मय भी बोरवेल में फंसा हुआ था। 55 फीट की गहराई पर फंसे तन्मय को बचाने के लिए 62 घंटे से राहत कार्य जारी था, लेकिन पानी और पत्थरों की वजह से प्रशासन को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था और मासूम के रेस्क्यू में देर होती जा रही थी। हालांकि कड़ी मशक्कत के बाद तन्मय को बोरवेल से निकाल लिया गया था, लेकिन तन्मय ने दम तोड़ दिया था। 2020 में निवाड़ी में प्रहलाद बोरवेल में गिरा था। 2022 में उमरिया में गौरव, दमोह में प्रिंस भी बोरवेल में गिरा था।
खुला मिला बोरवेल तो होगी कार्रवाई
मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत के बाद जमीन मालिक पर अपराध दर्ज हुए हैं। बोरवेल का गड्ढा खतरनाक और खुला पाए जाने पर जमीन मालिक के खिलाफ धारा 188 में कार्रवाई होती है। नलकूप खनन पर सुप्रीम कोर्ट का 2010 में आदेश आया था। इसमें बताया है कि गड्ढों को भरा जाना जरूरी है. गड्ढों को खुली हालत में छोड़ना सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना है।