BHOPAL. मध्यप्रदेश के उत्तरपूर्वी क्षेत्र विंध्य अंचल में बगावत, दलबदल और जातिवाद इस बार के विधानसभा चुनाव में निर्णायक फैक्टर साबित होने जा रहा है। विंध्याचल के सफेद शेर का शावक यानि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष के पोते सिद्धार्थ कांग्रेस से महाभिनिष्क्रमण कर संघं शरणम् गच्छामि का नारा जपते हुए बीजेपी का दामन थाम चुके हैं। तो बीजेपी का बड़ा नाम अभय मिश्रा बीजेपी का परित्याग कर चुके हैं, जल्द ही आगामी निर्णय ले लेंगे। उधर सीधी पेशाब कांड के चलते टिकट कटवा चुके केदारनाथ शुक्ला सांसद रीति पाठक के चुनाव का भी विसर्जन करने की इच्छा लिए कसमसा रहे हैं, उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है, तो मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी चुनाव तो लड़ेंगे किसकी ओर से लड़ेंगे यह तय नहीं कर पाए हैं।
एक ब्राम्हण का आगमन 2 का प्रस्थान, तीसरा हुआ बागी
विंध्याचल में ब्राम्हणवाद का तगड़ा जोर है। यह इलाका समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया की प्रयोगशाला भी रहा। लोहिया कहते थे कि जिंदा कौमें 5 साल का इंतजार नहीं करतीं। इसका मतलब एक चुनाव से दूसरे चुनाव तक बैठने नहीं बल्कि विरोध करना था। यही नारा रह रहकर विंध्य क्षेत्र में बुलंद होता रहा है। ताजा स्थिति पर गौर करें तो एक ब्राम्हण यानि सिद्धार्थ तिवारी का बीजेपी में आगमन हुआ है, तो अभय मिश्रा और नारायण त्रिपाठी के रूप में दो विप्र बीजेपी का परित्याग कर चुके हैं। सीधी विधायक केदारनाथ शुक्ला बागी तेवर अपनाते हुए निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान कर चुके हैं।
19 पर बीजेपी तो 16 पर कांग्रेस ने तय किए उम्मीदवार
विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो बीजेपी विंध्य की 19 सीटों पर अपने प्रत्याशी मैदान में उतार चुकी है, उधर कांग्रेस ने अभी पहली लिस्ट में यहां के 16 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। हालांकि कहा यह जा रहा है कि कांग्रेस की दूसरी लिस्ट में पहली लिस्ट के कुछ प्रत्याशी बदले भी जा सकते हैं। वैसे विंध्य अंचल के उत्तरप्रदेश से सटे होने की वजह से यहां बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी का भी अच्छा खासा प्रभाव है। ऐसे में उन्हें यहां नजर अंदाज नहीं किया जा सकता।
ताजा समीकरणों पर एक नजर
-सिद्धार्थ तिवारी के बीजेपी ज्वाइन करने के बाद रीवा में बीजेपी के प्रति ब्राम्हणों का झुकाव बढ़ना तय है।
- यूं तो अभय मिश्रा बीजेपी में आना-जाना करते रहे हैं, रणदीप सुरजेवाला के साथ उनकी फोटो सामने आने के बाद संभावना है कि वे कांग्रेस का दामन थाम लें, मिश्रा सेमरिया से दावेदारी कर रहे हैं।
- केदारनाथ शुक्ला सीधी पेशाब कांड के बाद दलित और ब्राम्हण वर्ग में बनी खाई के चलते निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर समीकरणों को प्रभावित कर सकते हैं।
- नारायण त्रिपाठी मैहर से कांग्रेस के प्रत्याशी भी हो सकते हैं और निर्दलीय भी चुनाव लड़ सकते हैं।