BHOPAL. भोपाल के बड़े तालाब में अब किसी भी तरह की मोटरबोट और क्रूज का संचालन नहीं हो सकेगा। इस संबंध में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने एक याचिका पर सुनवाई के बाद आदेश जारी किया है। पर्यावरणविद सुभाष पांडेय की याचिका पर सुनवाई के बाद एनजीटी ने यह फैसला सुनाया है। क्रूज और मोटर बोट पर यह बैन बड़े तालाब में ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए लगाया गया है। ट्रिब्यूनल ने आदेश में यह भी कहा कि तालाब के आसपास बनाए गए स्थाई निर्माणों को तीन महीने में गिराया जाए। याचिका पर सुनवाई के दौरान एनजीटी ने यह भी टिप्पणी की कि बड़े तालाब में टूरिस्ट के आने से यहां प्रदूषण बढ़ रहा है।
तालाब के पास स्थायी निर्माण पर भी रोक
बड़ा तालाब (लेक) में क्रूज और मोटरबोट पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही एनजीटी ने लेक के आसपास स्थायी निर्माण करने पर भी प्रतिबंध लगाया है। यह प्रतिबंध लगाते हुए एनजीटी ने आदेश दिया है कि लेक के आसपास के स्थायी निर्माण को तीन महीने के भीतर तोड़ा जाए और दोबारा किसी तरह का स्थायी निर्माण ना करने दिया जाए। एनजीटी ने कहा कि यदि लेक या बड़े तालाब के आसपास किसी तरह का स्थायी निर्माण किया जाता है तो उसे तोड़ दिया जाएगा।
बिना मोटर वाली बोट का संचालन जारी रहेगा
एनजीटी ने मोटरबोट और क्रूज पर प्रतिबंध लगाया है, लेकिन बिना मोटर वाली बोट यानी नाव पर कोई प्रतिबंध नहीं है। बिना मोटर वाली बोट को भोपाल लेक में चलाने की अनुमति जारी रहेगी।
आदेश पर लोगों का क्या कहना?
भोपाल के बड़े तालाब में मोटरबोट और क्रूज पर बैन लगाने के आदेश के बाद लोगों ने भी इस फैसले को सही ठहराया है। लोगों का मानना है कि मोटरबोट और क्रूज संचालन की वजह से लेक में प्रदूषण फैलता है, जो नुकसानदायक है। इस दौरान लोगों ने पैडलबोट को सही बताया और कहा कि इससे प्रदूषण नहीं होगा। इस दौरान कुछ लोगों ने एनजीटी के फैसले को सही बताते हुए कहा कि इस लेक का पानी लगभग पूरा भोपाल पीता है, इसलिए इसको प्रदूषित होने से बचाने के लिए एनजीटी का फैसला सही है।