झीरम घाटी हत्याकांड पर सियासी तकरार, सबूत और जांच को लेकर एक दूसरे पर बरसे रमन सिंह और सीएम भूपेश, जानें क्या कहा

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Vikram Jain
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झीरम घाटी हत्याकांड पर सियासी तकरार, सबूत और जांच को लेकर एक दूसरे पर बरसे रमन सिंह और सीएम भूपेश, जानें क्या कहा

गंगेश द्विवेदी, RAIPUR. छत्तीसगढ़ में 2013 के झीरम घाटी नक्सली हमले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के नए फैसले को लेकर सियासत सुलग गई है। झीरम घाटी हत्याकांड की जांच को लेकर एनआईए की याचिका खारिज होने के बाद बीजेपी ने कांग्रेस पर आरोपों के बौछार लगा दी हैं। पूर्व मुख्‍यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने ट्वीट कर घटना का 5 साल तक राजनी‍तिक लाभ लेने का आरोप लगाया। साथ ही बीजेपी की सरकार बनने पर इसकी निष्‍पक्ष जांच कराने की घोषणा भी कर दी। जवाब में मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल ने रमन सिंह को सीबीआई जांच करने की उनकी घोषणा याद दिलाई। इसी कड़ी में बीजेपी ने कवासी लखमा का 10 साल पुराना वीडियो एक्स पर शेयर किया है। जिसमें बीजेपी ने लिखा है कि आखिर चरण दास महंत कवासी लखमा से मुजरिम की तरह व्यवहार क्यों कर रहे हैं?।

पूर्व मुख्‍यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने साफ कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने स्‍थानीय पुलिस को जांच का आदेश दिया है, लेकिन इसमें महत्‍वपूर्ण बात यह है भूपेश जी शायद भूल रहे हैं कि जिस समय एनआईए जांच का आदेश हुआ था उस समय देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह थे और शिंदे गृहमंत्री थे। 5 साल की कांग्रेस की सरकार आई जो व्यक्ति जेब में प्रमाण होने की बात 5 साल से करता रहा और 5 साल तक उन्होंने सारे दस्तावेज को जेब से बाहर नहीं निकला अगर आपके पास सबूत है तो उसे सबूत को छुपाना भी अपराध है। मुझे लगता है कि आने वाले समय में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनेगी और तत्काल इसकी जांच होगी। जो भी इसमें दोषी पाया जाएगा उसे सजा दिलाने का काम भारतीय जनता पार्टी करेगी।

राजन‍ीतिक लाभ लेने का आरोप

इससे पहले डॉ. रमन सिंह रमन ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर मामले में 5 साल तक राजनीतिक लाभ लेने का आरोप लगाया। उन्‍होंने कहा था कि हाँ! दाऊ @bhupeshbaghel जी इस मामले की जांच से षड्यंत्र का पर्दाफाश होना चाहिए। लेकिन यह तो बताइए कि 2018 से पहले जिन्होंने झीरम के सबूत जेब में होने का दावा किया था उनका क्या होगा? 5 साल तक आपने तो झीरम जैसे गंभीर मुद्दे का राजनीतिक लाभ लिया लेकिन अब बीजेपी की सरकार बनने के बाद प्रदेश की व्यवस्था के अनुरूप इस पूरी घटना की न्यायिक जांच होगी।

बीजेपी ने पूछा- कवासी लखमा से मुजरिम जैसा व्यवहार क्यों?

बीजेपी ने अपने ऑफिसियल एक्स हैंडल पर लिखा है कि झीरम घाटी जांच पर हो हल्ला मचाते कांग्रेसी कृपया इस वीडियो पर स्पष्टीकरण दें कि विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत जी ने कवासी लखमा से एक मुजरिम की तरह व्यवहार क्यों किया था? पुलिस को अपने जेब से सबूत निकाल कर भूपेश जी कब दे रहे हैं?? दरअसल बीजेपी ने जो वी‍डियों पोस्‍ट किया है उसमें कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता चरणदास महंत कवासी लकमा पर नाराज होते दिख रहे हैं। कवासी लकमा उस समय उसी गाड़ी में थे जिसमें नंदकुमार पटेल और उनके बेटे थे। कवासी लकमा पर आरोप है कि ऐन वक्‍त पर उन्‍होंने ही रूट बदलवाया था। वीडियो में लकमा से सवाल जवाब करने के अलावा उनके जेब की तलाशी भी महंत ने ली। साथ ही उन्‍होंने इस मामले में केवल जांच एजेंसियों से बात करने की हिदायत दी, पत्रकारों से नहीं।

सीएम भूपेश ने किया सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का मैं स्वागत करता हूं कि उन्होंने एनआईए की जांच को खारिज कर छत्तीसगढ़ पुलिस को जांच का आदेश दिया। बीजेपी की सरकार ने 2016 में घोषणा की थी कि इस मामले की सीबीआई जांच कराएंगे, लेकिन केंद्र सरकार ने इस पर रोक लगाई और उस आदेश को रमन सिंह ने 2 साल तक दबाए रखा। मार्च 2018 में मैंने पत्र लिखा था कि इस मामले में क्या हुआ ? लेकिन इसका भी जवाब नहीं दिया गया। जब हम लोग सरकार में आए तो सारे तथ्य हमारे सामने थे और एसआईटी का गठन हमने किया, लेकिन इसके खिलाफ एनआईए कोर्ट चली गई। इन लोगों ने लगातार कोर्ट के माध्यम से जांच रोकने की कोशिश की। लेकिन आखिर में सुप्रीम कोर्ट ने रास्ता साफ किया कि छत्तीसगढ़ पुलिस केस की जांच करेगी और जो राजनीति षड़यंत्र हुआ था उसका खुलासा होगा।

बीजेपी के आरोपों पर बोले सीएम भूपेश

बीजेपी की ओर से 5 साल तक सबूत छुपाने के आरोप पर सीएम भूपेश ने कहा कि अब वह सारे सबूत सामने आएंगे। एसआईटी का गठन हो गया है, सुप्रीम कोर्ट का आदेश हो गया है, निश्चित रूप से कौन-कौन लोग षड़यंत्रकारी हैं, उनसे पूछताछ होगी। एनआईए ने तो वहां जो घटना उपस्थित लोग थे उनसे कोई पूछताछ नहीं कि अब सारे तथ्‍य एक-एक करके सामने आएंगे।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से एनआईए को झटका

बता दे कि झीरम घाटी नक्सली हमले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए की याचिका को खारिज कर दिया है। जिससे इस हमले की जांच कर रही एनआईए को बड़ा झटका लगा है। अब इस मामले की जांच छत्तीसगढ़ पुलिस कर सकेगी। राज्य सरकार इस मामले की जांच करा सकेगी। कोर्ट ने एनआईए की याचिका को खारिज करते हुए छत्तीसगढ़ पुलिस को मामले की जांच करने की अनुमति दे दी है। कोर्ट ने कहा है हम इस मामले में दखल नहीं देंगे।

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