संजय गुप्ता, INDORE. राज्य सेवा परीक्षा 2022 की प्री के दो सवालों को लेकर उठे सवालों के बीच इंदौर हाईकोर्ट बेंच ने अलग-अलग 71 उम्मदीवारों की याचिका पर अंतरिम राहत देते हुए उन्हें मैंस में सशर्त बैठने की मंजूरी दी है। मप्र लोक सेवा आयोग प्रवक्ता डॉ. रविंद्र पंचभाई ने साफ कहा है कि जो हाईकोर्ट का आदेश होगा उसका पालन किया जाएगा। वहीं इस मामले में हाईकोर्ट की दो अलग-अलग बैंच के अलग-अलग आदेश आए है। 50 से ज्यादा याचिकाकर्ताओं ने इसी मामले में जबलपुर हाईकोर्ट में जो याचिका दायर की थी, इसमें उन्हें अंतरिम राहत नहीं मिली है और मेरिट पर सुनवाई की बात कही। उधर जो याचिकाकर्ता इंदौर हाईकोर्ट बेंच में गए हैं, उन्हें अंतरिम राहत मिल गई है।
तीन अक्टूबर पर रहेगी नजरें
इंदौर हाईकोर्ट ने अभी अंतरिम राहत दी है, लेकिन इस मामले में तीन अक्टूबर अगली तारीख लगाई है और माना जा रहा है कि इस दौरान वह मेरिट पर सुनवाई करेगा। यदि पीएससी का तर्क खारिज होता है और दो प्रश्नों को डिलीट करने को हाईकोर्ट गलत पाता है तो फिर ऐसे में फिर से प्री का रिजल्ट रिवाइज्ड करना होगा, इसके बाद मेरिट सूची में बदलाव होगा और साथ ही 30 अक्टूबर से घोषित मैंस परीक्षा का आगे बढ़ना तय हो जाएगा।
पीएससी पेश कर रही है विशेषज्ञ कमेटी की रिपोर्ट
पीएससी ने जबलपुर हाईकोर्ट में अपनी विशेषज्ञ कमेटी की रिपोर्ट पेश की थी और इस आधार पर बताया था कि दोनों प्रश्नों को कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ही डिलीट किया गया है। इस रिपोर्ट के बाद हाईकोर्ट ने तत्काल दखल देने और उम्मीदवारों को अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया। अब यह रिपोर्ट पीएससी इंदौर हाईकोर्ट में भी रख रहा है।
जिन्हें राहत मिली उन्हें यह करना होगा
जिन उम्मीदवारों को मैंस के फार्म भरने के लिए मंजूरी मिली है, उन्हें हाईकोर्ट के आदेश के साथ इसकी जानकारी आयोग को देना होगी। इसके आधार पर आयोग इनके लिए मैंस फार्म भरने की विंडो फिर से ओपन करेगा और यह फार्म भर सकेंगे। आयोग ने साफ कर दिया है कि हाईकोर्ट का आदेश का पालन किया जाएगा।
भारत छोड़ो आंदोलन और राज्य निर्वाचन आयोग के दो सवाल
राज्य सेवा परीक्षा 2022 की प्री में दो सवालों को लेकर विवाद है। आयोग ने भारत छोड़ो आंदोलन कब शुरू हुआ और राज्य निर्वाचन आयोग का गठन कब हुआ इन पर सवाल पूछा था। आयोग ने पहले इनके आंसर की में जवाब दिए, लेकिन इसके बाद उम्मीदवारों ने आपत्ति लगाई कि यह सही नहीं है, इसके बाद आयोग ने दूसरी आंसर की जारी करते हुए इन दोनों ही सवालों को डिलीट कर दिया और सौ की जगह 98 प्रश्नों के अंकों के आधार पर रिजल्ट जारी किया। वहीं याचिकाकर्ता उम्मीदवारों का कहना है कि यदि आयोग यह डिलीट नहीं करता तो उनका चयन मैंस के लिए हो जाता, यह गलत डिलीट किए हैं। इस आधार पर उम्मीदवारों को यह राहत मिली है। हालांकि यह सशर्त है। यदि मेरिट में सुनवाई पर हाईकोर्ट पाता है कि आयोग का यह कदम गलत था तो फिर से रिजल्ट बनेगा और नया रिजल्ट जारी करना होगा, जिसमें कई उम्मीदवार अंदर-बाहर हो सकते हैं।