संजय गुप्ता, INDORE. राज्य सेवा परीक्षा 2019 की विज्ञप्ति पांच साल पहले 2018 में जारी हुई थी, 571 पदों के लिए। हद यह है कि यह परीक्षा का अंतिम रिजल्ट आज तक जारी नहीं हुआ है और ना ही हाल-फिलहाल में होगा। आखिरकार इस बार पीएससी हाईकोर्ट चला गया है और डबल बेंच में रिट पिटीशन दायर कर दी है। यह कब सुनवाई पर आएगी, इसकी अभी तारीख नहीं आई है। पीएससी प्रवक्ता डॉ. रविंद्र पंचभाई ने याचिका लगाए जाने की पुष्टि की है। उधर राज्य सेवा परीक्षा 2021 मेंस का रिजल्ट तैयार है, उम्मीद की जा रही है दो-तीन दिन में यह किसी भी दिन जारी हो सकता है।
इन मुद्दों के लेकर आयोग गया हाईकोर्ट
हाईकोर्ट जबलपुर के दो फैसले के चलते आयोग इसमें अपील में गया है। एक आदेश नार्मलाइजेशन करने के लिए आया था, जो उम्मीदवार पहले मेंस में पास हुए थे और फिर हाईकोर्ट के आदेश से जो स्पेशल मेंस हुई थी, उसमें पास उम्मदीवारों को लेकर। वहीं दूसरा मुद्दा तब आया जब आयोग द्वारा घोषित रिजल्ट में पास उम्मीदवारों के इंटरव्यू हो चुके थे और केवल हाईकोर्ट के आदेश से पूर्व में पास और फिर दूसरे रिजल्ट में फेल घोषित अपीलकर्ता 240 उम्मीदवारों के इंटरव्यू शेड्यूल कर चुका था। लेकिन हाईकोर्ट ने एक याचिकाकर्ता की याचिका पर आदेश दिया कि वह केवल अपीलकर्ता उम्मीदवारों के इंटरव्यू ना लेकर सभी पहले पास और बाद में फेल घोषित सभी 389 उम्मीदवारों के इंटरव्यू लें। इसके बाद आयोग के सामने यह भी सवाल उठा कि यदि इन सभी को पास मानेंगे तो फिर इन्हें किस कैटेगरी 87 में रखेंगे या 13 में और फिर नार्मलाइजेशन किस स्तर पर करना है? इसके बाद आयोग ने पूरे मामले में असमंजस को दूर करने के लिए हाईकोर्ट ही जाना बेहतर समझा।
यानि अब रिजल्ट का क्या होगा?
यानि अब रिजल्ट नहीं आने वाला है। जब तक हाईकोर्ट इस मामले में आयोग को स्थिति क्लीयर नहीं कर देता है तब तक आयोग के सामने यह सवाल खड़े रहेंगे और इसके लिए स्थिति असमंजस वाली रहेगी। या तो हाईकोर्ट पूरा स्पीकिंग आर्डर जारी करे या फिर याचिका खारिज होती है तो फिर आयोग विधिक सलाह लेकर सभी 389 के इंटरव्यू लें और फिर मेरिट के आधार पर अपने स्तर पर 87-13 फार्मूले को लागू कर रिजल्ट जारी करने की हिम्मत जुटाए। लेकिन इन सभी मामले में देर होना तय है, वो भी कुछ दिन की नहीं लंबी देर, जिस पर कोई स्थिति स्पष्ट नहीं है।
साल 2019 एक अंतहीन कहानी
राज्य सेवा परीक्षा 2019 की प्री साल 2020 में हुई थी, एक बार मेंस, फिर एक स्पेशल मेंस हो चुकी है। इंटरव्यू हो चुके हैं, लेकिन दो बार जारी प्री के रिजल्ट, मेंस के रिजल्ट के कारण अलग-अलग बने रिजल्ट के चलते इस परीक्षा में पेंच फंसा है। आयोग ने पहले भी हाईकोर्ट के नार्मलाइजेशन संबंधी आदेश के बाद इस मामले में स्पष्टीकरण के लिए रिट पिटीशन लगाई थी लेकिन वह खारिज हो चुकी है। यह मंजूर होती तो आयोग को और स्थिति क्लियर हो जाती कि इन फेल अभ्यर्थियों को लेकर किस तरह से आगे बढ़ना है, उन्हें किस कैटेगरी 87 या 13 फीसदी में रखना है और अन्य मुद्दे भी। आयोग की दुविधा यह है कि एक और परीक्षा नियम गलत बताने वाला फैसला आया, जिसके बाद आयोग ने पुराना रिजल्ट शून्य कर नए सिरे से अक्टूबर 2022 में प्री का रिजल्ट जारी किया। इसके बाद दूसरा फैसला आया कि रिमेंस नहीं केवल नए सिरे से चयनित उम्मीदवारों की मेंस हो। फिर एक फैसला आया नार्मलाइजेशन करा जाए। एक अन्य आदेश आया जिन्हें फेल किया 389 उन सभी के इंटरव्यू भी लिए जाएं। वहीं कुछ उम्मीदवारों ने सुप्रीम कोर्ट में केस लगा दिया कि रिजल्ट शून्य हुआ तो फिर रिमेंस होना थी। वहीं मप्र हाईकोर्ट कह चुका कि रिमेंस की जरूरत ही नहीं थी। किसी भी एक प्रक्रिया से रिजल्ट पर मुहर नहीं लग रही है और अलग-अलग आदेशों के चलते पूरी खिचड़ी बन चुकी है।
सेट के रिजल्ट पर 87-13 फार्मूले से विवाद भी
उधर आयोग ने वोटिंग खत्म होने के बाद सोमवार को ही 34 विषयों में हुई सेट में से तीन विषयों के रिजल्ट जारी कर दिए हैं। इसमें कामर्स, होम साइंस और लाइब्रेरी एंड इनफार्मेशन साइंस के रिजल्ट है। एक-एक कर आयोग रिजल्ट अब लगातार जारी करता रहेगा। लेकिन इसमें भी विवाद शुरू हो गया है। आयोग ने इस पात्रता परीक्षा के लिए भी 87-13 फीसदी का नियम लगा दिया है। इसके अनुसार ही वह पदों के विरुदूध जारी होने वाले पात्रता सर्टिफिकेट को इस फार्मूले में बांटेगा और अभी केवल 87 फीसदी फार्मूले में आ रहे उम्मीदवारों को ही सर्टिफिकेट जारी होगा, बाकी 13 फीसदी वालों के लिफाफे बंद रहेंगे और यह कोर्ट के आदेश के बाद ही खुलेंगे। वहीं उम्मीदवारों की आपत्ति है कि यह तो पत्रता परीक्षा है और यूजीसी नियमों से होती है तो फिर इसमें क्यों यह फार्मूला लगा है, जबकि आयोग खुद ही इस परीक्षा को यूजीसी नियमों से ही कराने की बार-बार बात कर चुका है।
20 दिन में तीन परीक्षाओं से नाराज उम्मीदवार
उधर दिसंबर में रिशेडयूल हुई राज्य सेवा परीक्षा मेंस 2022 के बाद 20 दिन में तीन परीक्षाओं से उम्मीदवार नाराज है। वह खासकर 17 दिसंबर को होने वाली राज्य सेवा प्री और वन सेवा 2023 और फिर 8 दिन बाद ही होने वाली राज्य सेवा मेंस 2022 को लेकर खासे चिंतित है। उम्मीदवारों का कहना है कि दोनों ही परीक्षाओं का सिलेबस, पैटर्न सब अलग है, ऐसे में कम से कम एक महीना का समय होना चाहिए। उधर 10 दिसंबर को राज्य वन सेवा मेंस 2022 भी होना है।
इधर आयोग ने लिया फैसला अब डिलीट प्रश्नों के अंक सभी को मिलेंगे
उधर आयोग ने राज्य सेवा प्री 2022 के दो प्रश्नों के डिलीट करने को लेकर उठे विवाद के बाद यह फैसला लिया है कि अब कोई भी प्रश्न यदि प्री या लिखित परीक्षा में डिलीट किया जाता है तो उसके अंक सभी को मिलेंगे। अभी तक आयोग इन प्रश्न को डिलीट कर कुल स्कोर में से वह अंक कम कर देता था। जैसे प्री के रिजल्ट में सौ प्रश्न की जगह 98 प्रश्नों के आधार पर अंक दिए गए और मेरिट बनी। आयोग को इससे राहत यह मिलेगी कि कोई भी उम्मीदवार इस आधार पर याचिका नहीं लगा पाएगा कि यह प्रश्न डिलीट होने से अंक नहीं मिले और परीक्षा पास नहीं कर पाया, जिसे 71 उम्मीदावरों को हाईकोर्ट ने इसी आधार पर मेंस में बैठने की राहत दे दी थी। अब आयोग इस लिटीगेशन से बच सकेगा।
पीएससी प्रवक्ता पंचभाई विविध मुद्दों पर यह बोले
पीएससी प्रवक्ता डॉ. रविंद्र पंचभाई ने द सूत्र से कहा कि राज्य सेवा परीक्षा 2019 को लेकर कानूनी मुददे थे, इसलिए आयोग को हाईकोर्ट की डबल बेंच में रिट पिटीशन दायर करना पड़ी, यह पिटीशन लग गई है। हालांकि अभी सुनवाई पर नहीं आई है। राज्य सेवा 2021 मेंस के रिजल्ट को लेकर कहा कि काम चल रहा है जल्द ही जारी होगा। वहीं राज्य सेवा प्री 2023 और राज्य सेवा मेंस 2022 में ज्यादा गेप नहीं होने के मुद्दे पर कहा कि अभी तो तारीख बदलने पर कोई विचार नहीं है, परीक्षा टलने से उम्मीदवार ही परेशान होते हैं। पंचभाई ने यह भी कहा कि आयोग रिजल्ट, इंटरव्यू सहित कई मुद्दों में लग गया है। जल्द ही सभी जानकारियां आयोग की साइट पर आती रहेंगी।