संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर नगर निगम की माली हालत खस्ता है। ठेकेदारों का 600 करोड़ से ज्यादा बकाया है। हालत यह है कि यहां के सबसे बड़े जाने-माने ठेकेदार 65 वर्षीय अमरजीत सिंह उर्फ पप्पू भाटिया ने राशि का भुगतान नहीं होने के चलते दबाव में जान दे दी। उनके भाई सुख्खी भाटिया का सीधा आरोप है कि निगम ने 20 करोड़ का भुगतान रोक रखा था। बावजूद इसके वर्क ऑर्डर पूरे करने के लिए अफसर ब्लैक लिस्ट करने की धमकी दे रहे थे। इससे वे परेशान थे। भाई पम्मी भाटिया और अन्य परिजन का कहना है कि वे समाजजन के साथ निगम का घेराव करेंगे।
एसिड पीकर भाई को किया था फोन, अब नहीं बचूंगा
अमरजीत सिंह पप्पू भाटिया निवासी रेसकोर्स रोड रविवार को अपनी कार से घर से निकले कुछ देर बाद उन्होंने भाई को कॉल कर तबीयत खराब होने की बात कही। अपनी लोकेशन लैंटर्न चौराहे की बताई और कहा कि मैं अब नहीं बचूंगा। भाई सुख्खी भाटिया तत्काल मौके पर पहुंचे और बेसुध मिलने पर भाई को अपोलो अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां डॉक्टरों ने जहर की आंशका जताई। इस बीच इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। सोमवार (4 नवंबर) को तुकोगंज पुलिस ने उनका पोस्टमार्टम कराया।
कारोबार के लिए लेना पड़ रहा था बाजार से कर्जा
भाटाय को अपने 600 कर्मचारियों के वेतन और 225 से ज्यादा गाड़ियों का मेंटेनेंस मुश्किल हो गया था। बिजनेस चलाने के लिए बाजार से ब्याज पर पैसे लेने को विवश हो गए थे। इसी के दबाव में आकर उन्होंने खुदकुशी कर ली। जनवरी में हुए प्रवासी भारतीय सम्मेलन के दौरान किए गए कार्य को लेकर पूर्व सिटी इंजीनियर के साथ विवाद की बात भी सामने आई है।
उधर निगम का दावा 22 करोड़ दे दिए थे, 14 ही बाकी थे
उधर निगम अफसरों का दावा है कि सात माह में उन्हें 22 करोड़ का भुगतान किया गया था। करीब दो करोड़ तो कुछ दिन पहले ही दिए गए थे। 14 करोड़ के बिल प्रक्रिया में थे। भुगतान रोके जाने वाली कोई बात नहीं है। निगमायुक्त हर्षिका सिंह ने कहा कि हर 15 दिन में भुगतान किया है। कुछ दिन पहले भी दो करोड़ जारी किए थे। 14 करोड़ के बिल प्रोसेस में थे। प्रारंभिक रूप से पुराने सिटी इंजीनियर के साथ कुछ इशू की बात सामने आई है।
दिवाली के पहले भी भुगतान को लेकर हुआ था विवाद
दीपावली के पहले भी नगर निगम में करोड़ों का भुगतान रोके जाने को लेकर ठेकेदारों ने हंगामा किया था। आचार संहिता के पहले कुछ पार्षदों ने भाटिया से काम शुरू करने के लिए बात की तो परेशान होकर यही गुहार लगाई थी कि मेरा भुगतान दिला दीजिए। कर्ज बहुत हो गया है।
दबाव बनाने में कर देते थे टुकड़े में भुगतान
भाई सुक्खी ने आरोप लगाया कि प्रवासी भारतीय सम्मेलन में उनसे करोड़ों का काम कराया। जब बात करते निगम से कुल बकाया का 5-10 फीसदी ही दे रहे थे। दूसरी तरफ अफसर वर्क ऑर्डर पूरा करने का दबाव बना रहे थे। काम नहीं करने पर ब्लैक लिस्ट करने की धमकी दे रहे थे।
सालों से हालत खराब है निगम की
काफी समय से निगम की आर्थिक स्थिति गड़बड़ाई हुई है। निगम पर ठेकेदारों का 600 करोड़ से ज्यादा बकाया है। ठेकेदार वर्क ऑर्डर जारी होने के बाद भी काम के लिए तैयार नहीं हैं। वेतन देने के लिए भी बैंक से लोन लेना पड़ा है। भुगतान नहीं होने के कारण ज्यादातर प्रोजेक्ट भी अधूरे पड़े हैं।
निगम में हर काम की दवा थे भाटिया
प्रवासी भारतीय सम्मेलन का टेंडर अन्य ठेकेदार को मिला था, लेकिन पूर्व सिटी इंजीनियर ने काम भाटिया से कराया। उसका 7-8 करोड़ का भुगतान बाकी है। जब कोई ठेकेदार तैयार नहीं होता था तो अधिकारी भाटिया से काम कराते थे। निगम में कोई भी मौके पर काम हो तो सभी को एक ही नाम याद आता था पप्पू का। उन्हें फोन किया जाता और वह भी विश्वास में पूरा काम करके देते थे। लेकिन भुगतान में देरी होती रही। स्वच्छता अभियान हो, प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा हो, निगम के बड़े आयोजन या उज्जैन सिंहस्थ में इंदौर निगम के काम अफसरों ने भाटिया से ही कराए। कुछ भुगतान ऐसे भी थे जो काम उनके नाम पर नहीं थे लेकिन काम उन्होंने ही किए थे।