GST ट्रिब्यूनल इंदौर में बनाने के लिए HC में लगी याचिका, द सूत्र का खुलासा ही याचिका का मुख्य आधार, बदला गया इंदौर का प्रस्ताव

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BP Shrivastava
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GST ट्रिब्यूनल इंदौर में बनाने के लिए HC में लगी याचिका, द सूत्र का खुलासा ही याचिका का मुख्य आधार, बदला गया इंदौर का प्रस्ताव

संजय गुप्ता, INDORE. भारत सरकार ने जीएसटी ट्रिब्यूनल गठित करने का नोटिफिकेशन 14 सितंबर को जारी मप्र के लिए एक ही बेंच भोपाल में बनाने का फैसला लिया था। द सूत्र ने उसी समय खुलासा किया था कि गुपचुप भोपाल से प्रस्ताव बदला गया है, क्योंकि जीएसटी काउंसिल में साल 2020 में ही इंदौर का प्रस्ताव बन चुका है और पास भी होकर जीएसटी के मिनिट्स में जारी हो गया था। अब इस मामले में टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन (टीपीए) इंदौर ने हाईकोर्ट इंदौर बेंच में याचिका दायर कर दी है और एक बेंच इंदौर में बनाने की मांग की है।

याचिका में दिया गया है काउंसिल के फैसले का हवाला

याचिका में द सूत्र के किए गए खुलासे के अनुसार ही काउंसिल की 18 दिसंबर 2019 को हुई मीटिंग का हवाल दिय गया है। इशमें कहा गया है कि दिल्ली में यह बैठक हुई थी और इसमें मप्र शासन की ओर से एजेंडा 15 में जीएसटी ट्रिब्यूनल की बेंच इंदौर में बनाने का प्रस्ताव पास हुआ था। इस मीटिंग के मिनिट्स भी याचिका में लगाए गए हैं। टीपीए सचिव अभय शर्मा ने कहा कि हमने याचिका दायर कर दी है, सभी तथ्य और दस्तावेज लगाए हैं। भारत सरकार ने मप्र से भी जनसंख्या वाले राज्यों में दो-दो शहरों को बेंच दी है, लेकिन मप्र जैसे बड़े राज्य में एक ही बेंच है और इसमें भी व्यावसायिक राजधानी इंदौर को चिन्हित नहीं किया है। जबकि पहले मप्र शासन इंदौर का प्रस्ताव रख चुका है।

प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी ने द सूत्र से पहले यह कहा था

वहीं विभाग की प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी ने द सूत्र से कहा था कि ट्रिब्यूनल गठित होता, उसका स्वरूप क्या होगा, इसके लिए एक्ट में संशोधन तो अभी ही काउंसिल ने जारी किया है, दो माह ही हुए हैं। इसके बाद उन्होंने प्रस्ताव मांगा था, जो भोपाल का गया था, पहले क्या हुआ मुझे इसकी जानकारी नहीं है। भोपाल का अब यह अतिरिक्त प्रस्ताव गया या किसी अन्य शहर का पहले गया, इसकी जानकारी मुझे नहीं है।

इंदौर के लिए लंबे समय से हो रही थी मांग

ट्रिब्यूनल इंदौर में स्थापित करने के लिए लंबे समय से मांग हो रही थी और हवाला दिया जा रहा था कि यहां ही स्टेट जीएसटी का मुख्यालय है, व्यावसायिक राजधानी है, इंकमटैक्स ट्रिब्यूनल भी यहीं है, लेकिन इन मांगों को दरकिनार कर भोपाल में स्थापित करने का नोटिफिकेशन हो गया। बताया जाता है कि काउंसिल ने भी कहा था कि हमारी ट्रिब्यूनल गठन के लिए प्राथमिकता होगी कि जहां पर हाईकोर्ट है, वहां ही बनाया जाए, लेकिन नोटिफिकेशन के बाद जानकार भी चौंक गए कि भोपाल में तो हाईकोर्ट भी नहीं है।

कांग्रेस की राज्य सरकारें दो-दो लेने में रही कामयाब

केंद्र और राज्य में बीजेपी सरकार यानी डबल ईंजन की सरकार के चलते माना जा रहा था कि इंदौर की मांग मान ली जाएगी। सांसद शंकर लालवानी ने भी वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण से मिलकर पक्ष रखा था, लेकिन बात नहीं बनी। उधर, कांग्रेस सरकार वाले राज्य राजस्थान (जयपुर और जोधपुर में), कर्नाटक दो-दो बेंच (बेंगलुरू में ही) लेने में सफल रहे, साथ ही छत्तीसगढ़ जैसे छोटे राज्य में बेंच भले ही एक गठित करने का नोटिफिकेशन है, लेकिन इसके लिए रायपुर और बिलासपुर दोनों शहर ही नोटिफाई किए हैं, यानी एक जगह बेंच होगी और दूसरे शहर में भी इसका सेटअप बनेगा, जहां नियमित अंतराल पर अलग से केस लगेंगे और सुनवाई होगी। पीएम नरेंद्र मोदी की जन्मस्थली प्रदेश गुजरात को भी दो बेंच मिली हैं और अहमदाबाद, सूरत के साथ राजकोट तीन शहरों से संचालित होंगी। इसमें केंद्र शासित राज्य दमन, दीव और दादरा एवं नागर हवेली को भी शामिल किया गया है।

सबसे ज्यादा बेंच यूपी, महाराष्ट्र में बनी

यूपी और महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 3-3 बेंच गठित हुई हैं। यूपी में सर्वाधिक जनसंख्या वाले राज्य के चलते और महाराष्ट्र सर्वाधिक अर्थव्यवस्था वाला राज्य होने के लिए चलते यह जरूरी था। यूपी में यह बेंच पांच शहरों लखनऊ, वाराणसी, गाजियाबाद, आगरा और प्रयाराज से संचालित होंगी तो महाराष्ट्र में मुबंई, पुणे, ठाणे, नागपुर, औरंगाबाद और गोवा के पणजी को भी इसमें शामिल किया गया है।

ट्रिब्यूनल का काम सेकंड अपील सुनना होगा

इंकमटैक्स ट्रिब्यूनल की तरह ही जीएसटी ट्रिब्यूनल होगा। जीएसटी को लेकर किसी भी लॉ पॉइंट और टैक्स डिमांड को लेकर व्यापारी की पहली अपील तो विभाग (सेंट्रल या स्टेट जीएसटी व्यापारी जहां भी रजिस्टर्ड है) वहां होगी, फिर दूसरी अपील ट्रिब्यूल में होगा, जहां विभाग या कारोबारी कोई भी पहली अपील के फैसले के खिलाफ जा सकेगा। हालांकि, कहा जा रहा है कि ट्रिब्यूनल का काम अधिकांश तौर पर ऑनलाइन ही होगा। इसलिए ज्यादा भागादौड़ी नहीं होगी लेकिन यदि ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही प्रक्रिया हुई तो इंदौर को सबसे ज्यादा समस्या आएगी, क्योंकि अधिकांश कारोबारी मामले, इंदौर से ही जुड़े हुए हैं। रोध चल रहा है।

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