चाय-नाश्ते की शर्त से शुरू हुआ सफर आज करोड़ों का सट्टा बाजार, फलौदी बता रहा राजस्थान में किसकी बनेगी सरकार ?

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Rahul Garhwal
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चाय-नाश्ते की शर्त से शुरू हुआ सफर आज करोड़ों का सट्टा बाजार, फलौदी बता रहा राजस्थान में किसकी बनेगी सरकार ?

मनीष गोधा, JAIPUR. राजस्थान के रेगिस्तानी जिले जोधपुर से करीब सवा सौ किलोमीटर दूर बसा है फलौदी। गर्मियों में यहां तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है और सर्दियों में माइनस में चला जाता है, लेकिन सट्टे का बाजार यहां हमेशा गर्म रहता है। पूरी दुनिया के सट्टा मार्केट में फलौदी का विशेष स्थान है। खासकर चुनाव के मामले में फलौदी के सटोरिए बड़े से बडे सेफेलॉजिस्ट यानी चुनाव विशेषज्ञों को भी फेल कर देते हैं। चुनाव लड़ने वाले तक ये ध्यान रखते हैं कि उनकी जीत या हार के क्या भाव फलौदी के सट्टा बाजार में चल रहे हैं।

2 कारणों से जाना जाता है फलौदी

फलौदी जोधपुर जिले की बड़ी तहसीलों में शामिल है और अब तो इसे जिला भी बना दिया गया है। एक समय यहां नमक का व्यापार बहुत चलता था जो अभी भी है, लेकिन फलौदी अब 2 कारणों से सबसे ज्यादा जाना जाता है। पहला है खींचन जो एक प्राकृतिक झील है और पूरी दुनिया प्रवासी पक्षी यहां आते हैं। सर्दियों में यहां दुनियाभर के पक्षी विशेषज्ञ इन पक्षियों को देखने के लिए जमा होते हैं। खींचन के अलावा फलौदी जाना जाता है अपने सट्टा बाजार के लिए। कहते हैं कि यहां गाय गोबर कैसे करेगी, आसमान में बादल हैं तो ये बूंदबांदी करेंगे या मूसलाधार बरसेंगे, चप्पल हवा में उछाली जाएगी तो नीचे सीधी गिरेगी या उल्टी गिरेगी से लेकर देश या प्रदेश में किसकी सरकार बनेगी और अमेरिका का राष्ट्रपति कौन बनेगा तक किसी भी चीज पर सट्टा लग जाता है।

चुनाव के वक्त सट्टा बाजार पर पूरे देश की नजरें

क्रिकेट का सट्टा तो अपनी जगह है ही, लेकिन फलौदी सबसे ज्यादा चर्चा में आता है चुनाव के समय। यहां के सटोरियों का चुनावी गणित सबसे सटीक माना जाता है, क्योंकि उनके गणित पर ही सैंकड़ों करोड़ रुपए दांव पर लग जाते हैं। यही कारण है कि चुनाव के समय यहां के सट्टा बाजार पर पूरे देश की नजर बनी रहती है।

कोई नहीं जानता कब से चल रहा है सट्टा बाजार

फलौदी का सट्टा बाजार कब से चल रहा है, ये कोई नहीं जानता है। बताते हैं ये सिलसिला सामान्य शर्तों से शुरू हुआ। पूरे पश्चिमी राजस्थान में शाम के समय लोगों की अपने मोहल्लों में बैठकर आपस चर्चा, बहस करने की पुरानी परम्परा रही है और इसी चर्चा और बहस के दौरान शर्तें लग जाया करती थीं। इन शर्तों का स्वरूप उस समय पान या चाय-नाश्ते तक सीमित था। समय के साथ यहां के लोग मुम्बई के शेयर बाजार तक पहुंचे और चाय-नाश्ते की शर्त सैंकड़ों करोड़ के सट्टे में बदल गई। आज स्थिति ये हो गई कि फलौदी पूरी दुनिया में इसी के लिए पहचाना जाने लगा।

सूचना तंत्र के भरोसे चलता है सट्टा बाजार

सट्टा व्यापार से जुड़े कारोबारी पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर बताते हैं कि ये सारा काम सूचना तंत्र के भरोसे चलता है। फलौदी के लोग या हमारे मित्र रिश्तेदार पूरी दुनिया में हैं। हम उनसे पूछताछ करते हैं। इसके अलावा मीडिया में काम करने वाले लोग, राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता और प्रत्याशी के गांव-परिवार के लोगों तक से फीडबैक लिया जाता है और इसके बाद भाव खोले जाते हैं। चुनाव के समय हर दिन के डेवलपमेंट को देखा जाता है और लोगों से रोजाना का फीडबैक लेकर भाव ऊपर-नीचे किए जाते हैं।

जुबान का धंधा, सिर्फ फोन पर बात

इस पूरे सट्टा बाजार की सबसे खास बात ये है कि कोई लिखा-पढ़ी नहीं होती। आदमी की जुबान पर काम चलता है। फलौदी में सट्टा बाजार के नाम से जगह तो है, लेकिन काम सारा फोन पर ही चलता है।

इस हद तक सटीक रहा है यहां का गणित

फलौदी के सट्टा बाजार में मई में कर्नाटक के लिए जो अनुमान लगाया था वो सही निकला। वहां कांग्रेस को 135 सीटें मिली जबकि अनुमान 137 सीटों का था। फलौदी के सटोरिया का गुजरात में भी बीजेपी सरकार का अनुमान सही निकला था। हिमाचल में कांटे की टक्कर का अनुमान भी रिजल्ट के करीब ही था। आखिरकार वहां कांग्रेस की सरकार बनी। यही नहीं पिछले विधानसभा चुनाव में भी फलौदी के सट्टा बाजार का दावा था 200 सीटों में से कांग्रेस को 100-120 सीटें मिलेंगी। जब नतीजे आए तो अनुमान के मुताबिक कांग्रेस को 100 सीटें मिलीं। इसी तरह 2013 के विधानसभा चुनाव में सट्टा बाजार का दावा था कि बीजेपी को 117-120 सीटें और कांग्रेस को 60-62 सीटें मिलेंगी। जब नतीजे आए तो सीटों के मामले में तो दावा सही नहीं गया, लेकिन सरकार बीजेपी की ही बनी। 2013 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को 163 और कांग्रेस को महज 21 सीटें मिली थीं।

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इस बार क्या कह रहा सट्टा बाजार ?

बताया जा रहा है कि इस बार दिवाली से पहले तक यहां कांग्रेस की जीत पर सबसे ज्यादा 4 रुपए प्रति सीट बीजेपी पर प्रति सीट के हिसाब से 35 पैसे से लेकर ढाई रुपए तक का भाव लगाया गया है। यानी फलौदी सट्टा बाजार के अनुसार राजस्थान में बीजेपी की सरकार बनती दिख रही है। सट्टा बाजार बीजेपी को 119-122 सीटें दे रहा है। वहीं कांग्रेस को महज 60-68 सीटों पर ही सिमटता हुआ बता रहा है। अब देखना यही है कि इस बार यहां का सट्टा बाजार कितना सही साबित होता है।

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