मध्यप्रदेश में वोटिंग के बाद डाक मत पत्र पर सियासत, नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने लगाया गंभीर आरोप

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BP Shrivastava
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मध्यप्रदेश में वोटिंग के बाद डाक मत पत्र पर सियासत, नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने लगाया गंभीर आरोप

BHOPAL. मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव का मतदान के बाद डाक मत पत्र को लेकर सियासत तेज हो गई है। पुरानी पेंशन की घोषणा के बाद कांग्रेस को भरोसा है कि कर्मचारियों के डाक मत पत्र उनके खाते में आएंगे, वहीं बीजेपी का कहना है कि कर्मचारियों के लिए सरकार ने बहुत काम किए हैं, इसलिए डाक मत पत्रों में उनकी जीत होगी। इसी बीच नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने लहार से 797 डाक मत पत्र गायब होने का आरोप लगाया है। बताते हैं रीवा में ड्यूटी के कारण 1369 कर्मचारी वोट डालने से वंचित रह गए। कुल मिलाकर डाक मत पत्रों को लेकर विवाद सा शुरू हो गया है। यहां बता दें, पिछले विधानसभा चुनाव 2018 में करीब दस सीटों पर 1000 से कम वोटों पर जीत-हार का फैसला हुआ था।

चुनाव परिणाम पर काफी असर डाल सकते हैं डाक मत पत्र !

जाहिर है डाक मत पत्रों की दोनों की प्रमुख पार्टियों के लिए कितनी अहमियत है और इसी को लेकर अब राजनीति गरमा रही है। इस बार मध्य प्रदेश में 80 साल से अधिक उम्र के बुजुर्ग और 40 फीसदी से अधिक दिव्यांगजनों ने भी डाक मत पत्र से मतदान किया है। ऐसे में माना जा रहा है कि डाक मत पत्र भी विधानसभा चुनाव के परिणाम पर काफी असर डाल सकते हैं।

लहार से 797 डाक मत पत्र गायब, निर्वाचन अधिकारी ने कहा- सब सुरक्षित

उधर, विंध्य जनता पार्टी के प्रत्याशी नारायण त्रिपाठी ने कुछ दिन पहले निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर डाक मत पत्रों के परिणाम पहले घोषित किए जाने की मांग उठाई थी। इसके बाद अब कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष और लहार के प्रत्याशी गोविंद सिंह ने भिंड के जिला निर्वाचन अधिकारी संजीव श्रीवास्तव पर गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, लहार में डाले गए 797 डाक मत पत्र गायब हैं। हालांकि, श्रीवास्तव ने आरोप को सिरे से नकारा दिया है और कहा कि चुनावी प्रक्रिया में किसी प्रकार की कोई कोताही नहीं बरती गई है। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को स्ट्रांग रूम में रखा गया है, जबकि डाक मत पत्र ट्रेजरी में सुरक्षित हैं।

यह भी बताया जा रहा है कि रीवा जिले विधानसभा निर्वाचन 2023 में तैनात 1369 पुलिस कर्मी और अतिथि शिक्षक मतदान से वंचित रह गए हैं। ऐसे में कांग्रेस डाक मत पत्रों को लेकर चुनाव आयोग से लगातार मांग उठा रही है कि मतदान से वंचित सरकारी कर्मचारियों की वोटिंग कराई जाए।

डाक मत पत्र पर पार्टियों का इसलिए ज्यादा फोकस ?

साल 2018 के विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में 10 ऐसी विधानसभा सीट थीं, जहां पर हार-जीत का फैसला 1000 वोट से भी कम अंतर से हुआ था। इससे अंदाजा लगाया रहा है कि डाक मत पत्र किस प्रकार से निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। मध्य प्रदेश में कई ऐसे जिले हैं, जहां पर विधानसभा सीट पर 4000 से ज्यादा डाक मत पत्र से मतदान हुआ है। इसी वजह से डाक मत पत्र को लेकर प्रदेश में राजनीति गरमा रही है। ग्वालियर की दक्षिण, छतरपुर की राजनगर, दमोह, शिवपुरी जिले की कोलारस, जबलपुर की उत्तर विधानसभा, राजगढ़ जिले की ब्यावरा, राजपुर आदि विधानसभा सीट ऐसी हैं, जहां पर 1000 से कम वोटों के अंतर से हार-जीत हुई थी।

कांग्रेस चिंतित, बीजेपी बेफिक्र

जानकारी के मुताबिक पोस्टल बैलेट्स को लेकर जहां बीजेपी पूरी तरह से बेफिक्र नजर आ रही है। वहीं कांग्रेस चिंतित है। डाक मत पत्र को लेकर कांग्रेस ने चुनाव आयोग से विशेष मांग की है। कांग्रेस का कहना है कि मताधिकार से वंचित सरकारी कर्मचारियों, पुलिसकर्मियों, अतिथि शिक्षकों को पोस्टल वोट से मतदान करने का अवसर दिया जाना चाहिए। इसके लिए कांग्रेस ने खंडवा एसपी की पहल का उदहारण भी दिया है।

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