संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में पंडित प्रदीप मिश्रा ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों को लेकर असमंजस में डाल दिया। एक दिन की शिवकथा चर्चा के लिए इंदौर आए पंडित मिश्रा ने मीडिया के सवाल कि इस बार मप्र में सरकार किसकी बनेगी बीजेपी या कांग्रेस की? इस पर उन्होंने ना बीजेपी का नाम लिया और ना ही कांग्रेस का। उन्होंने कहा भोलेनाथ की। उन्होंने संत के बीजेपी या कांग्रेस के सपोर्ट करने के सवाल कहा कि संत, धर्मगुरु किसी पार्टी विशेष का नहीं होता है। हम सभी की कथाएं कराते हैं, किसी पार्टी विशेष की नहीं। पंडित मिश्रा विधानसभा पांच में कांग्रेस के संभावित प्रत्याशी सत्यनारायण पटेल के एक दिवसीय कथा आयोजन में आए थे। कथा में हजारों की संख्या में भक्त पहुंचे और घंटों इसके लिए ट्रैफिक डायवर्ट रहा। आयोजन स्थल के दायरे के कई स्कूलों में इसके चलते छुट्टी भी घोषित कर दी गई थी।
यह भी बोले पंडित मिश्रा
संतों को राजनीति में आना चाहिए या नहीं?
संत यदि राष्ट्रहित की बात करने आएं तो आना चाहिए, केवल जमीन लेने या अपना मठ, मंदिर बनाने के उद्देश्य से नहीं आना चाहिए। पहले भी कई संत राजनीति में आए हैं, उन्होंने देश के लिए अच्छा काम किया जैसे की यूपी के सीएम योगीजी, उन्होंने देश को प्रेरणा देने की बात की है। कई संत ऐसे भी आए, जिन्होंने केवल अपना भरण पोषण करने और पेट भरने के लिए यहां आए। जनमानस को कुछ नही दिया। जो संत जनमानस को कुछ दें, गरीब के आंसू पोंछे, राष्ट्रहित की बात करें उन्हें राजनीति में आना चाहिए।
क्या आप राजनीति में आएंगे?
नहीं, राजनीति में आने की जरूरत ही नहीं है।
इंदौर को लेकर क्या कहेंगे?
इतनी बड़ी संख्या में एक दिन की कथा सुनने के लिए आए, धूप में बैठे रहे, उन्होंने तो हमें ही चक्कर में डाल दिया। इतने मस्त लोग हैं इंदौर के, उन्हें किसी की नजर नहीं लगे, इनकी तो नजर उतार लेना चाहिए।
सनातम धर्म को लेकर तमिलनाडु के मंत्री की टिप्पणी पर क्या कहा?
सनातन धर्म को जो डेंगू, कोरोना कह रहे हैं, उनसे पूछा जाना चाहिए उनके पिता, दादा, वह सब क्या थे, सभी सनातन धर्म से ही आए हैं, तो वह भी डेंगू, कोरोना की औलाद हुए। उन्हें सद्बुद्धि मिले, सत्ता और वैभव मिला है तो उसका सदुपयोग करना चाहिए।
राजनेता अभी सनातन धर्म को लेकर क्यों चल रहे हैं?
सनातन धर्म हमे संस्कार देता है, प्रेरणा प्रदान करती है। वही मूल है। सनातनी चाहे वब बीजेपी हो या कांग्रेसी हो, राष्ट्रहित और सनातनी धर्म के लिए काम करें।
चुनाव के समय ही राजनेता धर्म को याद करते हैं कथा कराते हैं?
राजनीति और धर्म तो सदा से ही चल रहे हैं। राजनीति में ज्यादा धर्म और धर्म में ज्यादा राजनीति नहीं आए। मार्गदर्शन स्तर तक रहें। गुरु सेवा भाव से ही रहें।