संजय गुप्ता@ INDORE.
इंदौर के एक और कांग्रेस नेता टिकट वितरण से खासे नाराज है। आईडीए के पूर्व उपाध्यक्ष रहे रघु परमार को नरसिंहगढ़ से टिकट की पूरी आस थी, लेकिन उनकी जगह पार्टी ने गिरीश भंडारी को चेहरा बताया है। उनके समर्थकों ने विरोध भी जताया और अब वह जनता, समर्थकों की राय लेकर आगे फैसला लेने की बात कह रहे हैं। परमार का दुख इसलिए भी बड़ा है क्योंकि चार महीने पहले उन्हें आगे बढ़कर पार्टी से इंदौर शहराध्यक्ष पद का ऑफर हुआ था लेकिन उन्होंने टिकट के चक्कर में यह ऑफर ठुकरा दिया था। अब ना टिकट मिला और शहराध्यद पद गया सो अलग। परमार पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के करीबी लोगों में से एक है। इधर, अरविंद बागड़ी को भी ना शहारध्यक्ष पद मिला ना ही टिकट।
यह बोले रघु परमार
रघु परमार ने द सूत्र से चर्चा में कहा कि अभी हम हमारी टीम के लोगों से बात कर रहे हैं। निर्दलीय चुनाव की बात पर उन्होंने कहा कि हाल-फिलहार तो अभी ऐसा कुछ नहीं है।
वरिष्ठ नेताओं को हठधर्मिता नहीं रखना चाहिए- परमार
नरसिंहगढ़ का टिकट घोषित होने के बाद परमार ने समर्थकों के साथ बैठक ली थी। इसमें उन्होंने कहा था कि - वरिष्ठ नेताओं को हठधर्मिता नहीं रखना चाहिए, कांग्रेस पार्टी को निर्णय बदलना चाहिए। सबकी सुनना चाहिए कि जनता की क्या इच्छा है? एक मन में बनाकर नहीं रखना चाहिए कि हमे इसी को लड़ाना है। यह वरिष्ठ नेताओं की गलत नीति है, इस नीति का हम विरोध करते हैं।
जुलाई में हुआ था ऑफर बन जाओ शहराध्क्ष
जनवरी में जब कांग्रेस ने अरविंद बागड़ी का शहराध्यक्ष पद होल्ड पर रख दिया था, तब कई इसकी दौड़ में थे। लेकिन सभी के बीच की लड़ाई को देखते हुए पूर्व सीए दिग्विजय सिंह की ओर से रघु परमार को शहराध्यक्ष का ऑफर पहुंचा लेकिन तब उन्होंने यह कहकर पद ठुकरा दिया कि वह चाहते हैं कि इस पर उन्हें नरसिंहगढ़ से टिकट मिल जाए और विधानसभा चुनाव लडूं, इसलिए मैं अब वहां सक्रिय हूं और इंदौर में ध्यान नहीं दे पाऊंगा।
हेलीकॉप्टर की सैर कराई, लेकिन काम नहीं आई
रघु परमार नरसिहंगढ़ विधानसभा के लसूलडिया जागीर परिवार से है। वह मई माह में तब राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आए जब उन्होंने इस विधानसभा के बच्चों को हैलीकॉप्टर की सैर कराने का सपना पूरा करते हुए दो दिन के लिए हेलीकॉप्टर ही गांव में बुला लिया था। कुछ माह से वह लगातार नरसिंहगढ़ में सक्रिय थे लेकिन जब टिकट नहीं मिला तो समर्थकों का गुस्सा फूट गया और जगह-जगह प्रत्याशी गिरीश भंडारी के पुतले जलाकर विरोध प्रदर्शन किया।
बागड़ी के हाथ से भी दोनों फिसले
यही हाल अरविंद बागड़ी का भी रहा। उन्हें पार्टी ने विनय बाकलीवाल की जगह शहराध्यक्ष जनवरी में बनाया था, लेकिन विरोध के बाद होल्ड पर रख दिया और बाद में फिर सुरजीत सिंह चड्ढा को पद दे दिया। वह उम्मीद में थे कि पार्टी उन्हें विधानसभा तीन से टिकट दे देगी, लेकिन वह भी नहीं मिला। अग्रवाल समाज ने भी उनके पक्ष में काफी जोर लगाया लेकिन बात नहीं बनी। बागड़ी ने द सूत्र से आगे की रणनीति पर कहा कि कुछ नहीं विशुद्ध पार्टी लाइन का व्यक्ति हूं, पार्टी के लिए काम करूंगा, समर्थकों को नाराजगी थी, बात पार्टी स्तर पर रख दी है लेकिन इसके आगे अब कुछ नहीं, पार्टी जो भी जहां का काम देगी वह करेंगे।