छत्तीसगढ़ में एक नवंबर से होगी धान खरीदी शुरू, बायोमैट्रिक के जरिए होगी किसानों की पहचान, इस साल खरीदी जाएगी प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान

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Shivam Dubey
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छत्तीसगढ़ में एक नवंबर से होगी धान खरीदी शुरू, बायोमैट्रिक के जरिए होगी किसानों की पहचान, इस साल खरीदी जाएगी प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान



नितिन मिश्रा, RAIPUR. छत्तीसगढ़ में 1 नवंबर से धान की खरीदी शुरू हो जाएगी। धान बेचने वाले किसानों की पहचान बायोमेट्रिक के जरिए की जाएगी। वहीं इस साल 20 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से धान खरीदी जाएगी। इस साल 125 की क्विंटल धान खरीदी की जानी है। धान खरीदी के लिए 2617 उपार्जन केंद्र बनाए गए हैं।

बायोमैट्रिक के जरिए होगी पहचान, वारिस भी बेच सकेंगे धान

खरीफ विपणन वर्ष 2023–24 के लिए खाद्य विभाग ने तैयारिया शुरू कर दी हैं। समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के लिए बड़े पैमाने पर नियम भी तय किए गए हैं। प्राथमिक सहकारी सेवा समितियों में समर्थन मूल्य पर धान बेचने वाले किसानों का पंजीयन शुरू कर दिया गया है। इस बार धान बेचने वाले किसानों की पहचान बायोमेट्रिक के जरिए की जाएगी। धान बेचने वाले किसान राजीव गांधी किसान न्याय योजना सहित अन्य शासकीय योजना का लाभ उठाने के लिए किसान एकीकृत पोर्टल में दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। इस बार किसानों के वारिस भी धान बेंच सकेंगे। 31 अक्टूबर तक किसानों और उनके वारिसों का पंजीयन किया जाएगा।

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राज्य सरकार खरीदेगी 20 क्विंटल धान

छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान खरीदी का फैसला लिया है। पिछले साल के आंकड़ों के प्रदेश में लगभग 28 लाख हेक्टेयर पर किसानों का पंजीयन हुआ था। इसके अनुसार अगर इस बार 20 क्विंटल धान खरीदी होती है। तो करीब 140 लाख से अधिक धान खरीदी जाएगी। इसमें कस्टम फिलिंग करने करीब 90 लाख टन चावल स्टॉक रहेगा। इसमें से केंद्र को करीब 64 लाख टन दिया जाएगा। वहीं राज्य के पास 24 से 25 लाख तक चावल बचेगा। जिसे आसानी से उचित मूल्य की दुकान में उपयोग किया जा सकेगा। प्रदेश में हर साल 33 लाख क्विंटल चावल उचित मूल्य की दुकान में उपयोग हो जाता है।

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केंद्र सरकार से 6400 करोड़ की लेनदारी बाकी

केंद्र सरकार से राज्य सरकार की लेनदारी के अंतर्गत केंद्र सरकार की एजेंसी के रूप में केंद्रीयकृत और विकेंद्रीकृत योजनांतर्गत भारतीय खाद्य निगम और नागरिक आपूर्ति निगम में चावल जमा किया जाता है। आज को स्थिति में जमा चावल के विरुद्ध भारतीय खाद्य निगम से 2205 करोड़ और नागरिक आपूर्ति निगम के 4195 करोड़ रुपए सहित कुल राशि 6400 करोड़ रुपए लेनदारी केंद्र सरकार से शेष है। इसमें पत्र लिखकर लेनदारी की राशि के लिए अनुरोध करने का निर्णय लिया गया है

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