नितिन मिश्रा, RAIPUR. पिछले कई महीनो से ट्रेनों को लगातार रद्द किया जा रहा है। लगभग हर सप्ताह दर्जन भर ट्रेनें रद्द कर दी जा रहीं है। जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। यह याचिका सुदीप श्रीवास्तव ने दायर की है। याचिकाकर्ता ने जनहितयाचिका का प्रत्युत्तर पेश करते हुए कहा है कि रेलवे को ट्रेनों को रद्द करने का अधिकार नहीं है।
हाईकोर्ट में याचिका दायर
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में पैसेंजर ट्रेनें ना चलाने और सीनियर सिटीजन को स्पेशल ट्रेनों में कंसेशन ना देने के आरोप में याचिका दायर की गई है। शुक्रवार 8 सितंबर को सुदीप श्रीवास्तव की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने प्रत्युत्तर पेश किया है। प्रत्युत्तर ने कहा गया है कि ट्रेनें आपदा के तहत बंद की गई थी और रेलवे को ट्रेनें रद्द करने का अधिकार नहीं है । कोरोना लॉकडाउन होने के बाद भारतीय रेलवे ने सभी रेलगाड़ियों को बंद कर दिया था बाद में चरणबद्ध तरीके से कुछ गाड़ियां शुरू की गई, जिन्हें रेलवे स्पेशल ट्रेन के रूप में चला रहा था। यह स्पेशल ट्रेनें वस्तुतः जो ट्रेनें चलती हैं उन्हीं मार्गों पर उन्हीं स्टॉपेज के साथ चलाई जा रही थीं परंतु उन्हें स्पेशल ट्रेन का नंबर दिया गया। इसके कारण विकलांग और गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को छोड़कर करीब 39 श्रेणी के लोगों को रेलवे के द्वारा दिया जाने वाला कंसेशन बंद कर दिया गया है।
रेलवे बोर्ड ने अब तक नहीं लिया निर्णय
रेलवे के नियमानुसार 65 वर्ष से नीचे के व्यक्ति को लॉकडाउन में भी आने जाने में कोई रोक नहीं है, फिर भी सीनियर सिटीजन कंसेशन जो महिलाओं को 58 वर्ष के बाद और पुरुषों को 60 वर्ष के बाद मिलता है, वह ट्रेनों में नहीं मिल रहा है। इसी तरह पैसेंजर ट्रेन जो हर स्टेशन पर रूकती हैं वह नहीं चलाई जा रही हैं, जबकि मुंबई और दिल्ली समेत कई बड़े शहरों में लोकल ट्रेन चल रही है। इस याचिका पर पिछली बार हुई सुनवाई में हाईकोर्ट के पूछने पर केंद्र सरकार ने जवाब दिया था कि, ट्रेन चलाने का निर्णय रेलवे बोर्ड को लेना है, जो अब तक नहीं लिया गया है।