नितिन मिश्रा, RAIPUR. छत्तीसगढ़ में संस्कृति विभाग में पुरातत्व और संग्रहालय की 5 शाखाओं के लिए भर्ती के इंटरव्यू के रिजल्ट जारी कर दिए गए हैं। जिसके बाद भर्ती प्रक्रिया विवादों के घेरे में हैं। अभ्यर्थियों ने चयनित अभ्यर्थियों के नियुक्ति प्रक्रिया में रोक लगाने की मांग की है। वहीं इसकी शिकायत सीएम भूपेश बघेल और राज्यपाल बिश्वभूषण हरिचंदन से की है। इस संबंध में अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया है।
क्या मामला है
छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग द्वारा पुरातत्व और संग्रहालय में विशेषज्ञों की भर्ती के लिए आयोजित की गई परीक्षा पर अभ्यर्थियों ने सवाल खड़े कर दिए हैं। अभ्यर्थियों ने भर्ती पर रोक लगाने के लिए राज्यपाल और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से गुहार लगाई है। दरअसल संस्कृति विभाग के पुरातत्व और संग्रहालय की 5 शाखाओं में भर्ती होनी है। इसके लिए आज यानी 17 अगस्त को इंटरव्यू हुए थे। इनमें पुरातात्विक अधिकारी, पुरालेखवेत्ता, मुद्राशास्त्री, पुरातत्ववेत्ता, संग्रहाध्यक्ष के पद शामिल हैं। इन पदों पर भर्ती के लिए पीएससी ने परीक्षा आयोजित की थी। अलग–अलग पांच विशेषज्ञों की भर्ती के लिए एक ही प्रकार के अर्हता मांगी गई है।अभ्यर्थियों का आरोप है कि भर्ती में गड़बड़ी की जा रही है। विभाग के अधिकारी अपने करीबी और रिश्तेदारों को भर्ती करने के लिए पीएचडी डिग्री प्राप्त अभ्यर्थियों को अपात्र घोषित कर दिया गया। वहीं इंटरव्यू का रिजल्ट आने के बाद मामला और बढ़ गया है।
एक पद के लिए अयोग्य, दूसरे के लिए योग्य
अभ्यर्थियों ने यह भी आरोप लगाया है कि विभाग में भर्ती के लिए एक अनुभव, एक योग्यता मांगी गई है। लेकिन कई अभ्यर्थियों ने कई पदों में भर्ती के लिए आवेदन दिया है। उनमें से कुछ अभ्यर्थियों को पहले दिन एक पद के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया। वहीं दूसरे दिन दूसरे पर के लिए डॉक्यूमेंट्स का वेरिफिकेशन कराने पर उसे योग्य मान लिया गया। इंटरव्यू के लिए 19 अभ्यर्थियों का चयन हुआ है। लेकिन रोल नम्बर 39 लोगों का दिखाई दे रहा है। एक ही व्यक्ति को अलग–अलग दिन पहले कैसे अयोग्य किया जा सकता है और दूसरे दिन योग्य किया जा सकता है।
हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
अभ्यर्थियों द्वारा हाईकोर्ट में संस्कृति विभाग के अंतर्गत सात पदों की भर्ती प्रक्रिया को लेकर याचिका दायर की गई है। इस मामले में हाईकोर्ट द्वारा संस्कृति विभाग के सचिव को जवाब पेश करने के लिए ऑफिसर इंचार्ज नियुक्ति करने के लिए आदेश दिया है।
सीएम और राज्यपाल से भी की शिकायत
अभ्यर्थियों ने पूरे मामले की शिकायत राज्यपाल विश्वभुषण हरिचंदन और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से की है। शिकायत में कहा गया है कि दस्तावेज परीक्षण के बाद पात्र और अपात्र अभ्यर्थियों को सूची का प्रकाशन नहीं किया गया है। ना ही दावा आपत्ति के लिए समय दिया गया है। इसके लिए अभ्यर्थियों ने पीएससी और संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत को भी पत्र लिखा है। लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं मिला। अभ्यर्थियों ने भर्ती प्रक्रिया के खिलाफ हाईकोर्ट के दरवाजे पर दस्तक दी है।
अभ्यर्थियों ने पांच मुद्दे उठाए हैं
1. पद के लिए आवश्यक दस्तावेजों का परीक्षण किसी विषय विशेषज्ञ से न करवाकर, प्रमाण पत्र देने वाले विभागीय व्यक्ति से करवाया गया है जिसके जानकारी के अभाव में कई अभ्यर्थियों को इस पद के लिए अयोग्य घोषित किया गया है और अयोग्य लोगों को योग्य बनाकर साक्षात्कार के लिए चयनित किया गया है।
2.विज्ञापन में अनिवार्य रूप से तीन वर्ष का कार्य अनुभव होने की बात कही गई है। पर यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि संग्रहालय के क्षेत्र में कितने वर्ष का अनुभव होना चाहिए और पुरातत्व के क्षेत्र में कितने वर्ष का या दोनों को मिलाकर कितने वर्ष का। ऐसे संदेहास्पद विज्ञापन में अभ्यर्थियों को दुविधा का सामना करना पड़ा है।
3.पांच अलग-अलग विशेषज्ञता, जिनकी कार्यशैली भी अलग-अलग है। ऐसे पांच पदों के लिए योग्यता और कार्य अनुभव का विज्ञापन में स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं किया गया है। अगर सभी पदों के लिए एक ही अनुभव मांगा गया है तो पदनाम और कार्य को अलग-अलग क्यों दिया गया है?
4. सभी पदों की विषय विशेषज्ञता अलग-अलग होनी चाहिए थी जबकि इसमें सात पदों के लिए एक ही तरह की योग्यता मांगी गई है।
5. अनुभव के क्षेत्र में विज्ञापन में इस बात का कहीं भी जिक्र नहीं है कि इसमें फील्ड, एरिया, अध्यापन का अनुभव या पीएचडी शोध कार्य के दौरान किया गया अनुभव मान्य होगा या नहीं। ऐसे विसंगतियों से कई अभ्यर्थियों के भविष्य से खिलवाड़ किया गया है।