नितिन मिश्रा, RAIPUR. छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की पॉवर कंपनियों के बीच लंबे समय से रार चल रही है। दरअसल ये मामला 15 सौ करोड़ रुपए के बकाया का है। अब तक ये पेंच सुलझ नहीं सका है। दोनो कंपनियों के बीच बकाया राशि को लेकर पेंच फसा हुआ है। यह मामला अब केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय दिल्ली तक जा पहुंचा है। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ही इस मामले में अपना आखिरी फैसला देगा।
क्या मामला है
तेलंगाना की पॉवर कंपनी पर छत्तीसगढ़ पॉवर कंपनी का 36 सौ करोड़ रुपए का बकाया है। इस बकाया राशि को लेकर लंबे समय से मामला विवाद मचा हुआ है। पहले तेलंगाना ने इस बकाया में से 15 सौ करोड़ का ही बकाया माना था। लेकिन बाद में तेलंगाना ने छह सौ करोड़ का और बकाया मान लिया। ऐसे में 21 सौ करोड़ का बकाया मान लिया गया। लेकिन 15 सौ करोड़ के बकाया पर अभी भी मामला फंसा हुआ है। तेलंगाना के अधिकारियों द्वारा अपनी कंपनी को रिपोर्ट देने के दो माह बाद भी तेलंगाना ने बकाया को लेकर कोई मंजूरी नहीं दी है। पिछले साल जब पहली बार आमने सामने बात हुई तो तेलंगाना के सात पैसे प्रति यूनिट ट्रेडिंग शुल्क पर बड़ी आपत्ति जताई। इसका कुल शुल्क सवा सौ करोड़ होता है। इसी के साथ स्टार्टअप पॉवर शुल्क, एसएलडीसी, पानी, वीसीए और एफसीए शुल्क के दस्तावेज मांगे कि इस पर क्या खर्च किया गया है। इसके बाद पॉवर कंपनी ने तेलंगाना को सारे दस्तावेज भी उपलब्ध करा दिए थे।
दिल्ली पहुंचा मामला
अब यह 15 सौ करोड़ का मामला केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय तक दोबारा पहुंच गया है। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय का फैसला ही इस मामले का आखिरी निर्णय होगा। अगर केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने बकाया राशि को प्राप्ति पोर्टल में अपलोड कर दिया तो तेलंगाना को पूरा बकाया देना ही पड़ेगा। छत्तीसगढ़ राज्य पावर कंपनी ने इस मामले में तीन माह पहले केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय में अपने 15 सौ करोड़ के और बकाया का दावा कर दिया। इसके बाद केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने तेलंगाना कंपनी के अधिकारियों को बुलाकर फटकार लगाते हुए मामले को सुलझाने के लिए कहा था।