सौर ऊर्जा के बाद अब ग्रीन हाइड्रोजन पर फोकस, राजस्थान में नीति हुई तैयार

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The Sootr
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सौर ऊर्जा के बाद अब ग्रीन हाइड्रोजन पर फोकस, राजस्थान में नीति हुई तैयार

JAIPUR. सौर ऊर्जा के मामले में देश में अग्रणी बना राजस्थान अब ग्रीन हाइड्रोजन पर फोकस कर रहा है। यहां सरकार ने स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन, भविष्य की जरूरतों और जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए स्वच्छ ऊर्जा स्त्रोत की तलाश और निवेशकों के प्रोत्साहन के लिए ''राजस्थान ग्रीन हाइड्रोजन नीति-2023'' लाने का निर्णय किया हैं। सीएम अशोक गहलोत ने पॉलिसी ड्राफ्ट का अप्रूवल कर दिया है। ऊर्जा विभाग शीघ्र ही अधिसूचना जारी कर देगा। इस निर्णय से राज्य में ग्रीन एनर्जी उत्पादन करने वाली कम्पनियों को विभिन्न प्रकार की सब्सिडी मिलेंगी। प्रदेश में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। राजस्थान में अक्षय ऊर्जा के सर्वाधिक स्त्रोत उपलब्ध हैं।

मिलेगी छूट, बढ़ेगा निवेश

राज्य सरकार नीति के तहत निवेशकों को प्रोत्साहन देने के लिए विभिन्न सुविधाएं देगी। इनमें राज्य के प्रसारण तंत्र पर स्थापित होने वाले 500 केटीपीए अक्षय ऊर्जा प्लांट को 10 वर्षों तक प्रसारण और वितरण शुल्क में 50 प्रतिशत छूट, थर्ड पार्टी से अक्षय ऊर्जा खरीदने पर अतिरिक्त और क्रॉस सब्सिडी सरचार्ज में 10 वर्ष तक पूर्ण छूट दी जाएगी। परिशोधित या खारे जल से ग्रीन हाईड्रोजन उत्पादन के लिए भूमि आवंटन में प्राथमिकता और अनुसंधान केन्द्र की स्थापना के लिए 30 प्रतिशत (अधिकतम 5 करोड़ रुपए) अनुदान मिलेगा। इसके अतिरिक्त रिप्स-2022 के तहत विभिन्न छूट, जल की उपलब्धता और बैंकिंग सुविधाएं भी दी जाएंगी। कैप्टिव पावर प्लांट की क्षमता और उत्पादित बिजली की बैंकिंग पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। इसके साथ ही पीक आवर्स के दौरान बिजली निकासी पर लगी रोक भी नवीन नीति में हटा दी गई है। राजस्थान ग्रीन हाईड्रोजन नीति-2023 के तहत नई नीति में विद्युत संयंत्रों के लिए व्हीलिंग और ट्रांसमिशन शुल्क की 100 प्रतिशत प्रतिपूर्ति/छूट होगी। इसके साथ ही बिजली संयंत्रों के लिए बैंकिंग शुल्क भी सात से दस वर्षों तक प्रतिपूर्ति/माफ किया जाएगा।

रिप्स 2022 के तहत थ्रस्ट सेक्टर में शामिल

राजस्थान ग्रीन हाईड्रोजन नीति-2023 के तहत ग्रीन हाईड्रोजन सेक्टर को राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना-2022 के तहत थ्रस्ट सेक्टर में शामिल किया जाएगा। साथ ही, इसे सनराइज सेक्टर में शामिल कर मैन्युफैक्चरिंग स्टैण्डर्ड पैकेज के परिलाभ दिए जाएंगे।

पब्लिक डोमेन में लिए गए सुझाव

उल्लेखनीय है कि ऊर्जा विभाग ने नीति के प्रारूप को पब्लिक डोमेन में जारी कर हितधारकों से सुझाव लिए थे। महत्वपूर्ण सुझावों को शामिल किया गया है।

वर्ष 2030 तक 2000 केटीपीए ऊर्जा उत्पादन लक्ष्य

राज्य सरकार ने नीति में वर्ष 2030 तक दो हजार केटीपीए ऊर्जा उत्पादन के लक्ष्य रखे हैं। इसमें चार श्रेणियों में परियोजनाएं स्थापित होंगी। इनमें अक्षय ऊर्जा का निकास पावर ग्रिड के नेटवर्क के द्वारा, एक ही स्थान पर अक्षय ऊर्जा और हाइड्रोजन का उत्पादन (700 केटीपीए), अक्षय ऊर्जा का 24 घंटे उत्पादन आरटीसी पावर (800 केटीपीए) और अक्षय ऊर्जा का निवास आरवीपीएन के नेटवर्क के द्वारा (500 केटीपीए) है।

क्या है ग्रीन हाइड्रोजन

ग्रीन हाइड्रोजन पुनर्नवीकरण/अक्षय ऊर्जा का नवीन और उदीयमान क्षेत्र है। इसमें अक्षय ऊर्जा के उपयोग से जल को इलेक्ट्रोलिसिस कर हाइड्रोजन का उत्पादन किया जाता है। इसलिए इसे ग्रीन हाइड्रोजन कहा जाता है। हाइड्रोजन का मुख्य उपयोग रिफाइनरी, स्टील प्लांट और अमोनिया बनाने में होता है। देश में कुल हाइड्रोजन की मांग 60 लाख टन है, जबकि राजस्थान में 2.5 लाख टन है। इसका निर्माण प्रदूषण मुक्त होता है। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन नीति-2022 और मिशन जारी किया था। इसमें वर्ष 2030 तक 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।

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