VIDISHA. आपने देश के अनेक स्थानों पर दशहरे के दौरान अखिल ब्रम्हांड के महानायक मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम के बजाए लंकापति दशग्रीव दशानन रावण की पूजा किए जाने के किस्से तो कई मर्तबा सुने होंगे, लेकिन मध्यप्रदेश के विदिशा जिले में एक गांव ऐसा भी है जहां रावणपुत्र इंद्रजीत मेघनाद की पूजा की जाती है। कुरवाई विधानसभा के पलारी गांव में एक स्थान है, गांव वाले यहां के मेघनाथ बाबा को रावणपुत्र मेघनाद का स्थान बताते हैं और पीढ़ी दर पीढ़ी मेघनाद का पूजन करते चले आ रहे हैं।
शुभ कार्य की शुरुआत मेघनाद की पूजा से
कुरवाई के ग्राम पलीता में कोई भी शुभ कार्य करने से पहले ग्रामीण बाबा मेघनाद की पूजा अर्चना करते हैं। उसके बाद अन्य भगवान की पूजा की जाती है। ग्रामीणों का दावा है कि मेघनाद की पूजा में गांव के किसी व्यक्ति तो क्या किसी मवेशी तक को कोई रोग होता है तो उसे मेघनाद बाबा के चबूतरे की भस्म से ठीक किया जाता है। ग्रामीणों ने इस स्थान की खुदाई और मंदिर निर्माण के प्रयास भी किए लेकिन कभी सफलता हाथ नहीं लगी।
कोरोना काल में भी नहीं हुई कोई मौत
ग्रामीणों का दावा है कि कोरोना काल में जब पूरे देश में संकट था, उस दौरान भी ग्राम पलीता में किसी की कोरोना के चलते मौत नहीं हुई। ग्रामीण इसके पीछे मेघनाद बाबा की कृपा बताते हैं। गांव में मुख्यतः 4 समाज के लोग रहते हैं और सभी की मेघनाद बाबा के प्रति गहरी आस्था है। लोग यहां अपनी मन्नत लेकर भी आते हैं, उनका कहना है कि इस स्थान से उनकी मनमांगी मुरादें पूरी हुई हैं।
मेघनाद को लेकर ग्रामीणों की अलग-अलग राय
ग्राम पलीता में बाबा मेघनाद को लेकर ग्रामीणों की अलग-अलग राय है। यह रावण के पुत्र मेघनाथ का चबूतरा है इस बात को लेकर कुछ लोग सहमत नहीं है क्योंकि इसके बारे में कोई स्पष्ट प्रमाण या उल्लेख नहीं है । वहीं दूसरी ओर कुछ ग्रामीणों का मानना है कि ये वह मेघनाद है जिन्हें बादलों को बांधने की क्षमता प्राप्त थी इसलिए उनका नाम मेघनाद पड़ा और अनेक लोग इन्हें रावणपुत्र मेघनाद ही बताते हैं।