RAIPUR. छत्तीसगढ़ में सहायक प्राध्यापक परीक्षा को लेकर हाई कोर्ट का अहम फैसला आया है। दरअसल इस मामले में हाई कोर्ट के जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास की बेंच ने अहम याचिकाएं मंजूर करते हुए 13 अभ्यर्थियों को एक माह के भीतर नियुक्ति पत्र देने के आदेश दिए हैं। वहीं 34 याचिकाएं खारिज कर दी गई हैं। छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग ने उच्च शिक्षा विभाग के तहत सहायक प्राध्यापकों के रिक्त पदों पर भर्ती के लिए 23 जनवरी 2019 को विज्ञापन जारी किया था। 5 और 6 नवंबर 2020 को परीक्षा आयोजित की गई, जिसके परिणाम 19 जनवरी 2021 को जारी किए गए। 24 जून 2021 को इंटरव्यू के लिए कॉल लेटर जारी किए गए।
चयन के बाद भी नहीं मिली भर्ती
इसके बाद अभ्यर्थियों को इंटरव्यू से एक दिन पहले दस्तावेज परीक्षण के लिए बुलाया गया। दस्तावेज परीक्षण के बाद कई अभ्यर्थियों को अपात्र घोषित कर दिया गया। इसके खिलाफ 50 से अधिक याचिकाएं लगाई गई थीं। प्रारंभिक सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कुछ पद रिक्त रखने के निर्देश पीएससी को दिए थे। वहीं कुछ मामलों को हाई कोर्ट ने अंतिम फैसले से बाधित रखा गया था।
इन्होंने लगाई है याचिका
परीक्षा में शामिल रंजना सिंह, राघवेंद्र देवांगन, दिलेश्वर प्रसाद, विजय शंकर रात्रे ने याचिका में बताया कि उन्होंने असिस्टेंट प्रोफेसर बॉटनी पद के लिए आवेदन जमा किए थे। इंटरव्यू के बाद उनका चयन भी हुआ और मेरिट लिस्ट में उनके नाम क्रमश: 50, 68, 75 और 98वें नंबर पर था, लेकिन अब तक उन्हें नियुक्ति नहीं दी गई है। हाई कोर्ट ने चारों की याचिका मंजूर की है और एक माह के भीतर नियुक्ति पत्र जारी करने के आदेश राज्य सरकार को दिए हैं। इसी तरह जूही देवांगन, आदेश प्रजापति, दीपिका महोबिया, रंजना चौधरी, पंकज कुमार, चंद्रेश, खुशी देवांगन, मनीषा टाइगर और गुलेश्वर सिंह की तरफ से हस्तक्षेप आवेदन प्रस्तुत किया गया था। सभी का नाम मेरिट लिस्ट में था, लेकिन हाई कोर्ट के स्टे ऑर्डर की वजह से नियुक्ति नहीं हो सकी थी।