उज्जैन में संतों का निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने का दावा, बीजेपी ने नहीं दिया टिकट इसलिए लिया फैसला

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Chandresh Sharma
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उज्जैन में संतों का निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने का दावा, बीजेपी ने नहीं दिया टिकट इसलिए लिया फैसला

UJJAIN. बाबा महाकाल की नगर उज्जैन में चुनावी बयार में अब संत भी कूदने को तैयार हैं। बुधवार को क्रांतिकारी संत परमहंस अवधेशपुरी महाराज ने विधानसभा चुनाव में बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। वैसे तो अवधेशपुरी महाराज बीजेपी सपोर्टर रहे हैं लेकिन वे इस मर्तबा पार्टी से टिकट मांग रहे थे। उमाभारती और योगी आदित्यनाथ की तरह अवधेशपुरी के मन में भी सत्ता का सुख भोगने का अभीष्ट जाग्रत हो चुका है। बीजेपी ने टिकट नहीं दिया तो अब निर्दलीय चुनाव मैदान में ताल ठोंक रहे हैं।

28 को जमा करेंगे नामांकन

अवधेशपुरी महाराज स्वास्तिक पीठ के पीठाधीश्वर हैं, उन्होंने कहा है कि 28 अक्टूबर को वे अपना नामांकन दाखिल करेंगे। कभी बीजेपी के सपोर्टर रहे स्वामी जी ने आरोप लगाया है कि बीजेपी ने सिंहस्थ भूमि के अतिक्रमण, महाकाल मंदिर के निशुल्क दर्शन, अवैध कॉलोनियों की समस्या पर कभी ध्यान नहीं दिया। उनका दावा है कि उज्जैन उत्तर और दक्षिण दो सीटों से संत समाज के प्रत्याशी निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। जल्द ही उज्जैन उत्तर का प्रत्याशी भी घोषित किया जाएगा।

भागवत और पीएम को भेजा था खत

बता दें कि सितंबर के महीने में अवधेशपुरी महाराज ने संघ प्रमुख मोहन भागवत और पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी थी। जिसमें संतों को राजनीति की मूलधारा से जोड़ने की मांग उठाई थी। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने राजस्थान में तो कुछ संतों को चुनाव लड़वाना तय किया है लेकिन मध्यप्रदेश में संतों पर भरोसा नहीं है। बीजेपी ने यह संत समाज का अपमान किया है।

धर्मद्रोहियों को मिल रहा टिकट

अवधेशपुरी ने आरोप लगाया कि राजवाड़ा से रामायण में आग लगाने वाले और रावण का मंदिर बनवाने वालों को तो टिकट दिया जाता है लेकिन रामायण में पीएचडी करने वाले और हिंदू मठ मंदिरों के लिए लड़ने वाले संत को टिकट नहीं दिया जाता। संत ने अनेक ज्वलंत मुद्दों के साथ चुनाव मैदान में निर्दलीय उतरने की बात कही है।



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