BHOPAL. मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी की बड़ी जीत के बाद सीएम पद की रेस शुरू हो गई है। प्रदेश का मुख्यमंत्री कौन बनेगा, इसे लेकर राजनीतिक गलियारों समेत हर आम और खास के मन में तमाम अटकलें चल रही हैं। इसी बीच शिवराज सिंह चौहान ने खुद ये बड़ी बात कह दी है कि वे मुख्यमंत्री पद के दावेदार नहीं हैं।
शिवराज ने क्या कहा ?
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मैं मुख्यमंत्री का दावेदार न तो पहले कभी रहा, न आज हूं। मैं एक कार्यकर्ता के नाते सदैव भारतीय जनता पार्टी मुझे जो भी काम देगी, उस काम को समर्पित भाव से अपनी संपूर्ण शक्ति, क्षमता और प्रमाणिकता ईमानदारी से सदैव करता रहूंगा।
गर्व से बोले शिवराज- 'मोदी जी हमारे नेता'
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मोदी जी हमारे नेता हैं और उनके साथ काम करने में हमने सदैव गर्व का और आनंद का अनुभव किया है। बीजेपी की जीत के लिए शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश की जनता का आभार जताया।
शिवराज सिंह चौहान नहीं तो कौन ?
प्रहलाद पटेल
सीएम पद के लिए शिवराज को छोड़ दें तो पहला नाम प्रहलाद पटेल का सामने आता है। इसकी एक बड़ी वजह जातिगत समीकरण है। प्रदेश में करीब 82 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जो लोधी बाहुल्य हैं। इन सीटों पर लोधी समुदाय प्रभाव है और वही हार-जीत तय करता है। इनमें 39 सीटों पर 55 से 60 हजार, 20 सीटों पर 15 से 20 हजार और 23 सीटों पर 10 से 15 हजार लोधी समुदाय की आबादी है। उमा भारती के बाद प्रदेश में बीजेपी को लोधी नेतृत्व की सबसे ज्यादा जरूरत थी जो इस समुदाय को साध सके। प्रहलाद पटेल इस वर्ग के अब सबसे प्रभावी और सर्वमान्य नेता हैं। यही कारण है कि सीएम पद के लिए उनको उपयुक्त चेहरा माना जा रहा है।
कैलाश विजयवर्गीय
सीएम पद के लिए दूसरा नाम कैलाश विजयवर्गीय का लिया जा सकता है। संगठन में कैलाश का बड़ा कद माना जाता है। वे राष्ट्रीय महासचिव होने के साथ अमित शाह के करीबी भी माने जाते हैं। लंबे समय से उनका नाम मध्यप्रदेश में किसी बड़े पद पर ताजपोशी के लिए भी माना जाता रहा है। वे राजनीतिक मैनेजमेंट में माहिर नेता माने जाते हैं। उनके साथ कार्यकर्ताओं की बड़ी फौज है। कार्यकर्ताओं से लेकर वरिष्ठ नेताओं के साथ तालमेल करने उनको महारथ हासिल है। ऐसे में उनका नाम भी सीएम पद की रेस में शामिल है।
नरेंद्र सिंह तोमर
सीएम पद के दावेदारों में नरेंद्र सिंह तोमर का नाम भी प्रमुखता से लिया जा सकता है। वे कुशल संगठन के रुप में भी जाने जाते हैं। प्रदेश में 2 बार लगातार सरकार बनाने का काम प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर नरेंद्र सिंह तोमर ने ही शिवराज के साथ मिलकर किया था। वे शिवराज के करीबी भी माने जाते रहे हैं। वहीं वे मोदी-शाह के निकट भी रहे हैं। यही कारण है कि उनको चुनाव प्रबंध समिति का प्रमुख बनाया गया था। वे मोदी के पहले कार्यकाल से ही उनकी कैबिनेट में शामिल रहे हैं। जिताऊ चेहरा मानते हुए ही उनको दिमनी से विधानसभा उम्मीदवार बनाया गया था।
चौंका सकता है चौथा नाम
प्रहलाद पटेल, नरेंद्र सिंह तोमर और कैलाश विजयवर्गीय के अलावा कोई चौंकाने वाला नया नाम भी हो सकता है। ये नरेंद्र मोदी और अमित शाह की बीजेपी है, जिसके फैसले चौंकाते रहे हैं। हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर और महाराष्ट्र में देवेंद्र फणनवीस को सीएम बनाना इसी तरह के उदाहरण हैं। हो सकता है कोई नया आदिवासी चेहरा सामने आ जाए। हालांकि इसकी संभावना फिलहाल कम ही नजर आती है।