गंगेश द्विवेदी, RAIPUR. उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव के मौका मिलने पर मुख्यमंत्री बनने संबंधी बयान से छत्तीसगढ़ में सियासत तेज हो गई है। भाजपा ने इस बयान को गलत समय पर आया बयान कहते हुए उन्हें नेता प्रतिपक्ष बनने का न्योता दे दिया है। तो वहीं कांग्रेस ने इसे खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने कहा है कि यह सिंहदेव का व्यक्तिगत बयान हो सकता है।
क्या कहा था टीएस सिहदेव ने
अंबिकापुर में मीडिया से चर्चा के दौरान टीएस सिंहदेव ने कहा था कि मेरा मौका यह आखिरी है, सीएम ना बनने की स्थिति में चुनाव लड़ने का कोई औचित्य नहीं है, और ना ही मै लडूंगा। उन्होंने आगे कहा था कि कैप्टन तो सलेक्शन कमेटी बनाती है, टीम के सदस्य के रूप में जो भी जिम्मेदारी मिलेगी उसे पूरा करूंगा। आगे चुनाव लड़ने की बात पर उन्होंने साफ कहा कि अब हो गया, मतदान से पहले यह बात कहता तो गड़बड़ होती लेकिन अब हल्का होकर कहने की बात है, अगर मुझे जनता जिताती है तो अगले पांच साल पूरी तन्मयता से काम करूंगा। और उसके बाद अब नया पुराना होना चाहिए।
पहला हक भूपेश का
मुख्यमंत्री की दौड़ में सबसे आगे होने की बात से इंकार करते हुए कहा कि मैं दौड़ में सबसे आगे तो नहीं हूं, जो सिटिंग चीफ मिनिस्टर है उनका दावा पहला बनता है। हम जीतते हैं तो सबसे पहले उनका नाम विचार में आएगा लेकिन उसके आगे वो सोचते हैं तो और भी नाम हो सकते हैं उसमें मेरा नाम भी हो सकता है। लेकिन जिसको भी मुख्यमंत्री बनाया जाएगा, उनके साथ हम सबको एक टीम के तौर पर काम करना है।
बैज ने कहा- यह उनका व्यक्तिगत बयान
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने सोमवार को सिंहदेव के बयान पर मीडिया के समक्ष प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे हमारे वरिष्ठ नेता हैं। वो बड़े लीडर हैं। उनका कहना-सोचना छत्तीसगढ़ के लिए मायने रखता है, लेकिन उनका यह बयान व्यक्तिगत है। भाजपा को सिर्फ मुद्दा चाहिए। हमारी सरकार बन रही है। उसके बाद विधायक दल की बैठक में निर्णय लिया जाएगा। अंतिम फैसला आलाकमान का रहेगा। छत्तीसगढ़ में 75 से ज्यादा सीटें जीतेंगे।
गलत समय में सिंहदेव को जागी उम्मीद - रमन
सिंहदेव के बयान पर पूर्व मुख्यमंत्री डा रमन सिंह ने तंज कसा है। उन्होंने कहा कि वह सही बोल रहे हैं। उनके मन की पीड़ा है। पांच साल से वह इंतजार करते रहे हैं। वादा करके उनको पांच साल तक घुमाते रहे। उनकी इच्छा गलत समय पर जागृत हुई है। अब भाजपा की सरकार बन रही है। क्या मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदारी करेंगे? इस प्रश्न पर रमन सिंह ने कहा कि चेहरा भाजपा ने तय नहीं किया है। सामूहिक नेतृत्व हमने पहले से तय किया है। विधायक दल की बैठक में चयन हो जाएगा। उसमें विलंब नहीं होगा।
अच्छा विपक्ष होगा तो आनंद आएगा- केदारनाथ
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता केदार गुप्ता ने कहा कि बाबा अब मुख्यमंत्री तो बनेंगे नहीं। वह अच्छे नेता हैं। भाजपा की सरकार आ रही है। हम चाहेंगे कि भाजपा की सरकार में वह नेता प्रतिपक्ष बनकर हमारे साथ रहें। अच्छा विपक्ष होगा तो काम में आनंद आता रहेगा।
टीएस सिंहदेव के बयान के सियासी मायने
कांग्रेस के भीतर खाने में मुख्यमंत्री पद को लेकर आपसी खींचतान जग जाहिर रही है। कांग्रेस के पिछले 5 साल के कार्यकाल में मुख्यमंत्री पद को लेकर हमेशा अलग-अलग बयान और बातें सुर्खियों में रही। टीएस सिंहदेव के इस बयान को ढाई- ढाई साल के मुख्यमंत्री के सुर्खियों में रहे फार्मूले से जोड़कर देखा जा रहा है। साफ तौर पर दोनों नेताओं ने खींचतान स्वीकार नहीं किया लेकिन खबरें आने पर उनकी ओर से खंडन भी नहीं आया। टीएस पिछले ढाई साल से लगातार मीडिया के सामने यही जताते रहे कि वे हाइकमान के इशारे का इंतजार कर रहे हैं। जानकारों की मानें तो उन्हें चुनाव से तीन महीने पहले उपमुख्यमंत्री का पद देकर सरगुजा की जनता के सामने उनके महत्व को पहले की तरह बरकरार रखने का प्रयास किया गया। यह पद तो वे पहले भी लेकर शांत रह सकते थे।
माना यह जा रहा है फिलहाल उपमुख्यमंत्री का पद देकर सिंहदेव को आगे की संभावनाएं दिखाई गई होंगी। जिसके चलते सिंहदेव ने समय से पहले ही सीएम पद की अपनी दावेदारी को मीडिया के सामने उठा दिया। इसमें एक बड़ी संभावना पिछली सरकार में हुए तमाम घोटालों के साथ महादेव सट़टा एप में सीएम भूपेश बघेल का नाम आना माना जा रहा है। इस तरह के कयास भी राजनीतिक फिजाओं में पिछले एक साल से तैर रहे हैं कि घोटालों में भूपेश और उनके बेटे की गिरफ़्तारी हो सकती है। ऐसे हालात में कांग्रेस अपने उपमुख्यमंत्री की साफ सुथरी क्षवि का उपयोग कर टीएस को मुख्यमंत्री के पद पर बैठा सकती है।
दो और नाम हैं दावेदारो में सीएम के
मुख्यमंत्री के दावेदारों में टीएस बाबा के अलावा दो और नाम हैं जिन्होंने कभी सार्वजनिक रूप से अपनी दावेदारी इस तरह से पेश नहीं की। इसमें सबसे पहले नाम आता है दुर्ग ग्रामीण विधायक ताम्रध्वज साहू का। 2018 में सरकार बनते ही सबसे पहले ताम्रध्वज साहू के मुख्यमंत्री बनने का हल्ला हुआ था। लेकिन इसके बाद जय वीरू यानि पीसीसी चीफ भूपेश बघेल और नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने मंत्रिमंडल में स्थान नहीं लेने की बात कह दी थी। इसके बाद बताते हैं कि ढाई-ढाई साल के फार्मूले की चर्चा शुरू हुई जिसमें माना गया कि पहले भूपेश बघेल फिर ढाई साल टीएस सिहदेव सीएम रहेंगे।
इस फार्मूले के होने को इस बात से भी बल मिला कि जैसे ही सरकार के ढाई साल पूरे हुए और टीएस सिंहदेव ने आलाकमान से संपर्क करना शुरू किया, छत्तीसगढ़ से 50 विधायकों का दल दिल्ली रवाना हुआ था। कहा जाता है कि कांग्रेस विधायक दल का दिल्ली उडा़न भरना भूपेश के सीएम बने रहने के लिए शक्तिप्रदर्शन था। दूसरा नाम पूर्व केंद्रीय मंत्री, विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत का आता है, जिन्होंने पार्टी मे जिस स्तर पर रहकर सेवा की है, उनके लिए इस पद की दावेदारी स्वाभाविक रूप से बनती है।