JAIPUR. विधानसभा चुनाव दहलीज तक आते-आते विभिन्न समुदाय, जातियां और वर्ग प्रेशर पॉलिटिक्स के हथकंडे अपना चुका है। अब राजस्थान में जाट समुदाय भी उसी मोड पर आने का ऐलान कर चुका है। राजस्थान जाट महासभा ने 28 अक्टूबर को जयपुर में विशेष अधिवेशन आहूत किया है। महासभा की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि अधिवेशन में यह प्रस्ताव पारित किया जाएगा कि जो राजनैतिक पार्टी जाटों को कम से कम 40 सीटों की उम्मीदवारी नहीं देगी, उसे चुनाव में समर्थन नहीं दिया जाएगा।
बीजेपी की ओर नरम रुख
महासभा द्वारा जारी लेटर में ही इस बात को स्वीकार किया गया है कि बीजेपी हर चुनाव में जाटों को प्रतिनिधित्व देने के लिए सीटें बढ़ाती गई है लेकिन फिर भी उन्हें उचित प्रतिनिधित्व नहीं दिया जा रहा है। वहीं कांग्रेस को लगातार किसान विरोधी और जाट विरोधी निर्णय लेने का दोषी बताया गया है। इसके अलावा ओबीसी आरक्षण के मुद्दे की बात भी महासभा द्वारा की गई है। आरपीएससी में विवादास्पद नियुक्ति के मामले को भी पत्र में उठाया गया है।
जाट रूठे तो बिगड़ेगा समीकरण
राजस्थान में जाट वोट भी निर्णायक स्थिति में हैं ऐसे में पूरा का पूरा जाट वोटर यदि महासभा के ऐलान पर अमल करता है तो राजस्थान में बने बनाए समीकरण ध्वस्त भी हो सकते हैं।
मांग पूरी करना टेढ़ी खीर
राजस्थान जाट महासभा विशेष अधिवेशन बनाकर दबाव जरूर बना रही है लेकिन यह भी सभी जानते हैं कि जाट वोटर्स के संख्याबल के बावजूद उन्हें 40 सीटें देना किसी भी पार्टी के लिए टेढ़ी खीर होगा। ऐसा करने से गुर्जर समुदाय के वोटर्स भी नाराज हो सकते हैं और राजपूत समाज समेत ओबीसी के अन्य जातिवर्ग को भी अच्छा संदेश नहीं जाएगा।