/sootr/media/post_banners/5898ff95057417c63e9e8bee74a9bcec43ee3cc32df7636051ee17fd759eb5d2.jpg)
BILASPUR. छत्तीसगढ़ में 9 साल बाद एक बार फिर नसबंदी कांड चर्चा में है। दरअसल स्वास्थ्य विभाग को दवा सप्लाई करने वाली कंपनी कविता फार्मा के एक भागीदार की याचिका हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है। याचिका में निचली अदालत में दाखिल की गई चार्जशीट और आरोप तय करने को चुनौती देते हुए कहा गया था कि वे इस कंपनी में पार्टनर ही नहीं थे, जबकि जांच के दौरान जब्त किए गए दस्तावेजों के आधार पर याचिकाकर्ता के भागीदार होने की पुष्टि हुई थी।
2014 में हुई थी 13 महिलाओं की मौत
जानकारी के अनुसार बिलासपुर के पेंडारी स्थित हॉस्पिटल में 8 नवंबर 2014 को नसबंदी शिविर लगाया गया था। शिविर में कुछ घंटों के अंदर 83 महिलाओं के नसबंदी ऑपरेशन किए गए। ऑपरेशन के कुछ घंटों बाद महिलाओं का दवाओं का किट देकर डिस्चार्ज कर दिया गया। इधर, ऑपरेशन करवाने वाली महिलाओं का तबीयत बिगड़ना शुरू हुई। 13 महिलाओं की मौत हो गई। कई महिलाओं को गंभीर हालत में सिम्स और अपोलो हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया। महिलाओं को दी गई दवाओं को जांच के लिए कोलकाता, रायपुर भेजा गया। जांच में सिप्रोसिन 500, इबूब्रुफेन की जांच की गई, जिसमें दवाओं की क्वालिटी घटिया मिली। इसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया। जांच में पता चला कि स्वास्थ्य विभाग को तिफरा के कविता फॉर्मा से दवा सप्लाई की गई थी। कंपनी के संचालकों के खिलाफ विभिन्न प्रावधानों के तहत केस दर्ज किया गया।
ये खबर भी पढ़ें...
सालभर के अंदर ट्रायल पूरा करने के निर्देश
जांच पूरी होने के बाद पुलिस ने कोर्ट में चालान पेश किया था। मामले में निचली अदालत ने आरोप तय किए हैं। 29 नवंबर 2016 को तय किए गए आरोप और चार्जशीट को निरस्त करने की मांग करते हुए कंपनी के एक भागीदार मनीष खरे ने याचिका लगाई थी, इसमें खुद को कंपनी में भागीदार होने से इनकार किया था। राज्य शासन की तरफ से बताया गया कि कंपनी से जब्त किए गए दस्तावेजों में याचिकाकर्ता के भागीदार होने की पुष्टि हुई है। सुनवाई पूरी होने के बाद चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की सिंगल बेंच ने याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट को आदेश की प्रमाणित कॉपी प्रस्तुत करने के सालभर के भीतर ट्रायल पूरा करने को कहा गया है।
ये खबर भी पढ़ें...