JAIPUR. 39 साल के बालकनाथ योगी मठ के महंत, यूनिवर्सिटी के चांसलर, अलवर से सांसद और अब तिजारा से विधायक हैं। चुनावी रिजल्ट आने से एक दिन पहले यानी 2 दिसंबर को तिजारा सीट से प्रत्याशी महंत बालकनाथ योगी ने बीजेपी हेडक्वार्टर में संगठन महामंत्री बीएल संतोष से मुलाकात की। इसी के साथ 3 दिसंबर के नतीजों में बीजेपी को 115 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत मिला। नतीजों के बाद देर रात खबरें चलीं कि पीएम नरेंद्र मोदी के बुलावे पर बालकनाथ केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के साथ दिल्ली पहुंच गए हैं।
16 अप्रैल, 1984 में हुआ था बाबा बालकनाथ का जन्म
16 अप्रैल, 1984, राजस्थान के अलवर जिले के कोहराना गांव में किसान सुभाष यादव के घर बाबा बालकनाथ का जन्म हुआ। घर का माहौल शुरू से ही धार्मिक रहा है। इनके दादा फूलचंद यादव साधू-संतों से संबंध रखते थे। पिता सुभाष भी महंत खेतनाथ के शिष्य थे और उनके दरबार में आते-जाते रहते थे। महंत खेतनाथ ने इनका नाम गुरुमुख रखा था। गुरुमुख जब 6 साल के हुए तो उन्हें अध्यात्म की पढ़ाई के लिए खेतनाथ के नीमराना आश्रम भेज दिया गया। यहां छात्रों को संन्यासी जीवन ही जीना पड़ता था। तभी से गुरुमुख भी संन्यासी जीवन जीने लगे। दीक्षा देने के बाद गुरुमुख को महंत चांदनाथ के पास भेज दिया गया। नाथ संप्रदाय के चांदनाथ अस्थल बोहर में बाबा मस्तनाथ मठ के महंत थे। महंत चांदनाथ ने ही गुरुमुख को बालकनाथ नाम दिया।
महंत चांदनाथ ने स्कूल, अस्पताल और राजनीति जमाई
बता दें कि वर्तमान बालकनाथ को समझने के लिए उनके गुरु रहे चांदनाथ के बारे में जानना काफी जरूरी है। 21 जून 1956 को दिल्ली के बेगमपुर में जन्मे चांदनाथ ने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से हिंदी में बीए किया। 1978 में उन्होंने महंत श्रेयोनाथ से दीक्षा ली और रोहतक के अस्थल बोहर स्थित बाबा मस्तनाथ मठ से जुड़ गए। बता दें कि वर्ष 1985 में वे इस मठ के महंत बन गए। महंत चांदनाथ का रुझान पढ़ाई-लिखाई की तरफ ज्यादा था। उन्होंने रोहतक और आसपास कई कॉलेज की स्थापना की। बाद में ये सभी कॉलेज बाबा मस्तनाथ ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूशन के अंतर्गत आ गए। 2012-13 में इस ग्रुप को हरियाणा सरकार ने यूनिवर्सिटी की मान्यता दे दी। चांदनाथ इसके कुलपति बन गए।
2004 में लड़े थे लोकसभा चुनाव
2004 के लोकसभा चुनाव में अलवर सीट से वो बीजेपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़े। हालांकि इस चुनाव में कांग्रेस के करण सिंह यादव ने उन्हें हरा दिया। इसी साल राजस्थान में होने वाले विधानसभा उपचुनाव में चांदनाथ को बीजेपी ने टिकट दिया। वो कोटपूतली जिले की बहरोड़ सीट से चुनाव लड़े और विधायक बन गए। 2014 में राजस्थान के अलवर से फिर सांसद बन गए। इस दौरान बालकनाथ अपने गुरु चांदनाथ के साथ समर्पित भाव से लग रहे। महंत चांदनाथ को 60 साल की उम्र तक कई बीमारियों ने घेर लिया। उन्हें थ्रोट कैंसर भी हो गया। शारीरिक अवस्था को भांपते हुए चांदनाथ ने 29 जुलाई 2016 को अपने शिष्य बालकनाथ को अपना उत्तराधिकारी चुन लिया। बालकनाथ अब महंत बालकनाथ बन गए। इसी के साथ वे नाथ संप्रदाय के 8वें संत बने। जानकारी रे मुताबिक जब बालकनाथ को संत चुना जा रहा था, तब उस भव्य कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ और बाबा रामदेव भी पहुंचे थे। अगले ही साल 17 सितंबर 2017 को चांदनाथ का निधन हो गया। जिसके बाद उनकी पूरी विरासत को बालकनाथ योगी ने संभाला। चांदनाथ के निधन के बाद बालकनाथ नाथ संप्रदाय के रोहतक स्थित सबसे बड़े अस्थल बोहर मठ के मठाधीश हो गए। इस मठ से संचालित होने वाली बाबा मस्तनाथ यूनिवर्सिटी और तमाम अस्पतालों की कमान भी उनके हाथ में आ गई।
2019 में बाबा बालकनाथ ने भंवर जितेंद्र सिंह को 3 लाख वोटों से हराया
2019 में बीजेपी ने अलवर लोकसभा सीट से चांदनाथ के शिष्य बालकनाथ को ही टिकट दिया। महज 35 साल की उम्र में वो चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे। इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह को 3 लाख से भी अधिक वोटों से मात दी थी। तब से ही बालकनाथ अलवर क्षेत्र में काफी एक्टिव हैं। चांदनाथ के निधन के बाद बालकनाथ की इमेज एक मजबूत हिंदू नेता के तौर पर बनने लगी। रोहतक, हनुमानगढ़ और मेवात में उनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ने लगी। शुरुआत में बालकनाथ रोहतक के अलावा हनुमानगढ़ स्थित अपने आश्रम में भी रहते थे, लेकिन राजस्थान की राजनीति में एक्टिव होने के बाद से ही वो अलवर में रहने लगे। वर्तमान में वह नाथ संप्रदाय के दूसरे सबसे बड़े महंत हैं। नाथ संप्रदाय के मुताबिक गोरखधाम के महंत और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ संप्रदाय के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। वहीं, रोहतक की गद्दी पर बैठने वाले बालकनाथ नाथ संप्रदाय के उपाध्यक्ष हैं।