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Bhopal. मध्यप्रदेश के 70 हजार बिजली कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। बिजलीकर्मी आठ सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं, केंद्र सरकार ने तीन महीने तक एस्मा लगा दिया है। इस हड़ताल से लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इस दौरान बिजली के फॉल्ट नहीं सुधर सकेंगे। प्रदेश के 52 हजार पेंशनर्स भी हड़ताल पर रहेंगे।
52 जिला कलेक्टरों को नोटिस
हड़ताल के पहले बिजली कर्मचारियों ने प्रदेश के 52 जिला कलेक्टरों को नोटिस दिए थे। हड़ताल संगठनों ने एसओपी भी जारी की। यूनाइटेड फोरम फॉर पावर एम्प्लाइज और इंजीनियर्स के अध्यक्ष वीकेएस परिहार ने बताया कि बिजली कंपनी के प्रमुख संगठन यूनाइटेड फोरम फॉर पावर एम्प्लाइज और इंजीनियर्स, मध्यप्रदेश विद्युत मंडल अभियंता संघ, पावर इंजीनियर्स एवं एम्प्लाइज एसोसिएशन ने विद्युत क्षेत्र को बचाने और नियमित, संविदा, पेंशनर्स, आउटसोर्स के हितों की रक्षा के लिए विरोध किया है। इसके चलते हर जिले में जिला प्रभारी भी नियुक्त किए हैं।
एस्मा लागू
गृह विभाग के उपसचिव ने हड़ताल रोकने के लिए एस्मा लागू कर दिया है। इस कानून के दौरान बिजली कर्मचारी कार्य से मना नहीं कर पाएंगे। इसमें ऊर्जा विभाग की सारी छह कंपनियां, जिसमें एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी जबलपुर, मध्य प्रदेश पूर्व, पश्चिम और मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी जबलपुर, इंदौर और भोपाल, मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन और पावर जनरेशन कंपनी जबलपुर के नियमित, संविदा और आउटसोर्स कर्मचारी की सेवाएं शामिल हैं।
बिजली कर्मचारियों की आठ सूत्रीय मांगें-
- ज्वाइंट वेंचर और टीबीसीबी वापस लिया जाए
- पेंशन की सुनिश्चित व्यवस्था, डीआर के आदेश, चतुर्थ वेतनमान के आदेश जारी किए जाए
- सातवें वेतनमान में तीन स्टार मैट्रिक्स विलोपित किया जाएं
- संविदा का नियमितिकरण और सुधार उपरांत साल 2023 संविदा नीति लागू की जाए
- आउटसोर्स कर्मियों की वेतन वृद्धि के साथ 20 लाख का दुर्घटना बीमा और तीन हजार रुपए के जोखिम भत्ते की मांग
- कर्मचारियों की वेतन विसंगति दूर कर मूल वेतन 25 हजार 300 रुपए से ज्यादा किया जाए और वर्ष 2018 के बाद के कनिष्ठ अभियंताओं की वेतन विसंगति दूर की जाए
- उच्च शिक्षा प्राप्त कनिष्ठ अभियंताओं को सहायक अभियंता और कर्मचारियों को कनिष्ठ अभियंता की नियुक्ति हेतु नीति बनाई जाए ,ट्रांसमिशन में आई. टी. आई. कर्मचारियों को क्लास चार की जगह क्लास तीन में रखा जाए
- सभी वर्गों की वेतन विसंगतियां, अनुकंपा नियुक्ति में मध्य प्रदेश शासन अनुसार नीतियों में सुधार, कैशलेस मेडिक्लेम पॉलिसी, गृह जिले में स्थानांतरण, संगठनात्मक संरचना का पुनर्निरीक्षण और अन्य मांगों पर निर्णय लिया जाए