बीजेपी-कांग्रेस दोनों दलों के समक्ष बागियों की चुनौती बड़ी, इनके चुनाव पर रहेगी नजर

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BP Shrivastava
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बीजेपी-कांग्रेस दोनों दलों के समक्ष बागियों की चुनौती बड़ी, इनके चुनाव पर रहेगी नजर

मनीष गोधा, JAIPUR. राजस्थान में नई सरकार चुनने के लिए मतदान में अब सिर्फ दो दिन बचे हैं और प्रदेश की 200 में से 20 से ज्यादा सीटें ऐसी हैं, जहां बीजेपी और कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशियों के लिए इनके बागी बड़ी चुनौती बने हुए हैं और उन्होंने मुकाबलों को त्रिकोणीय बना कर चुनाव को रोचक बना दिया है। इसमें एक अहम बात यह भी है कि इनमें से कुछ चेहरे ऐसे हैं जो राजस्थान के दोनों दलों के तीन बड़े नेताओं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के नजदीकियों में रह चुके हैं। ऐसे में इनके चुनाव पर पूरे प्रदेश की नजरें टिकी हुई हैं।

बीजेपी के बागी काफी गंभीर

राजस्थान में इस बार टिकट वितरण को लेकर असंतोष बीजेपी और कांग्रेस दोनों में ही काफी नजर आया था। यही कारण है कि दोनों दलों के कई बड़े चेहरे टिकट नहीं मिलने के कारण अब निर्दलीय के रूप में चुनाव मैदान में हैं और पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों के लिए चुनौती बन गए है। बीजेपी में ऐसे बड़े चेहरे कांग्रेस के मुकाबले ज्यादा दिख रहे हैं। ऐसे में बीजेपी के प्रत्याशियों के लिए चुनौती ज्यादा गंभीर दिख रही है। आइए देखते हैं उन सीटों की स्थिति जहां बागियों की चुनौती भारी पड़ रही है।

कांग्रेस को इन सीटों पर मिल रही बागियों की चुनौती-

राजगढ-लक्ष्मणगढ: अलवर जिले की इस सीट पर कांग्रेस के बागी के रूप में मौजूदा विधायक जौहरीलाल मीणा मैदान में है।

शाहपुरा: जयपुर जिले की इस सीट पर आलोक बेनीवाल कांग्रेस के बागी है। पिछली बार भी इन्हें टिकट नहीं मिला तो निर्दलीय खड़े हो कर विधानसभा में पहुंच गए थे। गहलोत के नजदीकी रहे हैं। पार्टी ने यहां से सचिन खेमे में रहे मनीष यादव को टिकट दिया है।

लूणकरणसर: बीकानेर जिले की इस सीट से पूर्व गृह राज्य मंत्री वीरेन्द्र बेनीवाल कांग्रेस के बागी हैं। गहलोत के नजदीकी रहे हैं।

धोद: सीकर जिले की इस सीट से मौजूदा विधायक और कांग्रेस के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष परसराम मोरदिया के पुत्र महेश मोरदिया कांग्रेस के बागी हैं। गहलोत खेमे के माने जाते हैं।

हबीबुर्रहमान: नागौर सीट से कांग्रेस के बागी है। पहले कई बार इसी सीट से विधायक रह चुके हैं। बीजेपी से भी विधायक चुने जा चुके हैं।

पुष्कर: अजमेर जिले की इस सीट से गोपाल बाहेती पार्टी के बागी हैं और पहले से यहां से विधायक रह चुके हैं। गहलोत गुट के माने जाते है। पार्टी ने यहां से सचिन खेमे की माने जाने वाली नसीम अख्तर इंसाफ को टिकट दिया है।

बसेडी: धौलपुर जिले की इस सीट से मौजूदा विधायक और राजस्थान अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष खिलाड़ी बैरवा पार्टी के बागी के रूप में मैदान में हैं। खिलाड़ी बैरवा सचिन पायलट के नजदीकियों में गिने जाते हैं।

शिव : बाडमेर जिले की इस सीट से पार्टी के जिला अध्यक्ष रहे फतेह खान ही बागी हो गए हैं। पार्टी ने यहां से मौजूदा विधायक अमीन खान को लगातार दसवीं बार टिकट दिया है। फतेह खान पायलट खेमे में माने जाते हैं।

बीजेपी को इन सीटों पर बागियों ने दिया टेंशन

डीडवाना: नागौर जिले की इस सीट से बीजेपी के बागी के रूप में पूर्व मंत्री युनूस खान निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। युनूस खान राजे सरकार में परिवहन मंत्री रहे हैं और राजे की कोर टीम के सदस्य रहे हैं।

शाहपुरा: भीलवाड़ा जिले की इस सीट से पूर्व स्पीकर कैलाश मेघवाल चुनाव मैदान में है। वे इस सीट से सात बार विधायक रह चुके हैं। पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में निकाला था। अब पार्टी प्रत्याशी के लिए चुनौती बन गए है। वसुंधरा राजे के नजदीकी रहे हैं।

चित्तौडगढ: यहां से मौजूदा विधायक चंद्रभान सिंह आक्या पार्टी के बागी हैं। उनका टिकट काट कर नरपत सिंह राजवी को दिया गया। आक्या संघ परिवार के नजदीकी माने जाते हैं।

शिव: इस सीट पर बीजेपी के दो बागी है। एक हैं रविन्द्र सिंह भार्टी जो छात्रनेता रह चुके हैं और हाल मे ही पार्टी में आए थेए लेकिन टिकट नहीं मिला तो बागी हो गए। दूसरे हैं यहां से पूर्व विधायक जालम सिंह रावलोद। ऐसे में यहां बीजेपी के प्रत्याशी स्वरूप सिंह खारा के लिए चुनौती गम्भीर है।

सवाई माधोपुर: यहां से पिछले चुनाव की प्रत्याशी आशा मीणा पार्टी की बागी हैं और उन्होंने पार्टी के प्रत्याशी राज्यसभा सांसद किरोडी लाल मीणा जैसे नेता के लिए चुनाव मुश्किल बना दिया है। ये राजे के खेमे मे रही हैं।

बाडमेर: बाडमेर जिला मुख्यालय की इस सीट से प्रियंका चौधरी पार्टी की बागी हैं। पूर्व मंत्री गंगाराम चौधरी की बेटी हैं और हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी ने इन्हें समर्थन दे दिया है।

सांचैर: जालौर जिले की इस सीट से पूर्व विधायक जीवाराम चौधरी बागी के रूप में मैदान मे हैं और सांसद देवजी पटेल के लिए चुनौती बने हुए हैं। जीवाराम को एक और दावेदार दानाराम का समर्थन मिला हुआ है। ये भी राजे के खेम में रहे हैं।

खंडेला: सीकर जिले की इस सीट से पूर्व विधायक बंशीधर बाजिया बागी हैं। पार्टी ने इस सीट पर कांग्रेस से बागी हो कर आए सुभाष मील को टिकट दिया है। ऐसे में मुकाबला रोचक हो गया है। ये भी राजे खेमे मे मान जाते हैं।

अनूपगढ: श्रीगंगानगर जिले की इस सीट पर पूर्व विधायक शिमला बावरी बागी के रूप में चुनाव मैदान में है। इन्हें भी राजे गुट में माना जाता है। 

पिछले चुनाव में 13 निर्दलीय थे, जिनमें 10 कांग्रेस के बागी थे

पिछले चुनाव में 13 चुनाव जीत कर आए थे और इनमें से 10 पूर्व कांग्रेसी थे। चूंकि उस समय पायलट सर्वेसर्वा थे। इसलिए अशोक गहलोत के कई समर्थकों को टिकट नहीं मिला था। इनमें से कई मैदान में डटे रहे और चुनाव जीत कर आ गए। पूरे पांच साल ये 10 पूर्व कांग्रेसी निर्दलीय गहलोत की ताकत बने रहे और इनमें से आठ को इस बार पार्टी का टिकट मिल गया।

बड़े नेताओं के नजदीकी बागियों पर रहेगी नजर

इस चुनाव में गहलोत, पायलट और राजे के खेमों में रहे जो नेता चुनाव मैदान मे हैए उनके चुनाव पर पूरे प्रदेश की नजर है। दरअसल, परिणाम के बाद सीएम पद के लिए दोनों ही दलों में संघर्ष की स्थिति देखने को मिल सकती है। कांग्रेस में गहलोत और पायलट के बीच संघर्ष हो सकता है और बीजेपी में वसुंधरा राजे को अन्य दावेदारों से संघर्ष करना पड़ सकता है। ऐसे में ये निर्दलीय जीत का पहुंचते हैं तो इन नेताओं के लिए बड़ी ताकत साबित होंगे।

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