JAIPUR. कहते हैं कि भारतीय राजा विदेशी आक्रमणकारियों से इसलिए हार जाते थे क्योंकि वे हाथी पर बैठकर लड़ते थे। इतनी ऊंचाई पर उन्हें आसानी से निशाना बना लिया जाता था। असलियत में इस बात के कई अपवाद हो सकते हैं लेकिन राजस्थान विधानसभा के रण में इस बार भी यह कहावत चरितार्थ होती नजर आ रही है। बहुजन समाज पार्टी की ओर से टिकट पा चुके 9 प्रत्याशियों ने नामांकन वापसी की मियाद के पहले ही मैदान छोड़ दिया और हाथी से उतरकर दूसरे दल में शामिल हो गए।
पहली बार नहीं मिला बसपा को दगा
राजस्थान में यह पहली मर्तबा नहीं है जब बहुजन समाज पार्टी को दगा मिला हो। साल 2008 और 2018 में बीएसपी की टिकट पर चुनाव जीते सभी विधायक कांग्रेस से जा मिले थे। मायावती की बीएसपी का आंकड़ा विधायकों की दगाबाजी के चलते शून्य पर पहुंच गया था। लेकिन इस बार तो तब हद हो गई कि बहन जी से टिकट लेकर चुनाव मैदान में उतरे 9 प्रत्याशियों ने नामांकन वापस लेते हुए कांग्रेस और बीजेपी प्रत्याशियों को समर्थन देने का ऐलान कर दिया।
बीएसपी ने उतारे थे 196 उम्मीदवार
बहुजन समाज पार्टी ने राजस्थान में अपने कोर वोट बैंक के चलते 196 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे, लेकिन इन 9 उम्मीदवारों के हथियार डाल देने के बाद अब पार्टी केवल 185 सीटों पर मुकाबले में हैं।
जयपुर में सबसे ज्यादा सेंधमारी
बात अकेले जयपुर शहर की हो तो यहां की 4 सीटों पर बसपा उम्मीदवारों ने हाथी का साथ छोड़ दिया। नाम वापसी के आखिरी दिन बसपा उम्मीदवार अरुण चतुर्वेदी, रामलाल चौधरी, हसन राजा और तरुषा पाराशर ने अपना नॉमिनेशन वापस ले लिया। 3 प्रत्याशियों ने कांग्रेस को समर्थन दे दिया जबकि तरुषा पाराशर ने बीजेपी कैंडिडेट का अपना समर्थन दे दिया है।
इन-इन ने बदला पाला
सिविल लाइंस-अरुण चतुर्वेदी-कांग्रेस को समर्थन
सांगानेर-रामलाल चौधरी-कांग्रेस को समर्थन
आदर्शनगर-हसन राजा-कांग्रेस को समर्थन
हवामहल-तरुषा पाराशर-भाजपा को समर्थन
जैसलमेर-प्रहलादराम-कांग्रेस को समर्थन
भीनमान-कृष्ण कुमार-कांग्रेस को समर्थन
राजाखेड़ा-डॉ. धर्मपाल-भाजपा को समर्थन
सिरोही-सुरेश कुमार-कांग्रेस को समर्थन
पोकरण-तुलछाराम-भाजपा को समर्थन