राजस्थान में इस बार संघ परिवार की सक्रियता पहले से ज्यादा, किसी भी स्थिति में राजस्थान नहीं गंवाना नहीं चाहते संघ और बीजेपी

author-image
Chandresh Sharma
एडिट
New Update
राजस्थान में इस बार संघ परिवार की सक्रियता पहले से ज्यादा, किसी भी स्थिति में राजस्थान नहीं गंवाना नहीं चाहते संघ और बीजेपी

मनीष गोधा, JAIPUR. राजस्थान के इस बार के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की सक्रियता पिछले चुनावों के मुकाबले ज्यादा दिख रही है। इस बार बीजेपी का प्रदेश नेतृत्व संघ के प्रदेश पदाधिकारियों के साथ कई बैठकें कर चुका है। संघ के राजस्थान में तीनों प्रांतों के साथ समन्वय बैठकें हुई हैं और बीजेपी की ओर से उठाए जाने वाले मुद्दों पर भी संघ का प्रभाव दिख रहा है।

अनेक घटनाक्रम में संघ की भागीदारी

राजस्थान में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की अच्छी उपस्थिति है। उत्तरी राजस्थान के कुछ जिलों को छोड़ दे तो प्रदेश के ज्यादातर हिस्सों में संघ काफी सक्रिय है, हालांकि चुनाव में संघ की सक्रियता कुछ सीटों तक ही सीमित रहती आई है। बीजेपी के सूत्र कहते हैं वैसे तो बीजेपी के सभी कार्यकर्ता मूल रूप से संघ परिवार से ही जुडे हुए हैं, लेकिन पिछले चुनावों में संघ का प्रदेश नेतृत्व इतना सक्रिय नहीं रहा है जितना इस बार दिख रहा है। इसके संकेत पिछले दिनों सामने आए घटनाक्रम से भी मिले हैं। 

राजस्थान में संघ के तीन प्रांत हैं जयपुर, जोधपुर और चित्तौड़गढ़ और प्रधानमंत्री की पिछली तीन सभाएं इन्हीं तीन स्थानों पर हुई हैं। पहले 25 सितम्बर को जयपुर में, फिर दो अक्टूबर को चित्तौड़गढ में और इसके बाद पांच अक्टूबर को जोधपुर में मोदी की सभाएं हुई। हालांकि इसमें कोई दोराय नहीं है कि तीनों ही स्थानों का राजनीतिक महत्व है। जयपुर में परिवर्तन यात्रा की समाप्ति की सभा थी। चित्तौडगढ पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी का संसदीय क्षेत्र है और दक्षिण राजस्थान के लिए अहम है। वहीं जोधपुर पश्चिमी राजस्थान के लिए अहम है और सीएम अशोक गहलोत का गृह नगर है।

- पार्टी के प्रमुख नेताओं की संघ के तीनों प्रांतों के साथ समन्वय बैठकें हुईं। इनमें प्रमुख पदाधिकारी शामिल रहे।

- जयपुर में पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष संघ के प्रमुख पदाधिकारियों के साथ तीन-चार बार बैठकें कर चुके हैं और यह सिलसिला पिछले करीब छह माह से चल रहा है।

- पार्टी ने चुनाव में धार्मिक तुष्टीकरण को प्रमुख मुद्दा बनाया हुआ है, हालांकि खुद गहलोत सरकार ने अपने निर्णयों से बीजेपी और संघ को यह मुद्दा थमाया है, लेेकिन पार्टी इसे पुरजेार ढंग से उठा रही है। पाटी के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी तो मौजूदा सरकार को मुगलिया सरकार बताते हैं।

संघ की सक्रियता बढने का कारण

इस बार संघ की बढ़ी सक्रियता के पीछे दो-तीन कारण प्रमुख तौर पर बताए जा रहे हैं जैसे

- जब तक पार्टी और सरकार पर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का वर्चस्व रहा, तब तक संघ ने खुद की भूमिका सीमित कर रखी थी क्योकि राजे और संघ के सम्बन्ध बहुत सहज नहीं रहे हैं। पिछले चार चुनाव ऐसे ही थे। इस बार पार्टी राजे के वर्चस्व से मुक्त दिख रही है।

- राजस्थान में कांग्रेस सरकार के समय जिस तरह की साम्प्रदायिक घटनाएं सामने आई हैं और संघ के प्रमुख पदाधिकारी तक को भ्रष्टाचार के एक कथित मामले में घसीट लिया गया, उसे देखते हुए भी संघ यहां सत्ता परिवर्तन चाहता है।

- खुद वसुंधरा का राष्ट्रीय नेतृत्व यह चाहता है कि राजस्थान में संघ चुनाव में सक्रियता बढाए, क्योंकि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ में बीजेपी के लिए आसार बहुत अच्छे नहीं दिख रहे हैं। ऐसे में पार्टी राजस्थान में हर हालत में जीत चाहती है और यह संघ की ताकत के बिना सम्भव नहीं है।

अब आगे क्या?

वसुंधरा सूत्रो का कहना है कि प्रत्याशी चयन में संघ का दखल सीमित ही रहता है और ऐसा ही इस बार भी रहेगा, लेकिन चुनाव की रणनीति और जमीनी स्तर पर काम संघ ने इस बार बढ़ाया है और आने वाले समय में नजर भी आएगा। हालांकि कांग्रेस का कहना है कि संघ और वसुंधरा चाहे कितना भी जोर लगा लें इस बार कांग्रेस की सरकार रिपीट होने से कोई नहीं रोक सकता। पार्टी के प्रदेश महासचिव स्वर्णिम चतुर्वेदी कहते हैं संघ बीजेपी के लिए हमेशा काम करता है, लेकिन इस बार हमारी सरकार का काम ऐसा है कि ये दोनों कितना भी जोर लगा लें कोई असर नहीं पडेगा।

संघ की सक्रियता बीजेपी के अहम

राजनीतिक विश्लेषक राजीव तिवारी का कहना है कि संघ का सहयोग राज्य में बीजेपी को सभी चुनावों में मिला है। एक -आध अपवाद ज़रूर हैं। इस बार भी प्रदेश के नेताओं और संघ के बीच वैचारिक मतभेद सामने आये और संघ के पदाधिकारियों ने चुनावी तैयारियों से अलग होने की चेतावनी तक दे दी। इसके बाद बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व को दख़ल देनी पड़ी और संघ के नेताओं से बातचीत और समन्वय के लिये केंद्रीय नेताओं को अधिकृत किया गया। संघ की कार्यशैली और मतदाताओं के बीच पैठ मज़बूत है। दुनिया में जो माहौल आज है , उसके बीच चुनावों में संघ की भूमिका भाजपा के लिए अहम हो गई है। संघ की सक्रियता पर ही बीजेपी कि सफलता निर्भर करेगी।

Rajasthan News राजस्थान न्यूज़ RSS active in elections RSS in active mode in politics Sangh's participation in many events चुनाव में एक्टिव आरएसएस पॉलिटिक्स में एक्टिव मोड में RSS अनेक घटनाक्रम में संघ की भागीदारी