मनीष गोधा, JAIPUR. राजस्थान के चुनाव में इस बार तीन प्रयोगों की सबसे ज्यादा चर्चा थी। दो प्रयोग विपक्ष में बैठी बीजेपी ने किए थे और एक सत्तारूढ़ कांग्रेस ने, लेकिन वोटिंग प्रतिशत देखा जाए तो तीनों ही प्रयोगों को लेकर राजस्थान की जनता ने बहुत ज्यादा उत्साह नहीं दिखाया। हालांकि अभी निश्चित तौर पर कुछ कहना मुश्किल है, लेकिन माना जा रहा है कि जिन उम्मीदों से दोनों दलों ने यह प्रयोग किए थे, वे उम्मीदें शायद ही पूरी हों।
कौन से थे तीन प्रयोग?
- बीजेपी की ओर से सांसदों को मैदान में उतारना
- बीजेपी की ओर से चार सीटों पर संतों को टिकट दिया जाना
- कांग्रेस की ओर से महिला वोटरों के लिए मोबाइल बांटने से लेकर सिलेंडर की कीमत कम करना और दस हजार रुपए प्रतिवर्ष देने जैसी घोषणाएं करना।
पहली बात सांसदों की....
बीजेपी ने एक राज्यसभा सांसद सहित सात सांसदों को टिकट दिए। वोटिंग प्रतिशत बताता है कि सात में से छह सीटो पर वोटिंग प्रतिशत बढ़ा। लेकिन तिजारा को छोड़कर बाकी जगह बढ़ोत्तरी बहुत मामूली है। इन सात में से पांच सीटें वह है, जहां बीजेपी पिछले तीन चुनाव से हार रही है। ऐसे में पार्टी ने एक बड़ा दांव खेलते हुए सांसदों को मैदान में उतारा, लेकिन वोटिंग प्रतिशत बता रहा है कि इसका बहुत ज्यादा असर नहीं है। आइए देखते है सीटवार स्थिति...
किशनगढ़
इस सीट पर बीजेपी ने सांसद भागीरथ चौधरी को चुनाव मैदान में उतारा था और उनका मुकाबला बीजेपी से ही बागी हो कर कांग्रेस में गए विकास चौधरी से था। यहां वोटिंग प्रतिशत में 2.05 प्रतिशत का अंतर है। इसे बीजेपी प्रत्याशी के कद को देखते हुए बहुत ज्यादा नहीं माना जा सकता, क्योंकि उनके सामने एक दल-बदलू प्रत्याशी मैदान में था।
पिछली बार - 74.16
इस बार - 76.21
तिजारा
राजस्थान के अलवर जिले की इस सीट पर मतदान 4.03 प्रतिशत बढ़ा है, जो सांसदों की सीट पर सबसे ज्यादा है, लेकिन इसका एक बड़ा कारण यहां धार्मिक आधार पर वोटों का ध्रुवीकरण माना जा रहा है। यहां से बीजेपी ने हिन्दुत्ववादी चेहरे बाबा बालकनाथ को चुनावी मैदान में उतारा है और उनके सामने मुस्लिम प्रत्याशी इमरान खान चुनाव मैदान में थे।
पिछली बार - 82.08
इस बार- 86.11
सवाई माधोपुर
इस सीट पर वोटिंग प्रतिशत पिछली बार के मुकाबले 2.31 प्रतिशत बढ़ा है। यहां से बीजेपी के सबसे चर्चित नेताओं में से एक किरोड़ी लाल मीणा मैदान में थे और मुकाबला भी त्रिकोणीय हो गया था। इसके बावजूट वोटिंग प्रतिशत में बहुत उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी नहीं होना बता रहा है कि मुकाबला कड़ा हो सकता है।
पिछली बार - 68.63
इस बार - 70.94
सांचैर
इस सीट पर वोटिंग प्रतिशत पिछली बार के मुकाबले सिर्फ 0.15 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि यहां से बीजेपी ने जालौर से तीन बार के सांसद देवजी पटेल को मैदान में उतारा था और उनके सामने सरकार के मंत्री सुखराम विश्नोई थे। मंत्री के साथ अक्सर एंटी इनकम्बेंसी का असर रहता है, लेकिन इसके बाद भी वोटिंग प्रतिशत में बहुत मामूली बढ़ोत्तरी हुई है।
पिछली बार - 80.76
इस बार - 80.91
विद्याधर नगर
जयपुर शहर की इस सीट मतदान सिर्फ 2.73 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि यहां बीजेपी ने सांसद दिया कुमारी जैसा चेहरा मैदान में उतारा था। दिया कुमारी जयपुर राजपरिवार की बेटी है। यहां माहौल को देखते हुए बहुत अच्छी वोटिंग की सम्भावना व्यक्त की जा रही थी।
पिछली बार - 69.82
इस बार - 72.55
मंडावा
झुंझुनूं जिले की इस सीट पर वोटिंग प्रतिशत में सिर्फ 0.77 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी है। यहां से बीजेपी ने सांसद नरेन्द्र कुमार को मैदान में उतारा था, जो पिछली बार जीत तो गए थे, लेकिन बाद में सांसद बना दिए गए थे। उनका मुकाबला कांग्रेस की रीटा चैधरी से था, जो उपचुनाव में जीत कर विधायक बन गई थी। वोटिंग प्रतिशत का अंतर बता रहा है, यहां भी बीजेपी के प्रयोग को लेकर बहुत ज्यादा उत्साह नहीं था।
पिछली बार - 73.20
इस बार - 73.97
झोटावाड
जयपुर जिले की इस सीट पर पिछली बार के मुकाबले वोटिंग प्रतिशत 0.45 प्रतिशत कम हो गया है और यह चौंकाने वाली स्थिति इसलिए है कि यहां से बीजेपी ने जयपुर ग्रामीण से सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड को मैदान में उतारा था। वहीं कांग्रेस की ओर से एक बिल्कुल नया चेहरा अभिषेक चौधरी को टिकट दिया था, लेकिन इसके बावजूद वोटिंग प्रतिशत कम होना चौंका रहा है।
पिछली बार - 72.97
इस बार - 71.52
संतों की सीटें
दूसरा प्रयोग था बीजेपी की ओर से चार संतों को मैदान में उतारना। इन चार सीटों में पोलिंग तो अच्छी हुई है, लेकिन पिछली बार के मुकाबले वोटिंग प्रतिशत में अच्छी बढ़ोत्तरी ही सीटों पर है। जबकि बीजेपी ने हिन्दुत्व का कार्ड जमकर खेला था।
हवामहल
जयपुर शहर की इस मुस्लिम बाहुल्य मतदाताओं वाली सीट पर वोटिंग प्रतिशत पिछली बार के मुकाबले 3.64 प्रतिशत बढ़ा है। इस सीट पर बीजेपी ने महंत बालमुकुंदाचार्य को टिकट दिया था। उनके सामने कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ता और जयपुर जिला अध्यक्ष आर आर तिवाारी मैदान में थे। सीट पर धार्मिक आधार पर धु्रवीकरण देखने को मिला है और नतीजे रोचक हो सकते हैं।
पिछली बार - 72.66
इस बार - 76.30
तिजारा
मेव मुस्लिम बाहुल्य मतदाताओं वाली इस सीट पर वोटिंग प्रतिशत 4.03 प्रतिशत बढ़ा है। यहां से सांसद बाबा बालकनाथ का मुकाबला कांग्रेस के इमरान खान से था। इस सीट पर वोटिंग प्रतिशत बढ़ने का कारण धार्मिक धु्रवीकरण को माना जा रहा है।
पिछली बार - 82.08
इस बार - 86.11
पोकरण
जैसलमेर जिले की इस सीट पर वोटिंग प्रतिशत सिर्फ 0.29 प्रतिशत बढ़ा है। यहां से बीजेपी ने महंत प्रतापपुरी और कांग्रेस ने मंत्री सालेह मोहम्मद को टिकट दिए थे। पिछली बार भी यहीं दोनों चुनाव मैदान में थे, फिर भी वोटिंग प्रतिशत में मामूली बढ़ोत्तरी मतदाता की उदासीनता को दिखा रही है।
पिछली बार - 87.50
इस बार - 87.79
सिरोही
इस सीट पर वोटिंग प्रतिशत 0.25 प्रतिशत बढ़ा है। यहां भी मामूली बढ़ोत्तरी हुई है। यहां से बीजेपी ने देवासी समाज के संत ओटाराम देवासी को टिकट दिया था, जबकि कांग्रेस ने यहां से निर्दलीय विधायक बने संयम लोढ़ा को मैदान में उतारा था।
पिछली बार 65.76
इस बार - 66.01
क्या महिलाओं को नहीं भाई घोषणाएं
इस चुनाव में सिर्फ 23 सीटें ऐसी हैं, जहां महिलाओं ने पुरूषों से भी ज्यादा मतदान किया है, जबकि मौजूदा सरकार ने महिलाओं के फ्री मोबाइल फोन, सस्ता सिलेंडर, दस हजार रुपए प्रतिवर्ष जैसी घोषणाएं की थीं, लेकिन दस प्रतिशत सीटों पर ही महिलाओं की अधिक वोटिंग यह संकेत दे रही है कि सरकार का यह प्रयोग हो सकता है बहुत ज्यादा असर ना दिखा पाए।
इन सीटों पर महिलाओं के वोट पुरुषों से ज्यादा पड़े
मंडावा, फतेहपुर, दांतारामगढ़, लक्ष्मणगढ़, ब्यावर, लाडनूं, डीडवाना, सोजत, मारवाड़ जंक्शन, पाली, आहोर, सिरोही, खैरवाडा, बांसवाड़ा, सागवाड़ा, गढ़ी, बांसवाड़ा, भील, कुम्भलगढ़, आसींद।