BHOPAL. एमपी की राजधानी भोपाल में मानवता की मिसाल पेश करने वाला मार्मिक मामला सामने आया है। यहां एक शख्स के अंगदान के कारण तीन लोगों को जीवनदान मिला हैं। यहां सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल 53 साल के राजेश अवस्थी का इलाज चल रहा था। राजेश का मस्तिष्क मृत्यु (ब्रेन डेड) हो चुका था। जिसके बाद डॉक्टरों ने उनकी पत्नी सुषमा अवस्थी को अंगदान कर कुछ लोगों को नया जीवन देने के लिए समझाया। इसके बाद सुषमा ने अपने कलेजे पर पत्थर रख कर ब्रेन डेड पति के अंगदान का फैसला किया। इस बड़े फैसले के साथ तीन लोगों को जीवनदान दे दिया।
सड़क हादसे में घायल हुए थे राजेश
बताया जा रहा है कि हर्षवर्धन नगर में रहने वाले 53 साल के राजेश अवस्थी निजी कंपनी में काम करते थे। जो 24 नवंबर को सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उनको परिजनों ने एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया था। हादसे में उनके सिर में गंभीर चोट लगी थी। जिसके चलते उनको ब्रेन हैमरेज भी हो गया था। न्यूरो सर्जन और अधिकृत विशेषज्ञ समेत चार डॉक्टरों की ब्रेन डेथ सर्टिफिकेट कमेटी ने क्लिनिकल जांच और एपनिया परीक्षण समेत मेडिकल जांच करके उन्हें ब्रेन डेड घोषित किया था। राजेश अवस्थी के ब्रेन डेड होने के बाद एक लीवर और दो किडनी अलग-अलग मरीजों को प्रत्यारोपित की गईं। जिससे तीन लोगों को नया जीवन मिला है।
लिवर किडनी ने बचाई तीन जिंदगियां
दरअसल, पत्नी सुषमा राजेश के स्वस्थ होने का इंतजार कर रही थीं, लेकिन उनका ब्रेन डेड हो चुका था। यह बात जब उनकी पत्नी को बताई गई तो वे बेसुध हो गईं और अपने पति की मौत की खबर को मानने से इंकार कर दिया। राजेश अवस्थी के ब्रेन डेड होने के बाद डॉक्टर्स ने उनकी पत्नी सुषमा और परिजनों को उनकी स्थिति को लेकर लंबी समझाइश दी। साथ ही अंगदान के लिए प्रेरित किया। इसके बाद पत्नी और परिजनों ने दरियादिली दिखाते हुए अंगदान की सहमति दी। फिर अंगदान की प्रक्रिया शुरू की गई। इस प्रक्रिया में मरीज की किडनी और लिवर दान करने योग्य पाए गए। इसकी जानकारी स्टेट ऑर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन को दी। इसके बाद लिवर निजी अस्पताल में भर्ती मरीज को और दोनों किडनी भोपाल के ही दो निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों को दी गईं।
पत्नी सुषमा और परिजनों को सम्मान
खास बात यह रही कि अंगदान की प्रक्रिया पूरी होने के बाद राजेश अवस्थी का पार्थिव शरीर अस्पताल से बाहर लाया गया। परिजनों को पार्थिव शरीर सौंपने से पहले अस्पताल प्रबंधन ने राजेश की पत्नी सुषमा और परिजनों को सम्मानित किया। इस दौरान पूरे अस्पताल के कारिडोर को फूलों से सजाया गया। साथ ही पुलिस बैंड ने धुन बजाकर सलामी दी। इस दौरान अस्पताल से पूरे सम्मान के साथ अंतिम यात्रा निकाली गई। सभी ने राजेश को सभी नम आंखों से विदाई दी।