JODHPUR. लोग अपनी राजनैतिक महत्वाकांक्षा को पूरा करने क्या नहीं करते। चुनाव लड़ने के लिए एक नियम यह भी है प्रत्याशी की दो से ज्यादा संतानें नहीं होनी चाहिए। इस नियम के चलते एक दंपती ने अपनी एक 10 साल की बच्ची का डेथ सर्टिफिकेट जाली दस्तावेजों के आधार पर तैयार करा लिया। वहीं अपने एक बेटे के जन्म की बात भी छिपा ली। पिता ने सरपंच का चुनाव लड़ा और हार गए और पत्नी को सहकारी समिति का अध्यक्ष का चुनाव लड़ाकर निर्वाचित भी करा दिया। मामले में जब 4 मर्तबा शिकायत हुई, लंबी जांच चली अब जाकर मामला दर्ज हो पाया है ।
2015 में हुई थी तीसरी संतान
यह कहानी है जोधपुर के अशोक कुमार विश्नोई और उनकी पत्नी बबीता की। साल 2014 में अशोक ने भीमसागर पंचायत से चुनाव लड़ा था, वह चुनाव जीता भी। उस वक्त उसकी दो बेटियां थीं। पति-पत्नी को लड़के की चाहत थी, साल 2015 में उनके यहां बेटा हुआ। 2019 में चुनाव हुए ही नहीं। दोनों को यह चिंता सताए जा रही थी कि 3 संतानों के चलते वे चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। इसलिए उन्होंने 10 साल की बेटी करिश्मा को कागजों पर मारने का प्लान बनाया। बीमा क्लेम लेने का हवाला देकर अशोक ने करिश्मा का डेथ सर्टिफिकेट बनवा लिया और बेटे प्रशांत विश्नोई के जन्म का जिक्र ही नहीं किया। कुछ समय बाद कागजों में मृत बेटी का नया नाम रखकर उसकी वल्दियत में अपने भाई का नाम लिखवा दिया।
पति चुनाव हारा, पत्नी जीती
इस कारस्तानी को करने के बाद अशोक ने सरपंच का चुनाव फिर लड़ा, लेकिन इस बार उसके नसीब में हार लिखी थी, चुनाव हारने के बाद भी अशोक ने राजनैतिक महत्वाकांक्षा पूरी करने पत्नी को सहकारी समिति का चुनाव लड़वा दिया। जिसमें पत्नी निर्वाचित भी हो गई। इन दोनों चुनावों के नामांकन में पति और पत्नी ने केवल एक संतान होने का उल्लेख किया।
तहसीलदार ने की जांच पर नहीं हुई कार्रवाई
अपनी बेटी का डेथ सर्टिफिकेट बनवाते समय तहसीलदार धन्नाराम को शक हुआ था कि चुनाव लड़ने के लिए अशोक अपनी एक बेटी को कागजों पर मार रहा है। उन्होंने अपने स्तर पर पूछताछ करने के बाद तमाम दस्तावेजों के साथ फाइल थाना प्रभारी को भिजवा दी थी। लेकिन अशोक ने अपनी पहुंच के चलते कार्रवाई ही रुकवा दी। बाद में एक के बाद एक चौथी शिकायत आई तो पुलिस ने जांच के बाद मामला दर्ज कर लिया है। अब अशोक की पत्नी बबीता की कुर्सी पर तलवार लटक रही है साथ ही फर्जी दस्तावेजों का मामला भी उन पर लद चुका है।