चुनावी आचरणः आचार संहिता लगने के बाद क्या होगा, किन पाबंदियों का राजनीतिक दलों और सरकारी अधिकारियों को करना होगा पालन

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The Sootr
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चुनावी आचरणः आचार संहिता लगने के बाद क्या होगा, किन पाबंदियों का राजनीतिक दलों और सरकारी अधिकारियों को करना होगा पालन

BHOPAL. आज मध्यप्रदेश समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के लिए आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो सकती है। चुनाव आयोग आज दोपहर 12 बजे प्रेस कांफ्रेस आयोजित करने जा रहा है। जिस दौरान चुनावों की तारीखों का ऐलान किया जाएगा। बता दें कि किसी भी राज्य में चुनाव या लोकसभा चुनाव से पहले एक अधिसूचना जारी की जाती है, जिसे आदर्श आचार संहिता कहा जाता है। यहां सवाल यह है कि आखिर चुनाव आचार संहिता लगने के बाद क्या होता है। यहां हम आपको बताएंगे कि आचार संहिता लगने के बाद क्या होगा।

अब यह होगाः

  • चुनाव आदर्श आचार संहिता में राजनीतिक पार्टियों और प्रत्याशियों के सामान्य आचरण के लिए दिशा-निर्देश दिए जाते हैं।
  • चुनाव की आदर्श आचार संहिता लगते ही राज्य सरकारों और प्रशासन पर कई तरह की पाबंदियां लग जाती हैं।
  • सभी शासकीय कर्मचारी चुनाव की प्रक्रिया पूर्ण होने तक निर्वाचन आयोग के तहत आ जाते हैं।
  • आदर्श आचार संहिता में सत्ताधारी दल के लिए कुछ खास गाइडलाइंस दी जाती हैं।
  • सत्ताधारी दल सरकारी मशीनरी और सुविधाओं का इस्तेमाल चुनाव के लिए नहीं कर सकता।
  • मंत्रियों और अन्य अधिकारियों द्वारा नई योजनाओं आदि का ऐलान नहीं किया जा सकता।
  • मंत्रियों और सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को सरकारी दौरे में चुनाव प्रचार करने की मनाही होती है।

ये पाबंदियां भी रहेंगीः

  • सत्ताधारी दल सरकारी राशि का इस्तेमाल कर विज्ञापन जारी करने में नहीं कर सकता।
  • कोई भी दल या नेता चुनाव प्रचार के दौरान किसी की निजी जिंदगी का जिक्र नहीं कर सकता।
  • चुनाव प्रचार के दौरान सांप्रदायिक भावनाएं भड़काने वाली कोई बात नहीं की जा सकती।
  • कोई भी सरकारी अधिकारी, कर्मचारी या पुलिस अधिकारी-कर्मचारी किसी राजनीतिक पार्टी का पक्ष नहीं ले सकता। यदि कोई ऐसा करता है चुनाव आयोग कार्रवाई कर सकता है।

किस तरह होगा चुनाव प्रचारः

  • चुनावी सभाओं में अनुशासन और शिष्टाचार बानाए रखने और जुलूस निकालने के लिए भी गाइडलाइंस बनाई गई हैं।
  • किसी प्रत्याशी या दल को जुलूस निकालने, रैली या बैठक के लिए निर्वाचन आयोग से इजाजत लेनी पड़ती है और इसकी जानकारी संबंधित थाने में देनी होती है।
  • हैलीपैड, मीटिंग ग्राउंड, सरकारी बंगले, सरकारी गेस्ट हाउस जैसी सार्वजनिक स्थलों पर किसी दल विशेष के प्रत्याशी का कब्जा नहीं होना चाहिए।
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