आदिवासियों को रास नहीं आए उम्मीदवार, सामान्य वोटर्स से ज्यादा किया नोटा का इस्तेमाल, MP, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में एक जैसा ट्रेंड

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Rahul Garhwal
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आदिवासियों को रास नहीं आए उम्मीदवार, सामान्य वोटर्स से ज्यादा किया नोटा का इस्तेमाल, MP, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में एक जैसा ट्रेंड

अरुण तिवारी, BHOPAL. जिस आदिवासी वर्ग को लुभाने में बीजेपी-कांग्रेस के दिल्ली से लेकर भोपाल तक के नेता लगे हुए हैं वही वर्ग राजनीतिक दलों से दूर होता जा रहा है। पिछले 2 विधानसभा चुनाव का वोटिंग ट्रेंड कुछ इसी तरफ इशारा कर रहा है। ये ट्रेंड विधानसभा चुनाव वाले तीनों राज्यों मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में एक जैसा है। आदिवासियों ने अपने वोट का इस्तेमाल करते हुए सबसे ज्यादा प्रयोग नोटा का किया है। इन चुनावों में सामान्य वर्ग के वोटरों से ज्यादा आदिवासियों ने 3 से 4 फीसदी तक नोटा का उपयोग किया है।

नोटा उम्मीदवारों के लिए चुनौती

नोटा का ये उपयोग इसलिए मायने रखता है क्योंकि जहां जीत का अंतर कम होता है वहां नोटा उम्मीदवारों के लिए चुनौती बन जाता है। मध्यप्रदेश में बीजेपी को कांग्रेस से 2018 में महज दशमलव एक फीसदी वोट ही ज्यादा मिले थे, जिससे पांच सीटों का ही अंतर था। सरकार 15 महीने तक डगमगाती रही और अंतत: गिर गई।

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सोच-समझकर दबाया जा रहा नोटा

चुनाव आयोग ने वोटरों की सुविधा के लिए एक नया विकल्प दिया है। यदि उम्मीदवारों में कोई भी पसंद नहीं आ रहा तो वोटर नोटा का बटन दबाकर अपनी मंशा बता सकते हैं। यदि ये माना जाए कि आदिवासी वर्ग नासमझी में नोटा दबा रहा है तो गलत होगा। क्योंकि ईवीएम में नोटा का बटन सबसे नीचे होता है और यदि उम्मीदवार ज्यादा हों तो 2 ईवीएम होंगी, जिसमें दूसरी ईवीएम में आखिरी का बटन नोटा का होगा। यानी आदिवासी वोटर सोझ-समझकर नोटा के बटन तक पहुंचता है और उसे दबाकर ये भी बताता है कि इन उम्मीदवारों में से उसे कोई पसंद नहीं है।

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मध्यप्रदेश में दिखा नोटा का असर

चुनाव में 3 से 4 फीसदी वोटरों का बड़ा असर होता है। ये वोटर जीत-हार का बड़ा अंतर तय करते हैं। मध्यप्रदेश में 2018 के चुनाव में कांग्रेस को 40.89 फीसदी वोट मिले जबकि बीजेपी को 41.02 फीसदी वोट मिले। यानी बीजेपी को कांग्रेस से महज 0.1 फीसदी वोट ज्यादा मिले। बीजेपी ने 47 हजार वोट पाए, लेकिन सीटें कांग्रेस से कम रहीं। बीजेपी को 109 और कांग्रेस को 114 सीटें मिलीं। कांग्रेस की सरकार बनी और 15 महीने बाद जोड़-तोड़ की बीजेपी की सरकार बन गई। यदि ये अंतर 3 से 4 फीसदी का होता तो प्रदेश में किसी एक पार्टी के बहुमत की सरकार बनती और खरीद-फरोख्त की सरकार बनने का न मौका आता और न ही ऐसे आरोप लगते। प्रदेश में 5 हजार से कम अंतर से 44 उम्मीदवारों ने जीत हासिल की, लेकिन इनमें आधे उम्मीदवारों की जीत के अंतर से ज्यादा नोटा को वोट मिले।

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साल 2013-2018 विधानसभा चुनाव में नोटा का वोटिंग ट्रेंड

मध्यप्रदेश 2018

  • इस चुनाव में 2 करोड़ 44 लाख 58 हजार 461 वोट अनारक्षित वर्ग ने डाले, इनमें से 2 लाख 54 हजार 248 वोट नोटा में डाले गए यानी करीब 1 फीसदी।
  • 55 लाख 5 हजार 269 वोट एससी वर्ग ने डाले जिनमें से 81 हजार 255 वोट नोटा को गए। यानी करीब पौने 2 फीसदी।
  • आदिवासी वर्ग ने 82 लाख 25 हजार 504 वोट डाले जिनमें से 2 लाख 5 हजार लोगों ने नोटा को वोट दिया। यानी 3 फीसदी से ज्यादा।

2013

  • अनारक्षित वर्ग ने 2 करोड़ 17 लाख 96 हजार 600 वोट डाले जिनमें से 3 लाख 25 हजार 855 वोट नोटा को दिए। यानी करीब सवा फीसदी वोट।
  • एससी वर्ग ने 72 लाख 21 हजार 404 वोट डाले जिनमें से 90 हजार 789 वोट नोटा को दिए। यानी करीब 2 फीसदी।
  • आदिवासी वर्ग ने 72 लाख 21 हजार 404 वोट दिए जिसमें से 2 लाख 26 हजार 527 वोट नोटा में डले। यानी करीब 3 फीसदी।

राजस्थान 2018

  • अनारक्षित वर्ग ने 2 करोड़ 52 लाख 51 हजार 959 वोट डाले। इनमें से 2 लाख 74 हजार 731 वोट नोटा को गए। यानी करीब 1 फीसदी।
  • अनुसूचित जाति के लोगों ने 59 लाख 67 हजार 598 वोट डाले जिनमें से 90 हजार 136 वोटरों ने नोटा को वोट दिया। यानी करीब डेढ़ फीसदी।
  • आदिवासी वर्ग ने 44 लाख 87 हजार 169 वोट दिए जिनमें से 1 लाख 3 हजार 121 वोट नोटा को गए। यानी पौने 3 फीसदी।

2013

  • सामान्य वर्ग ने 2 करोड़ 20 लाख 85 हजार 904 वोट डाले जिनमें से 3 लाख 59 हजार 812 ने नोटा को वोट दिया। यानी सवा फीसदी।
  • एससी वर्ग ने 49 लाख 76 हजार 348 वोट दिए जिनमें से 1 लाख 5 हजार 847 लोगों ने नोटा दबाया। यानी करीब सवा 2 फीसदी।
  • एसटी वर्ग ने 44 लाख 87 हजार 169 वोट दिए जिनमें से 1 लाख 24 हजार 264 ने नोटा का बटन दबाया। यानी पौने 3 फीसदी।

छत्तीसगढ़ 2018

  • सामान्य वर्ग ने वोट डाले 83 लाख 50 हजार 708 जिनमें से नोटा को गए 1 लाख 8 हजार 622 यानी सवा फीसदी।
  • एससी वर्ग ने वोट डाले 16 लाख 85 हजार 986 जिनमें से नोटा को गए 27 हजार 522 यानी पौने 2 फीसदी।
  • आदिवासी वर्ग ने वोट डाले 42 लाख 53 हजार 803 जिनमें से नोटा को गए 1 लाख 46 हजार 524 यानी 3 फीसदी से ज्यादा।

2013

  • अनारक्षित वर्ग ने 76 लाख 9 हजार 916 वोट डाले। इनमें से 1 लाख 82 हजार 80 लोगों ने नोटा को वोट दिया। यानी पौने 2 फीसदी।
  • एससी वर्ग ने 15 लाख 56 हजार 825 वोट डाले। इनमें से 42 हजार 382 लोगों ने नोटा को वोट दिए। यानी 3 फीसदी।
  • आदिवासी वर्ग ने 39 लाख 19 हजार 143 वोट दिए जिनमें से नोटा को गए 1 लाख 76 हजार 596 यानी करीब 4 फीसदी से ज्यादा।
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