उमा भारती ने ट्वीट किया इकबाल का वह शेर जो जिन्ना के लिए लिखा गया, आलाकमान को पराजय के भय से मुक्त होने की दी नसीहत

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Chandresh Sharma
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उमा भारती ने ट्वीट किया इकबाल का वह शेर जो जिन्ना के लिए लिखा गया, आलाकमान को पराजय के भय से मुक्त होने की दी नसीहत

BHOPAL. कभी बीजेपी की फायरब्रांड नेता रहीं उमा भारती अपनी उपेक्षा पर रह-रहकर बिफरती रही हैं। अब उन्होंने अपने ट्वीट के जरिए बीजेपी आलाकमान को नसीहत दे डाली है। ओबीसी वर्ग और महिलाओं को टिकट दिए जाने का हवाला दिया गया है। मगर माना जा रहा है कि वे अपनी उपेक्षा के लिए इस तरह ब्याज निंदा अलंकार से परिपूर्ण संदेश भेज रही हैं। क्योंकि उमा भारती महिला भी हैं और ओबीसी वर्ग की नेत्री भी।

उमा भारती ने यह किया ट्वीट

उमा भारती ने अपने एक्स हैंडल से 5 सूत्रीय ट्वीट किया है जिसमें वे लिखती हैं कि

1. हमारी पार्टी भाजपा के उम्मीदवारों की चौथी सूची आ चुकी है।

2. उम्मीदवारों की इस चारों सूची के बारे में मध्य प्रदेश के हमारे कार्यकर्ता और हमारे मतदाता से बात करके मेरी जो धारणा बनी है सभी को और मुझको आश्चर्य एवं प्रसन्नता का मिला-जुला भाव है। उससे मैंने दिल्ली एवं मध्यप्रदेश के सभी वरिष्ठ भाजपा नेतृत्व को अवगत करा दिया है।

3. हमने शायद जीतने की योग्यता को ही आधार माना है। हमारी पार्टी निष्ठा एवं नैतिक मूल्यों की पुजारी रही है। हमें जीतने की लालसा एवं पराजय के भय से मुक्त होना चाहिए और दिखना भी चाहिए।

4. इकबाल के शेर की एक लाइन-

  ‘‘गुफ्तार का ये गाजी तो बना, किरदार का गाजी बन न सका‘‘

5. अभी तो आखरी सूची के बाद हम इसका भी आंकलन कर लेंगे कि कितने पिछड़े वर्गों की महिलाओं को टिकट मिले, इससे मेरी पिछड़े वर्गों की महिलाओं के आरक्षण की मांग सबको सही लगेगी।

ट्वीट किया इकबाल का शेर, जो उसने जिन्ना को कोड किया था

उमा भारती ने जो पंक्तियां अपने ट्वीट में लिखी हैं, वे मशहूर शायर अलामा इक़बाल के एक मशहूर शेर की हैं, जो उन्होंने पाकिस्तान की मांग करने वाले जिन्ना के लिए लिखी थीं। दरअसल जिन्ना ने मुसलमानों को जिस पाकिस्तान को सपना दिखाया था, वैसा पाकिस्तान कभी बन ही नहीं सका।

पहले वह शेर पढ़िए

मस्जिद तो बना दी शब भर में ईमाँ की हरारत वालों ने

मन अपना पुराना पापी था, बरसों में नमाज़ी बन न सका

श्इक़बाल श् बड़ा उपदेशक है - मन बातों में मोह लेता है

गुफ़्तार का ये ग़ाज़ी तो बना किरदार का ग़ाज़ी बन न सका

                                                       अलामा इक़बाल

(गुफ़्तार = बातें, ग़ाज़ी = योद्धा, किरदार = चरित्र)

शायद इस शेर के जरिए शायद उमा भारती बीजेपी में चल रही आंतरिक कलह और नैतिकता की कसम को छोड़कर सिर्फ जीत पर फोकस करने की प्रवृत्ति को उजागर करने की कोशिश कर रही हैं। आखिर उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा भी है- हमारी पार्टी निष्ठा एवं नैतिक मूल्यों की पुजारी रही है। हमें जीतने की लालसा एवं पराजय के भय से मुक्त होना चाहिए और दिखना भी चाहिए।

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