संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर विकास प्राधिकरण (आईडीए) को इंदौर का सबसे बड़ा भूमाफिया कहा जाता है, इसकी स्कीम के दायरे में आए हजारों प्लॉटधारक 30-30 साल से एनओसी के लिए परेशान हैं। सीएम शिवराज सिंह चौहान तक से आईडीए की कार्यशैली की शिकायत हो चुकी है और कई बार प्रदर्शन हो चुका है, लेकिन आश्वासन के अलावा आईडीए से पीड़ितों को कुछ नहीं मिल रहा है। अब आईडीए के खिलाफ कालिंदी गृह निर्माण सोसायटी के पीड़ितों ने नए तरह से प्रदर्शन की घोषणा की है। सदस्यों ने कहा कि वह मंगलवार,26 सितंबर को सुबह 11 बजे आईडीए के दफ्तर जाएंगे और उन्हें पहने हुए कपड़े वस्त्रदान कर केवल अंडरवियर में बाहर आएंगे। सदस्यों ने द सूत्र से कहा कि अब आईडीए बेशर्म संस्था हो चुकी है, इसलिए उन्हें शर्मसार बनाने के लिए हम इस तरह का कदम उठा रहे हैं।
हर सप्ताह दान देंगे अपने वस्त्र, महिलाएं चुनरी, चूड़ियां देंगी
सदस्य अनुराग अग्रवाल ने द सूत्र से कहा कि अभी तो हम 15 सदस्य ही आईडीए जाएंगे और यह प्रदर्शन करेंगे। हर सप्ताह इसे दोहराया जाएगा। इसके बाद भी यह नहीं मानते हैं तो इसमें पीड़ित महिलाएं भी शामिल होंगी और अपनी ओर से आईडीए में चुनरी फेंकेंगी और चूड़ियां भी वहां भेंट करेंगी।
साल 1998 में हुए हाईकोर्ट का आदेश भी नहीं मान रहा आईडीए
सदस्यों ने बताया कि आईडीए ने एमआर-9 के पास यह स्कीम लॉन्च की थी। इसमें रघुवीर गृह निर्माण संस्था की जमीन, जिसमें कालिंदी आती है, उसकी जमीन भी चिन्हित की। हाईकोर्ट में सदस्य सदाशिव जोशी और अन्य गए और इस पर 1996 और 1998 में हाईकोर्ट ने फैसला करते हुए स्कीम को खारिज कर दिया। लेकिन जब भी आईडीए से एनओसी लेने जाने पर वह इसे अपनी स्कीम 53 का हिस्सा बताते हुए मना कर देता हैं। आईडीए के चलते ना हमें यहां मकान बनाने की मंजूरी मिल रही है और ना ही आईडीए ने कभी कोई मुआवजा ही दिया। साल 2019 में हमने अवमानना याचिका भी दायर की हुई है। साथ ही अब जिला कोर्ट में केस लगाया जा रहा है कि वह हाईकोर्ट में झूठे शपथपत्र देकर बरगला रहे हैं।
14 अगस्त 2013 को आईडीए खुद ही पास कर चुका प्रस्ताव
आईडीए 1998 में हाईकोर्ट के आदेश के तहत स्कीम को लैप्स भी कर चुका है। इस संबंध में 14 अगस्त 2013 में प्रस्ताव पास हुआ था- इसमें तत्कालीन सीईओ के हस्ताक्षर भी हैं। इसमें कहा गया कि रघुवंशी गृह निर्माण सहकारी संस्था की भूमि चूंकि योजना क्रमांक 53 में समाविष्ट है। प्राधिकारी द्वारा इस योजना को समाप्त किया जा चुका है। इसलिए संस्था के साथ किया गया अनुबंध समाप्त करने के लिए वैधानिक कार्रवाई की जाए। एक अन्य जगह आईडीए ने यह भी माना है कि योजना 53 में किसी तरह के खर्च की कोई प्रशासकीय स्वीकृति नहीं ली गई है यानी कोई खर्च इस योजना के लिए आईडीए ने नहीं किया है।
अयोध्यापुरी से लेकर पुष्पविहार सभी आईडीए से परेशान
आईडीए से कई संस्थाएं और हजारों प्लॉटधारक परेशान हैं। हाल ही में 20 सितंबर को इंदौर में सीएम के दौरे के दौरान भी अयोध्यापुरी (देवी अहिल्या सोसायटी) और पुष्पविहार (मजूदर पंचायत) सोसायटी के सदस्यों ने सीएम से भी आईडीए के रवैए की शिकायत की थी। यह भी 20 साल से ज्यादा समय से परेशान हैं। इन्हें भी आईडीए स्कीम मुक्ति का एनओसी नहीं दे रहा है।