JAIPUR. राजस्थान में इस बार गुर्जर बाहुल्य प्रदेश की करीब 46 सीटों पर अधिकांश में मतदान में बढ़ोतरी हुई है। राजनीतिक विश्लेषक इसके अलग-अलग मतलब निकाल रहे हैं। दो प्रमुख पार्टियां कांग्रेस और बीजेपी गुर्जर बाहुल्य में मतदान बढ़ने से खुद का फायदा होना बता रही है। अलवर जिले की अनुमानित 40 लाख आबादी में से करीब डेढ़ लाख लोग गुर्जर समुदाय के हैं और प्रदेश की 200 में से कुल 35 विधानसभा सीट गुर्जर बहुल मानी जाती हैं।
गुर्जर बाहुल्य 46 सीटों में से अधिकांश पर 3% तक बढ़ा मतदान
माना जा रहा है कि विधानसभा चुनावों में वोटिंग बढ़ने के पीछे बाहरी तौर पर जातिवाद और थर्डफ्रंट का दखल है, लेकिन अंदरुनी तौर पर कांग्रेस नेता सचिन पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बनाने को लेकर गुस्सा और ईआरसीपी योजना से पेयजल और सिंचाई का पानी नहीं मिलना भी मुद्दा है। इन सीटों पर इस बार बीजेपी का हावी होना बताया जा रहा है। वहीं गुर्जर वोटर को साधने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने भी हर संभव कोशिश की थी।
पिछली बार 32 सीट कांग्रेस और निर्दलीयों ने जीती
बता दें, पिछले विधानसभा चुनावों में 46 में से 32 सीटों पर कांग्रेस और उसके साथ आए विधायक जीते थे। इसमें पूर्वी राजस्थान के 7 जिलों की 39 सीट शामिल हैं। इसमें से 35 सीटों पर कांग्रेस और समर्थक विधायक काबिज रहे। इसमें 25 कांग्रेस, एक आरएलडी, 5 बसपा और 4 निर्दलीय जीते थे। मतदान प्रतिशत बढ़ने से प्रमुख पार्टियों को फायदा हो सकता है। वहीं गुर्जर समाज के लोगों का कहना है कि गुर्जर समुदाय पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बनाये जाने से नाराज है, जबकि सचिन पायलट युवाओं का चेहरा हैं। वह नई पीढ़ी के नेता हैं।