छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में क्या वोटिंग परसेंटेज ही बना तख्तापलट का कारण ? अब तक के 4 चुनाव का पूरा लेखा-जोखा

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Rahul Garhwal
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छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में क्या वोटिंग परसेंटेज ही बना तख्तापलट का कारण ? अब तक के 4 चुनाव का पूरा लेखा-जोखा

शिवम दुबे, RAIPUR. छत्तीसगढ़ में कल यानी 17 नवंबर को 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण की 20 सीटों के बाद अब बाकी बची 70 सीटों के लिए चुनाव संपन्न किए जाएंगे। छत्तीसगढ़ बनने के बाद ये 5वां विधानसभा चुनाव होने जा रहा है। पहला चुनाव साल 2003 में किया गया था। तब से लेकर अब तक हो चुके 4 विधानसभा चुनाव में हर बार बीजेपी और कांग्रेस में टक्कर देखने को मिली, वहीं राजनीतिक मुद्दे भी अलग-अलग रहे हैं।

अब तक 4 विधानसभा चुनाव

1 नवंबर 2000 के बाद छत्तीसगढ़ में 2003 को पहला चुनाव हुआ। इसके बाद दूसरा विधानसभा चुनाव 2008 में, तीसरा विधानसभा चुनाव 2013 में और चौथा विधानसभा चुनाव 2018 में संपन्न हुआ है। पांचवें विधानसभा चुनाव के लिए पहले चरण का मतदान हो चुका है। दूसरे चरण के मतदान कल यानी 17 नवंबर को किए जाएंगे। पहले हुए 4 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 3 बार जीत हासिल हुई, जबकि कांग्रेस 2018 में 15 साल का वनवास खत्म करके सत्ता में लौटी है।

बीजेपी और कांग्रेस में ही हुई टक्कर !

छत्तीसगढ़ बनाने के बाद ही बीजेपी और कांग्रेस यहां की प्रमुख पार्टियां रही हैं। 2003 में बीजेपी और कांग्रेस की टक्कर में बीजेपी को जीत हासिल हुई थी, लेकिन अभी तक वोट शेयर का अंतर काफी कम रहा है। बात करें वोट शेयर की तो साल 2003 में बीजेपी को 39.30 फीसदी और कांग्रेस को 36.70 परसेंटेज वोट मिले यानी जीत का अंतर केवल 2.60 फीसदी वोटर्स का रहा है। इसी तरह साल 2008 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी 40.30 और कांग्रेस 38.60 परसेंटेज वोट हासिल की थी, इस बार वोट परसेंटेज के हिसाब से 1.70 फीसदी ही अंतर रहा है। इसके साथ 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी 42.30 और कांग्रेस 41.60 फीसदी वोट मिले, यानी 2013 में वोट परसेंटेज सिर्फ 0.70 फीसदी ही रहा।

2018 में कैसे पलटा पांसा ?

अपने 15 साल के वनवास के बाद सत्ता में लौटी कांग्रेस ने 2018 में न केवल वोट शेयर बल्कि सीटों में भी काफी अंतर लेकर अपनी सरकार बनाई। 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जहां 33.60 परसेंटेज वोट शेयर अपने नाम किए। वहीं कांग्रेस ने 43.9 फीसदी वोट शेयर के साथ सबको चौंका दिया। 2018 में सबसे ज्यादा 10.30 फीसदी वोट का अंतर दिखा। राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार इसमें सरकार की एन्टीइनकंबेंसी भी दिखी है।

क्या रहा वोटिंग का पैटर्न ?

छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण के बाद पहला विधानसभा चुनाव 2003 में हुए, इस चुनाव में प्रदेश के 71.30 फीसदी लोगों ने मतदान किया। इसके बाद बीजेपी की सरकार सत्ता में आई। बीजेपी के सत्ता के साथ 2008 के चुनाव में मतदान पिछले चुनाव से 1 प्रतिशत कम रहे, यानी प्रदेश की 70.51% जनता ने वोट किया और सत्ता नहीं बदली। इसके बाद 2013 के विधानसभा चुनाव आ गए, इस बार बढ़-चढ़कर जनता ने वोट किया। मतदान का कुल आंकड़ा रहा, 77.12%, लेकिन सरकार नहीं बदली। इस बात में लोगों का ध्यान जरूर आया कि बीजेपी और कांग्रेस के बीच जो वोट के शेयर थे, उनमें महज 0.70% का ही अंतर रह गया। इसके बाद 2018 के चुनाव हुए तब प्रदेश भर से 76.30% ही वोटिंग हुई, लेकिन छत्तीसगढ़ का तख्तापलट हो गया। 2018 में कांग्रेस अपनी सरकार छत्तीसगढ़ में बनाने में कामयाब रही और सीटों के मामले में भी कांग्रेस कई आगे रही है।

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क्या कहते हैं जानकार ?

राजनीतिक जानकार ये जरूर मानते हैं कि भारी वोटिंग होना या वोटिंग परसेंटेज में इजाफा होना सट्टा बदलाव के संकेत हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ के लिहाज से अगर देखा जाए तो अभी तक वैसा कोई आंकड़ा सामने नहीं आया है। कई अन्य राज्यों में जहां वोटिंग परसेंटेज में भारी इजाफा देखने को मिला, वहां सरकार बदलती हुई दिखी है। 2013 में जब प्रदेश में 77 फीसदी से ज्यादा वोटिंग हुई जो कि पिछले के मुकाबले 7% ज्यादा थी तब तख्तापलट नहीं हुआ, लेकिन 2018 में जहां प्रदेशभर से चुनाव के मुकाबले एक फीस भी काम वोटिंग हुई वहां सत्ता बदलती हुई दिखी है।

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